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चीन ने रूस से खरीदे 500 कॉम्बैट हेलिकॉप्टर, भारत के खिलाफ मुकाबला है उसके लिए बड़ी चुनौती
नेशनल डेस्क। भारत से सीमा विवाद में कमजोर पड़ते जा रहे चीन ने अपनी ताकत बढ़ाने के लिए रूस से 500 एमआई 17 (Mi17) हेलिकॉप्टरों की खरीद का सौदा किया है। इससे साफ जाहिर है कि उसे चीन निर्मित हेलिकॉप्टरों और दूसरे युद्धक विमानों पर भरोसा नहीं रह गया है। रूस से बड़ी संख्या में कॉम्बैट हेलिकॉप्टरों की खरीद कर चीन उन्हें भारत के खिलाफ पूर्वी लद्दाख में तैनात करना चाहता है। इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने रूस को 500 हेलिकॉप्टर का ऑर्डर दिया था, जिनमें से 140 हेलिकॉप्टरों की डिलिवरी उसे हो चुकी है। बाकी हेलिकॉप्टरों की डिलिवरी चीन को अगले 4 साल के दौरान होगी। इनमें एमआई 17 1ई (Mi-171E), एमआई 17एसएच (Mi-17SH) और एमआई-171एलटी (Mi-171LT) शामिल हैं।
| Published : Jan 20 2021, 12:40 PM IST / Updated: Jan 20 2021, 12:47 PM IST
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भारत और चीन की सेना पिछले 8 महीने से पूर्वी लद्दाख में जमी हुई है। सैन्य विशेषज्ञों के मुताबिक, भारतीय सेना हवाई हमले में चीन पर भारी पड़ रही है, जबकि चीन के पास ज्यादा संख्या में स्पेस वॉरफेयर के लिए संसाधन और हथियार मौजूद हैं। अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाने के लिए चीन ने रूस से स्टील्थ हेलिकॉप्टर (Stealth Choppers) मंगवाने का निर्णय लिया है।
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चीन के जेड 10 (Z-10) हेलिकॉप्टर और हल्के वजन वाले जेड 20 (Z-20) हेलिकॉप्टर अपनी कम इंजन क्षमता की वजह से लद्दाख में ज्यादा कारगर साबित नहीं हो पा रहे हैं। उनके जरिए ज्यादा संख्या में सैनिकों को भी नहीं लाया जा सकता है। जेड 20 (Z-20) हेलिकॉप्टर भी हथियारों से लैस नहीं हैं और उनमें आर्मर्ड प्रोटेक्शन की सुविधा नहीं है। इसके अलावा, उनमें आउटबोर्ड फ्यूल टैंक भी नहीं है। लेकिन जहां संख्या की बात आता है, चीन भारत से काफी आगे है। फिलहाल, चीन के पास 280 कॉम्बैट हेलिकॉप्टर है, जबकि भारत के पास सिर्फ 70-80 हेलकॉप्टर ही हैं।
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एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भारत संख्या बल में चीन का मुकाबला नहीं कर सकता है, लेकिन इसके हेलिकॉप्टर युद्धक क्षमता में चीन के हेलिकॉप्टर्स पर भारी पड़ते हैं। भारत के पास एएलएच (ALH), एमआई-17वी5 (Mi-17V5) और चिनूक (Chinook) हेलिकॉप्टर हैं।
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कैम्ब्रिज के बेल्फर सेंटर फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल अफेयर्स (Belfer Center for Science and International Affairs) ने साल 2020 में एक रिसर्च में भारत और चीन की स्ट्रैटेजिक एसेट्स की तुलना की थी। इस रिसर्च स्टडी में सेंटर का मानना था कि भारत अब 1962 की स्थिति से निकल चुका है और इसे किसी हमले में आसानी से हरा पाना मुश्किल होगा।
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स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयरफोर्स (PLAAF) के लिए भारत के सीमाई इलाके में भारतीय वायुसेना को चुनौती दे पाना आसान नहीं होगा। भारत ने एयर वॉरफेयर में अपनी ताकत काफी बढ़ा ली है और वह चीन के हवाई हमलों का जवाब दे पाने में पूरी तरह सक्षम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडियन ईस्टर्न एयर कमांड चीन के खिलाफ कम से कम 101 फाइटर विमानों और हेलिकॉप्टर्स को तैनात कर सकता है।