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अपने गांव के लिए बड़े सपने देखे थे इस शहीद ने...प्रमोशन मिलने के कुछ दिन बाद देश पर कुर्बान हुआ जाबांज
सोलापुर, महाराष्ट्र. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए CRPF के जवान सुनील काले का बुधवार को उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया। काले देशभक्ति के साथ समाजसेवा में भी सक्रिय थे। वे अपने गांव के विकास के लिए लगातार प्रयासरत थे। उनकी ख्वाहिश अपने गांव के अनपढ़ लोगों और बच्चों को पढ़ाकर आगे बढ़ाने की थी। शहीद होने से कुछ दिन पहले ही उनका प्रमोशन हुआ था। उनकी अंतिम विदाई में पूरा गांव उमड़ा पड़ा। मुखाग्नि बेटे ने दी। बता दें कि 41 वर्षीय काले 2000 में CRPF में भर्ती हुए थे। वे पिछले मंगलवार को शहीद हो गए थे। इस दौरान सुरक्षाबलों ने दो आतंकवादियों को मार गिराया था। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद से आतंकवाद की जड़ें हिल उठी हैं। घाटी में आतंकवाद अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है। आर्मी को फ्री हैंड मिलने के बाद से हर दूसरे-तीसरे दिन 2-3 आतंकवादी मारे जा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने बताया कि करीब साढ़े 5 महीनों के दौरान 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए हैं। इनमें 50 से अधिक हिजबुल मुजाहिदीन, करीब 20 लश्कर-ए-तैयबा और 20 जैश-ए-मोहम्मद और बाकी के छोटे आतंकवादी संगठनों से जुड़े थे। आतंकवादी संगठनों की नई भर्ती में कमी आई है। पढ़िए शहीद की कहानी..
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शहीद जवान सुनील काले का पार्थिव शरीर मंगलवार देर रात सोलापुर की बार्शी तहसील के तहत आने वाले उनके पैतृक गांव पान गांव लाया गया था। बुधवार को उनका अंतिम स्कार किया गया। काले कुछ महीने पहले से ही जम्मू-कश्मीर में तैनात थे। उनके परिवार में पत्नी और एक बेटा है।
शहीद काले पिछले 20 साल से CRPF में थे। कुछ समय पहले ही उन्हें हेड कांस्टेबल के पद पर प्रमोशन मिला था। वे जनवरी में अपने गांव आए थे। इस महीने फिर छुट्टी लेकर गांव आने वाले थे।
सुनील अपने गांव के विकास के बारे में बहुत सोचते थे। उन्होंने गांव के लोगों को शिक्षित करने का एक रोडमैप तैयार किया था।
शहीद ने दो दिन पहले ही अपने भाई से बात की थी। उन्होंने कहा था कि वे जैसे ही गांव पहुंचेंगे, कुछ योजनाओं पर काम शुरू करेंगे।
शहीद को अंतिम सलामी देने पूरा गांव उमड़ पड़ा था।