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कैसी मां हो? भगवान भी देखता है, ये बच्चे कोई कचरा नहीं थे..जिन्हें तड़प-तड़पकर मरने के लिए फेंक दिया गया
भोपाल, मध्य प्रदेश. जिन्हें 9 महीने गर्भ में पाला-पोसा, उन्हें जन्म देने के बाद कचरे में फेंक देना क्या कहा जाएगा? ये वो बच्चे हैं, जो मरने के लिए कूड़े में फेंक दिए गए थे, लेकिन वे मौत से लड़कर जीत गए। भोपाल में कुछ दिनों के अंतराल में दूसरा बच्चा लावारिश पड़ा मिला। इसे भी मरने के मकसद से कचरे में फेंका गया था। पहली तस्वीर में दिख रहा कुपोषित नवजात लड़का कुछ दिनों पहले मिला था। वहीं, दूसरी तस्वीर में दिखाई दे रही बच्ची मंगलवार रात करीब 9 बजे कचरे के ढेर में पड़ी मिली। यह बच्ची वीआईपी रोड स्थित एनआरआई कालोनी के पास पड़ी मिली। बच्ची के रोने की आवाज सुनकर स्थानीय लोगों की नजर उस पर पड़ी गई और उसकी जान बच गई। बच्ची को कपड़े में लपेटकर छोड़ा गया था। पुलिस ने बच्ची को हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया है।
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पहले जानते हैं दूसरी तस्वीर में दिखाई दे रही बच्ची के बारे में। भोपाल की एनआरआई कालोनी में रहने वाले कमल पंजवानी ने सबसे पहले बच्ची के रोने की आवाज सुनी थी। उन्होंने पुलिस को सूचित किया और फिर बच्ची को उठाकर अस्पताल में भर्ती कराया गया। बच्ची को जन्म के 4-5 घंटे बाद ही फेंक दिया गया था। आगे पढ़ें पहली तस्वीर में दिख रहे कुपोषित बच्चे की कहानी...
पहली तस्वीर में दिखाई दे रहा बच्चा जन्म देने के 10 दिन बाद फेंक दिया गया था। उसका वजन सिर्फ 1.3 किलोग्राम निकला था। यह बच्चा कुपोषित है। बच्चा भोपाल के होशंगाबाद रोड पर एक कार शोरूम के सामने बने बस स्टॉप पर मिला था। बच्चा भूखा पड़ा था। उसके शरीर पर खरोंच के निशान भी थे। दूसरी तस्वीर मप्र के छिंदवाड़ा जिले की है। यह बच्ची पिछले दिनों झाड़ियों में पड़ी मिली थी। आगे पढ़िये छिंदवाड़ा में मिले बच्चे कहानी..
यह मामला छिंदवाड़ा जिले की परासिया तहसील के तामिया का है। यह बच्ची पिछले दिनों तामिया अंतर्गत ब्लाक परासिया की पंचायत बुदलापठार के ग्राम सूठिया में मिली थी। बच्ची को आबादी क्षेत्र से करीब 2 किमी दूर एक नाले में झाड़ियों के बीच फेंका गया था।
वहां से गुजर रहे एक शख्स की नजर जब बच्ची के रोने पर पड़ी, तो उसने फौरन पुलिस को सूचित किया। मौके पर पहुंची डायल 100 ने नवजात को वहां से निकाला और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक उपचार के बाद बच्ची को जिला अस्पताल रेफर कर दिया था।
डायल 100 के साथ मौके पर पहुंचे एएसआई महेश अहिरवार ने बताया कि जब बच्ची को उठाया गया, उसके पूरे शरीर पर चींटियां लगी हुई थीं। सबसे पहले उसे वहीं साफ किया गया। फिर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। फिलहाल बच्ची ठीक है।
बच्ची भूख से बिलबिला रही थी। इस पर अस्पताल में भर्ती दूसरी प्रसूताएं बच्ची की मां बनकर सामने आईं। उन्होंने बच्ची को अपना दूध पिलाया। तामिया के टीआई मोहन सिंह मर्सकोले ने बताया कि नवजात पूरी तरह स्वस्थ है। अब आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा कार्यकर्ताओं के जरिये बच्ची की मां के बारे में पता कराया जा रहा है।