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शहीद जितेंद्र अलविदा: परिवार बिलखता रखा, तो डेढ़ साल का बेटा ताबूत के पास खेलता रहा, सिर्फ पापा-पापा कहता
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दरअसल, रविवार सुबह शहीद की पार्थिव देह 11 बजे दिल्ली से भोपाल एयरपोर्ट पर पहुंची। इसके बाद सेना के वाहन से करीब डेढ़ बजे पैरा कमांडो जितेंद्र का शव सीहोर जिले के पैतृक गांव धामंदा। जैसे ही पार्थिव देह गांव में पहुंची तो पूरा गांव अपने हीरो की आखिर झलक देखने के लिए उमड़ पड़ा। हर कोई अपने जांबाज का चेहरा देखना चाहता था। इसके बाद शाम करीब 4 बजे परिजनों ने अंतिम संस्कार किया। इसके लिए लकड़ी की जगह ज्यादातर गोबर के कंडों का उपयोग किया।
वीर सपूत के सम्मान में भोपाल से लेकर सीहोर तक जगह-जगह लोगों ने सड़क किनारे खड़े होकर फूल बरसाए। देश सेवा में अपनी जान देने वाले नायक जितेंद्र के निधन से मध्य प्रदेश दुखी है। शहीद की अंतिम विदाई के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे। अंत्येष्टि स्थल पर तिरंगे के रंग के बैलून लगाए गए थे। सड़क किनारे खड़े लोग नम आंखों से अपने हीरो को सलाम कर रहे थे।
मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के धामंदा गांव के रहने वाले जितेंद्र कुमार सीडीएस बिपिन रावत के पीएसओ थे। घटना के वक्त वो भी सीडीएस बिपिन रावत के साथ हेलीकॉप्टर में मौजूद थे। जितेंद्र दो भाई व दो बहनें हैं। इसके अलावा जितेंद्र की शादी 2014 में सुनीता से हुई थी। उनके दो बच्चे भी हैं, चार साल की बेटी श्रव्या और डेढ़ साल का चैतन्य हैं।
इस दौरान सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जितेंद्र कुमार के परिवार से मुलाकात की। उन्होंने पिता और भाई को सांत्वना दी साथ ही परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। शिवराज सिंह ने कहा- परिवार को 1 करोड़ रुपए की सम्मान निधि और पत्नी सुनीता को सरकारी नौकरी दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने जवान के गांव के स्कूल का नाम भी जितेंद्र कुमार के नाम पर रखने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि गांव में शहीद जितेंद्र की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। उनके बच्चों की शिक्षा का भी पूरा प्रबंध किया जाएगा।
नायक जितेंद्र के निधन से उनका पूरा गांव दुखी है। शहीद की अंतिम यात्रा के लिए गांव भर में पोस्टर लगे हैं। ग्रामीण एक क्विंटल से ज्यादा फूल बरसाकर अपने सपूत को श्रद्धांजलि दी। ग्रामीणों का कहना है कि हादसे की सूचना के बाद से ही हमारी आंखें बस उसी ओर देख रही थीं, जिस रास्ते हमारे वीर बेटे की पार्थिव देह गांव आएगी। यहां गली-गली में जितेंद्र को श्रद्धांजलि देने वाले पोस्टर लगे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जहां एक तरप पिता और भाई को सांत्वना दी तो वहीं शहीद के डेढ़ साल के बेटे चैतन्य को गोद में बैठाकर दुलार किया। साथ ही शहीद की पत्नी सुनीता से बात कर उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया।