पत्नी बच्चों के लिए छोड़ दी विदेश की शानदार नौकरी, बन गया 'घर का नौकर'
| Published : Jan 06 2020, 06:20 PM IST / Updated: Jan 06 2020, 06:30 PM IST
पत्नी बच्चों के लिए छोड़ दी विदेश की शानदार नौकरी, बन गया 'घर का नौकर'
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हमेशा आपने सुना होगा 'फलां औरत ने प्रेगनेंसी के बाद नौकरी छोड़ दी, या फिर 'उसके पति ने उसे बच्चे होने के बाद नौकरी करने नहीं दी।' महिलाएं कितनी भी टैलेंटेड हों पर शादी और बच्चों के बीच अक्सर उनका करियर दब के रह जाता है। हमारे समाज बहुत कम लोग ही महिलाओं को आगे बढ़ते हुए देख पाते हैं। पर एक पति ने बच्चों को पालने के लिए अपनी पत्नी की नौकरी नहीं छुड़वाई बल्कि खुद इस्तीफा देकर किचन संभाल लिया।
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ये कहानी न सिर्फ़ आपके दिल को छू लेगी बल्कि आपको मोटिवेट भी करेगी। 2015 में लहर और उनकी पत्नी ने दुनिया के लिए मिसाल बन जाने वाला डिसिजन लिया। वो बताते हैं कि मैं और मेरी पत्नी ऑस्ट्रेलिया जाने के लिए बचत कर रहे थे। हमें नहीं पता था कि हमारी सेविंग्स खत्म हो जाएगी और हम पर एक बोझ और बढ़ने वाला है।
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लहर की पत्नी को प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में पता चला कि वो दोनों माता-पिता बनने वाले हैं। उनके सरप्राइज़ेज़ यहीं नहीं रुके, पहली सोनोग्राफ़ी में उन्हें ये पता चला कि वो एक नहीं दो बच्चों के माता-पिता बनने वाले हैं।
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इसके बाद सवाल उठा बच्चे पैदा होने के बाद उनकी देखभाल के नौकरी कौन छोड़ेगा? जैसा कि हमेशा माओं को नौकरी छोड़ने को कहा जाता है मैंने वैसा नहीं किया और सोचा कि मैं घर बैठूंगा।
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मैंने घर पर रहने का निर्णय लिया और मेरी पत्नी काम पर जाती रही क्योंकि वो ज़्यादा कमाती थी और अब हमारे यहां खाने वालों की तादाद बढ़ने वाली थी। जब मैं पहली बार अपने पापा को मेरे घर पर रहने के निर्णय के बारे में बताया उन्होंने सिर्फ़ मुझ से एक बार पूछा कि क्या मुझे पूरा यक़ीन है- जब मैंने हां कहा उसके बाद उन्होंने कभी दूसरा सवाल नहीं किया।
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बाहर के लोगों के लिए इस शख्स का दफ़्तर ना जाना बहुत बड़ी बात हो गई। बाहरी लोग लहर से कुछ इस तरह के सवाल पूछते, 'लहर, क्या तुम अपनी पत्नी से पैसे मांगने को लेकर सहज हो?' या 'क्या तुम सच में घर का काम करोगे?' तब लहर ने कहा और नहीं तो क्या... मैं काम नहीं कर रहा था, और किससे मांगूंगा?
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मेरी पत्नी ने बच्चों को पैदा जरूर किया था लेकिन मैं उन्हें पाल रहा था। बच्चों को पालना मुश्किल काम है। बच्चे आपको हमेशा नचाते हैं और ये तो दो थे... मैं बस भागता था... खाना, पॉटी कराना, सुलाना लाइफ़ का मंत्र बन गया था। मैंने पिता रहते हुए मां के फर्ज को निभाया। लहर बताते हैं कि जुड़वा बच्चे होने की वजह से वो कई बार एक ही बच्चे को दो बार खाना खिला देते थे, दूसरा भूखा रह जाता था।
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लहर ने ये भी बताया कि डायपर बदलना, रातें जागना, बच्चे के रोने का सिलसिला मैं कुछ भी नहीं भूला हूं बच्चे अब बड़े हो चुके हैं लेकिन लोगों के लिए यही अचम्भा है कि एक पिता ने उन्हें पाला है। अब बच्चों के बड़े हो जाने के बाद मैं वापस नौकरी करने लगा हूं दोनों शैतान खुश हैं और मैं भी। (लहर की ये कहानी और फैमिली फोटोज ह्यूमंस ऑफ बाम्बे पेज पर शेयर की गई है )