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20 दिन पहले हो गई थी महिला की मौत, शव घर में रख बच्चों से आत्मा वापसी की पूजा कराता रहा तांत्रिक
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इंदिरा नाम की एक औरत डिंडीगुल के एक महिला पुलिस थाने में हेड कांस्टेबल के रूप में काम करती थी। महिला को गुर्दों से संबंधित तकलीफ रहती थी। कुछ साल पहले ही इंदिरा अपने बच्चों को लेकर अलग हो गई थी। इंदिरा के 13 साल का लड़का और एक 9 साल बच्ची है। दोनों बच्चों को इंदिरा अकेले ही पाल रही थी।
गुर्दे की तकलीफ के कारण इंदिरा ने कुछ समय पहले स्वैच्छिक रिटायरमेंट के लिए पुलिस विभाग में अनुरोध भी किया था। कुछ दिनों से इंदिरा पुलिस स्टेशन नहीं आ रही थी। जिसके बाद एक महिला कांस्टेबल इंदिरा के घर जानकारी लेने के लिए पहुंची। घर के अंदर उसे दोनों बच्चे मिले। घर के अंदर से तेज बदबू आ रही थी।
महिला कांस्टेबल ने बच्चों से इंदिरा के बारे में पूछा तो बच्चों ने बताया कि मां सो रही है और उसे उठाना नहीं है, नहीं तो भगवान उसे नुकसान पहुंचा देंगे। जब महिला कांस्टेबल को कुछ शक हुआ तो उसने अधिकारियों को इस मामले में सूचित किया। जब पुलिस आई तो उसे जांच में पता चला कि इंदिरा की मौत हो चुकी है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक 20 दिन पहले ही इंदिरा ने दम तोड़ दिया था। इंदिरा के आसपास पूजा आदि की सामग्री पड़ी हुई थी। पुलिस ने जांच की तो पता चला इंदिरा ने 7 दिसंबर के दिन ही होश खो दिया था। लेकिन पुजारी सुदर्शन की सलाह पर उसे अस्पताल नहीं ले जाया गया। पुजारी ने बच्चों और इंदिरा की बहन से कहा कि वे इंदिरा को अस्पताल न ले जाएं अन्यथा भगवान इंदिरा की रक्षा नहीं करेंगे।
सुदर्शन भी तब से लेकर अब तक परिवार के साथ ही घर में रुका रहा। घर को बाहर से बंद करने के बाद 20 दिनों तक इंदिरा की आत्मा वापस लाने के लिए पूजा की जाती रही। पुलिस भी स्तब्ध रह गई जब इंदिरा के बच्चे पुलिस से कहने लगे कि कोई उनकी मां को परेशान न करे, वो केवल सो रही है। फ़िलहाल पुलिस ने पुजारी सुदर्शन और इंदिरा की बहन को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है।