24 साल का लेखा-जोखा: चुनाव के बाद कब-कब हुआ सरकार बनाने को लेकर ड्रामा
मुंबई. महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटों के लिए 21 अक्तूबर को वोट डाले गए थे। 24 अक्तूबर को नतीजे आए और इसमें मौजूदा गठबंधन सरकार को स्पष्ट बहुमत भी मिल गया। लेकिन 15 दिन बीतने के बावजूद सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर सहमति नहीं बन पाई। 9 नवंबर तक विधानसभा का कार्यकाल पूरा होना है। और इस अवधि में ही सरकार का गठन करना होगा। ऐसा नहीं होने की स्थिति में राज्य में संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है। वैसे ये पहला मौका नहीं है जब राज्य में चुनाव के बाद सरकार के गठन को लेकर देरी हो रही है। आइए हम आपको जानकारी दे रहे हैं पिछले तीन दशक के दौरान कब-कब इस तरह देरी हुई और किसने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
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नतीजों के बाद शिवसेना-बीजेपी को सरकार बनाने में सिर्फ एक दिन का समय लगा था। शिवसेना के मनोहर जोशी मुख्यमंत्री जबकि बीजेपी के गोपीनाथ मुंडे ने उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।
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कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को नतीजों के बाद सरकार बनाने में 12 दिन लग गए थे। तब कांग्रेस के स्वर्गीय विलासराव देशमुख मुख्यमंत्री और एनसीपी के छगन भुजबल उप मुख्यमंत्री बने थे।
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नतीजों के बाद 17 दिन लगे कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को सरकार बनाने में। कांग्रेस के स्वर्गीय विलासराव देशमुख ने मुख्यमंत्री पद की और एनसीपी के आर आर पाटिल उप मुख्यमंत्री बने थे।
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कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधन की सरकार बनने में 17 दिन का समय लग गया। कांग्रेस के अशोकराव चव्हाण ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। छगन भुजबल उप मुख्यमंत्री बने थे।
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13 दिन में बीजेपी-शिवसेना ने सरकार बनाई। बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।
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सरकार में बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बन पाई है। नतीजों में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला है।
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