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देश को गर्व है इन पर: लेडी डॉक्टर ने मरीजों के लिए तोड़ दी अपनी शादी, कहा-बेबसी और दर्द देखा नहीं जाता
नागपुर (महाराष्ट्र). कोरोना वायरस की दूसरी लहर इस कदर बेकाबू हो गई है कि लोग अपने घरों में कैद हो गए हैं। लेकिन डॉक्टर और नर्स अपना घर-परिवार भूलकर मरीजों को बचाने में दिन रात ड्यूटी कर रहे हैं। इसी बीच नागपुर की एक महिला डॉक्टर ने कर्त्तव्य और फर्ज की अनूठी मिसाल पेश की है। उन्होंने दूसरों की जिदंगी की खातिर अपनी शादी तक तोड़ दी। लड़के वाले कोरोनाकाल में शादी करने के लिए अड़े हुए थे। जबकि डॉक्टर का कहना था कि अभी विवाह को टाला जा सकता है। जब वह नहीं माने तो डॉक्टर ने उस लड़के से शादी करने से ही मना कर दिया। कहा- इस वक्त हमारी शादी से ज्यादा जरूरी मरीजों का इलाज है। मुझसे मरीजों को दर्द और उनकी बेबसी नहीं देखी जाती है। पढ़िए कैसे जान हथेली पर रख बखूबी निभा रहे ड्यूटी का फर्ज...
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दरअसल, मानवता की यह मिसाल पेश करने वाली अपूर्वा मंगलगिरी हैं। जो कि नागपुर के सेंट्रल इंडिया कार्डिओलॉजी हॉस्पिटल में बतौर फिजीशियन सेवा दे रही हैं। अपूर्वा की शादी 26 अप्रैल को होने वाली थी। लेकिन संक्रमण के बढ़ते खतरे और अपने फर्ज को देखते हुए अपूर्वा ने शादी ही करने से मना कर दिया। वह कहती हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में हॉस्पिटल में डॉक्टर्स की भारी कमी है। ऐसे में मेरा फर्ज है कि कोविड मरीजों का इलाज करना ना की अपनी शादी करना।
अपूर्वा ने कहा कि शादी तोड़ने का मेरे फैसला थोड़ा मुश्किल था, हो सकता है भविष्य में यह गलत भी साबित हो। लेकिन इस समय मेरा हर एक मिनट कोविड मरीजों का इलाज करना है। जहां पूरा देश इस वक्त अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाइयों, वेंटिलेटर, डॉक्टरों और नर्सों की कमी से जूझ रहा है तो में कैसे शादी कर सकतू हूं। नहीं चाहती थी कि मेरी शादी में 20-25 लोग शामिल हों और दूसरे लोग इससे संक्रमित हो जाएं। जब लड़के के घरवाले शादी को आगे बढ़ाने को नहीं माने तो मैंने शादी करने से ही इंकार कर दिया।
बता दें कि अपूर्वा के इस फैसले में उसका परिवार उनके साथ है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी बेटी के इस फैसले पर गर्व है। आखिर वह एक डॉक्टर है,अगर वो इस समय अपना फर्ज भूल जाऊंगी तो फिर देश का क्या होगा। अपूर्वा ने बताया कि पिछले साल सितंबर में मेरे पिता का कोरोना से निधन हो गया था। इसलिए मैं समझ सकती हूं कि ऐसे समय में क्या सही और क्या गलत है। अगर किसी के परिवार कोई अपना चला जाए तो मैं ऐसे परिवार की बेबसी और दर्द को समझती हूं।
अपूर्वा ने कहा कि मेरे पास दिनभर में करीब 100 लोगों के फोन आते हैं, वह इलाज के लिए कैसे मिन्नतें करते हैं। वह बेड से लेकर ऑक्सीजन तक की मदद मांगते हैं। कई बार तो लोग गुस्से में आकर मुझे गाली तक दे देते हैं, लेकिन में उनकी बेबसी और दर्द को समझ सकती हूं। कैसे वह एक ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए हाथ-पैर जोड़ते हैं। में सिर्फ असहाय होकर उनकी बातें सुनती हूं। अगर ऐसे में अपनी शादी करूं तो सोचो मुझे मेरा जमीर गवाह देगा।