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PM Modi Birthday: मोदी की वो 10 खासियतें, जो उन्हें बनाती हैं दुनिया का सबसे पसंदीदा लीडर
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2014 में पीएम बनने के बाद नरेन्द्र मोदी जब पहली बार संसद भवन पहुंचे तो लोकतंत्र के मंदिर को सिर झुकाकर प्रणाम किया। इस दौरान उन्होंने संसद की सीढ़ियों पर माथा टेका। नैतिक मूल्यों के प्रति पीएम मोदी की कर्तव्यनिष्ठा देख लोगों ने उनकी जमकर तारीफ की। वहीं, 2019 में भी भाजपा और एनडीए के संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद पीएम मोदी ने संसद के सेंट्रल हॉल में संबोधन से पहले भारतीय संविधान के आगे शीश झुकाया।
मोदी ने अपने 8 साल के कार्यकाल में कई कड़े लेकिन अहम फैसले लिए हैं। फिर चाहे नोटबंदी हो या पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक, उन्होंने ये साबित किया है कि वो फैसले लेने वाली और उस पर पुरजोर तरीके से काम करने वाली सरकार है। सभी मोर्चों पर मोदी ने लगातार खुद को फैसला लेने वाला दमदार प्रधानमंत्री साबित किया है।
मोदी की तमाम नीतियां खासकर गरीबों और गांवों को ध्यान में रखकर लागू की गई हैं। वो जनता की तकलीफ को समझते हैं। उन्होंने आम आदमी के इलाज के लिए आयुष्मान योजना के अलावा उज्जवला योजना और जनधन योजना लागू की। इसके अलावा उनकी ई-गर्वनेंस और पारदर्शी डिजिटल प्रणाली की वजह से अब गरीब और किसानों का पैसा सीधे उनके खाते में पहुंचता है। वहीं कोरोना जैसी महामारी में गरीबों के लिए मददगार नीतियां बनाकर सीधे उन तक फायदा पहुंचाया। वैक्सीन से लेकर गरीबों को लंबे समय तक मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया।
नरेन्द्र मोदी कड़े अनुशासन का पालन करते हैं। वो सुबह 5 बजे उठते हैं। इसके बाद रोज सुबह आधा घंटा योग और फिर ध्यान करते हैं। ऑफिस निकलने से पहले वे कुछ जरूरी फोन करते हैं और यदि कोई फाइल हो तो उसे देखते हैं। मोदी न सिर्फ खुद 18 घंटे से ज्यादा काम करते हैं, बल्कि अपने मंत्रियों से भी 18 घंटे काम करने के लिए कहते हैं। वे इस निर्देश की रोज मॉनिटरिंग भी करते हैं।
मोदी ने कई बार ये साबित किया है कि लीडरशिप में न केवल मौजूदा चुनौतियों से निपटना होता है, बल्कि आगे के विकास और बदलाव के लिए भी एक लॉन्गटर्म प्लानिंग के साथ चलना होता है। मोदी ने बताया कि उन्होंने किस तरह देश के लिए अगले 10 साल की योजनाएं बनाई हुई हैं। इन सारी योजनाओं के नतीजे भी अब दिखने लगे हैं।
मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद ये दिखाया है कि कोई भी काम या किसी भी योजना का अमलीकरण बगैर टीम की कड़ी मेहनत के नहीं हो सकता। यही वजह है कि उन्होंने ना केवल सरकार के कामकाज की संस्कृति बदली बल्कि नीचे सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों तक भी संदेश पहुंचाया कि जवाबदेही और जिम्मेदारी के साथ कड़ी मेहनत तो करनी ही होगी। बेहतर परिणाम देना होगा।
पीएम मोदी एक स्ट्रिक्ट रुटीन फॉलो करते हैं। इसमें हर काम की मॉनिटरिंग से लेकर उस पर रिएक्शन तक शामिल है। राजनीतिक विश्लेषक मोदी के काम करने के तरीके को कॉर्पोरेट स्टाइल वाला कहते हैं। मोदी नियमित रूप से योग करते हैं। योग से उनका शरीर इतना फिट रहता है कि वो लगातार 14 से 16 घंटे बिना रुके काम कर पाते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के लिए देश सबसे ऊपर है। वो अक्सर कहते हैं- सौगंध मुझे इस मिट्टी की, ये देश नहीं झुकने दूंगा। मोदी सिर्फ ऐसा कहते नहीं, बल्कि उनके सभी फैसलों में ये साफतौर पर नजर भी आता है। मोदी के लिए राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रहित पहले है। देश को पहले रखने की उनकी प्राथमिकता विदेश नीति से लेकर देश की सुरक्षा और व्यापार के साथ देश को आत्मनिर्भर बनाने की नीतियों में भी नजर आती हैं। वैश्विक स्तर पर भारत की बदली हुई और मजबूत छवि खुद इस बात की गवाह है।
पीएम मोदी ने साबित किया है कि अपने लक्ष्य को पाने के लिए कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। लक्ष्य बड़ा होता है। साल 2014 में पीएम मोदी का लक्ष्य स्वच्छ भारत अभियान था। इसे लेकर लोगों में जागरुकता लाने के लिए पीएम मोदी ने खुद झाड़ू उठाई और आसपास की गंदगी को साफ किया। पीएम मोदी को देखकर पार्टी के नेता और फिर आम जनता सफाई अभियान में जुट गए।
पीएम मोदी के व्यक्तित्व से सीखा जा सकता है कि आप चाहे जितने भी बड़े पद पर रहें। मानवता को हमेशा याद रखें। उससे बड़ा कोई धर्म नहीं। एक कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी की तस्वीर लेने के चक्कर में एक फोटोग्राफर गिर गया था। इसके बाद पीएम मोदी ने फौरन उसे हाथ देकर उठने में मदद की। आमतौर पर देखा गया है कि पीएम की सुरक्षा में लगे सिक्योरिटी गार्ड मदद कर देते हैं। लेकिन पीएम मोदी ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने खुद उस पत्रकार को उठने में मदद की।
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