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कभी बैंक ने इन्हें लोन देने से कर दिया था मना, अब बच्चन-अंबानी पीते हैं इनकी डेयरी का दूध
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पहले पिता का टेक्सटाइल बिजनेस देखते थे शाह :
देवेन्द्र शाह ने सबसे पहले पराग मिल्क फूड्स के नाम से कंपनी शुरू की थी। दरसअल, देवेंद्र शाह के पिता कभी टेक्सटाइल बिजनेस में थे। शुरुआत में देवेंद्र शाह भी अपने पिता का बिजनेस संभालते थे। लेकिन उनका सपना था कि वो एक वर्ल्ड क्लास डेयरी शुरू करें और उसके जरिए लोगों को जॉब भी दें।
मेरे बिजनेस प्लान पर लोन देने को तैयार था बैंक :
देवेंद्र शाह ने एक इंटरव्यू में बताया था- मैंने एक बिजनेस प्लान तैयार किया और लोन प्रपोजल लेकर बैंक गया। मैंने एक दिन में 20 हजार लीटर दूध तैयार करने का प्लान बनाया था। मेरे प्लान से ब्रांच मैंनेजर कन्विंस हो गया। लेकिन लोन के लिए एक गारंटर की जरूरत थी। मैंने इसके लिए पिताजी से बात की तो उन्होंने गारंटर बनने से मना कर दिया।
पिताजी ने गारंटर बनने से कर दिया मना :
गारंटर न मिलने की वजह बैंक ने मुझे लोन देने से मना कर दिया। मुझे मेरा सपना टूटता दिखा और इसकी वजह से मैं खूब रोया। लेकिन इसके बाद मैंने पक्का फैसला कर लिया कि अब मैं इस बिजनेस को करके रहूंगा। इसके बाद मैंने दूसरा प्लान तैयार किया और उसके बेस पर बैंक ने मुझे बिना गारंटर के लोन दे दिया।
30 साल पहले पराग मिल्क फूड्स के नाम से शुरू की कंपनी :
इसके बाद 1992 में मैंने पराग मिल्क फूड्स लिमिटेड कंपनी की शुरुआत की। हमारी कंपनी आसपास के गांवों के ग्वालों से दूध लेकर उसे प्रॉसेस करती और चीज, मक्खन, पनीर, घी बनाती थी। हमारे ज्यादातर प्रॉडक्ट्स बाहर भेजे जाते थे।
2003 में शुरू हुई भाग्यलक्ष्मी डेयरी :
देवेन्द्र शाह के मुताबिक, हमारा बिजनेस अच्छा चल रहा था, लेकिन मेरे मन में इस डेयर को वर्ल्ड क्लास क्वालिटी की बनाने का आइडिया था। इसके बाद दिसंबर, 2003 में मैंने भाग्यलक्ष्मी डेरी फार्म की शुरुआत की। इस फार्म में मैंने देसी गाय की जगह स्विट्जरलैंड की होलस्टिन फ्रेशियान नस्ल की गाय रखीं।
35 एकड़ में फैली इस डेयरी में में 3800 गायें :
हमारा यह डेयरी फॉर्म पुणे के पास मंचर में करीब 35 एकड़ में बना हुआ है। यह फार्म भीमा नदी और भीमेश्वर पर्वत के बीच स्थित है। यहां हम इंटरनेशनल टेक्नलॉजी के इस्तेमाल से दूध उत्पादन करते हैं। इसमें हाइजीन और क्वालिटी का खास ख्याल रखा जाता है। डेयरी पर ही रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेक्शन भी है।
देसी की जगह विदेशी गाय रखने की ये वजह :
भाग्यलक्ष्मी डेयरी में देसी गाय की जगह होलस्टिन फ्रेशियान प्रजाति की गायें रखने के पीछे सबसे बड़ी वजह ये थी कि देसी गाय जहां हर दिन 10-12 लीटर दूध देती है तो वहीं ये गायें काउ कंफर्ट तकनीक के चलते 25-28 लीटर दूध रोज देती हैं। इस डेयरी का दूध 'प्राइड ऑफ काऊ' ब्रांड से सप्लाई किया जाता है।
सिफारिश के बाद ही बन सकते हैं कस्टमर :
भाग्यलक्ष्मी डेयरी फार्म से दूध खरीदना इतना आसान भी नहीं है। दरअसल, यहां से सिर्फ स्पेशल कस्टमर्स को ही दूध दिया जाता है। इस डेयरी का कस्टमर बनने के लिए किसी मौजूद कस्टमर से सिफारिश करानी पड़ती है। बता दें कि मुकेश अंबानी, अमिताभ बच्चन, सचिन तेंडुलकर, अक्षय कुमार और ऋतिक रोशन जैसे सेलेब्स इसके कस्टमर्स में शामिल हैं।
सिंगापुर तक दूध सप्लाई करती है भाग्यलक्ष्मी डेयरी :
जून 2019 में प्राइड ऑफ काउज ने सिंगापुर में ताजा दूध बेचने वाला पहला भारतीय ब्रांड बनने का दावा किया। कंपनी दूध को पुणे से सिंगापुर के लिए प्रतिदिन एयरलिफ्ट करती है और अपने प्रोडक्ट को कस्टमर तक पहुंचाने के लिए होम डिलीवरी मॉडल का उपयोग करती है।
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