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कौन हैं गृहमंत्री अनिल देशमुख, जिनकी वजह से संकट में ठाकरे सरकार, किस्मत ऐसी जब चुनाव जीते बने मंत्री
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नागपुर जिले में काटोल के पास वाडविहिरा गांव के रहने वाले देशमुख ने 70 के दशक सेराजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। उन्होंने सबसे पहले चुनाव 1992 में जिला परिषद का चुनाव जीता था। इसके बाद वह पहली बार 1995 में निर्दलीय चुनाव लड़कर विधायक बने। इसके बाद उन्होंने बीजेपी को समर्थन दिया। राज्य में शिवसेना और बीजेपी के गठबंधन की सरकार बनी और देशमुख को स्कूली शिक्षा और सांस्कृतिक मंत्री बना दिया गया। अभी 70 साल के देशमुख अभी महाविकास आघाड़ी गठबंधन सरकार में गृहमंत्री हैं। वह राष्टवादी कांग्रेस पार्टी यानि NCP के नेता हैं।
1999 में जब महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और NCP नेता कांग्रेस छोड़ अपनी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बनाई तो देशमुख इसका हिस्सा बन गए। उन्होंने NCP ज्वॉइन कर ली। कुछ दिन बाद राज्य में विधानसभा चुनाव हुआ और NCP ने उन्हें अपने टिकट पर चुनावी मैदान में उतारा। देशमुख फिर एक बार विधायक बने और उन्हें मंत्री बना दिया गया। इसके बाद साल 2004 में चुनाव जीते और PWD जैसा बड़ा विभाग दिया गया। 2009 में अशोक चव्हाण और पृथ्वीराज चव्हाण महाराष्ट्र के सीएम रहे इस दौरान भी देशमुख का मंत्री पद दिया गया।
साल 2014 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव हुए जिसमें पहली बार अनिल देशमुख हार का सामने करते हुए चुनाव हार गए। इस बार ही ऐसा मौका था जब वह राज्य सरकार में मंत्रीमंडल का हिस्सा नहीं थे। वहीं 2019 में हुए विधानसभा चुनावों में वो फिर चुनाव जीत गए। इसके बाद उनको ठाकरे सरकार और महा विकास अघाड़ी में महाराष्ट्र का गृह मंत्री बना दिया गया।
अनिल देशमुख इससे पहली बार भी कई बार चर्चा में रह चुके हैं। 2001 में उनके खिलाफ खाद्य और उत्पाद मामले में ड्रग्स के आरोप थे, लेकिन वह राज्यमंत्री से कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे। जब उन्होंने महाराष्ट्र के सिनेमाघरों में राष्ट्रगीत को अनिवार्य कर दिया था, तब भी उनकी चर्चा हर जगह थी। वहीं राज्य में गुटखा खाने पर पाबंदी लगा दिया था उस दौरान भी वह चर्चा में रहे।
अब अनिल देशमुख मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के पास विस्फोटक मिलने से ही चर्चा में है। उन पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगा है, पूर्व क्राइम ब्रांच अधिकारी सचिन वाझे के लेकर भी वह बुरी तरह से फंसते हुए नजर आ रहे हैं। क्योंकि कहा जा रहा है कि देशमुख ने वाझे को कहा था कि मुझे मुंबई से हर महीने 100 करोड़ चाहिए। तुम यह वसूलकर मुझे लाकर दोगे।