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खुशियां लाया लॉकडाउन: घर आया 3 साल पहले मर चुका बेटा, पिता ने अपने हाथों से किया था अंतिम संस्कार

छतरपुर (मध्य प्रदेश). लॉकडाउन के चलते जहां एक तरफ पूरे देश से मजदूरों के पलायन और कोरोना वायसर से मौत की खबरें सामने आ रही हैं। तो वहीं यह लॉकडाउन मध्य प्रदेश के एक मजदूर परिवार के लिए इस तरह खुशियां लेकर आया है जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। वह ऐसे खुश नसीब मां-बाप हैं कि जिनका तीन साल पहले मर चुका बेटा लॉकडाउन के दौरान घर लौट आया है।

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Asianet News Hindi
Published : May 13 2020, 05:58 PM IST| Updated : May 13 2020, 06:05 PM IST
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पिता ने अपने हाथों से किया था अंतिम संस्कार: दरअसल, हैरान कर देने वाली यह कहानी छतरपुर जिले में डिलारी गांव की है। यहां के रहने वाले मजदूर भगोला आदिवासी का बेटा उदय आदिवासी तीन साल पहले अचानक गायब हो गया था। जिसकी उन्होंने काफी खोजबीन की, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। कुछ दिन बाद पिता को मौनासईया जंगल में एक कंकाल मिला था। जिसकी पहचान भगोला ने अपने बेटे के रूप में की थी। परिजनों ने कंकाल को बेटे का शव समझ उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया था।

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बेटे को जिंदा देख पिता रह गया हक्का-बक्का: ऐसे में सोमवार के दिन वही मरा हुआ बेटा जब गांव के कुछ मजदूरों के साथ घर पहुंचा तो उसे जिंदा देख परिजन हैरान थे। पिता यकीन नहीं कर पा रहा था कि यह उन्हीं का वही बेटा है, जिसका तीन साल पहले उन्होंने अंतिम संस्कार अपने हाथों से किया था। गांववाले उदय को देख  हक्के-बक्के रह गए।
 

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हकीकत जान पुलिस भी हैरान: जब बेटे को पुलिस के पास ले जाकर पिता ने जो हकीकत बताई, तो उसे सुन जिसे जान कर पुलिस भी हैरान थी। 
 

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बेटे ने बताया कहा था वो अब तक: युवक ने पुलिस को बताया कि वह अपने परिवार से नाराज होकर घर छोड़ कर चला गया था। जहां में  गुडगांव में रहकर एक फैक्ट्री मे काम करने लगा था। जब  लॉकडाउन हुआ तो मेरे सभी साथी अपने-अपने घर चले गए, ऐसे में भी अपने घर वापस आया।
 

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 इस मामले में बिजावर एसडीओपी सीताराम अवाश्या का कहना है कि जिस युवक के परिजनों ने जिस कंकाल का अंतिम संस्कार किया था, आखिर वह कौन था, अब ऐसे में पुलिस बंद कर चुकी फाइलों को फिर से खोलना पड़ेगा।

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