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अब अरुणाचल में 4.5 किमी अंदर घुसकर चीन ने बसा लिया गांव, सेटेलाइट तस्वीर ने मचाया हड़कंप
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यह तस्वीर नवंबर, 2020 में सामने आई। जबकि अगस्त, 2019 की सेटेलाइट तस्वीर में ऐसा कोई गांव नजर नहीं आ रहा है। आशंका है कि सालभर के अंदर यह गांव बसाया गया है। बता दें कि अक्टूबर में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आरोप लगाया था कि भारत सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहा है। सेना की तैनाती भी की जा रही है। यह विवाद का कारण है। हालांकि तस्वीरों से चीन का यह दावा झूठा निकलता है। क्योंकि गांव के आसपास भारत की कोई रोड या अन्य निर्माण नहीं दिख रहा।
नवंबर 2020 में अरुणाचल प्रदेश से बीजेपी के सांसद तापिर गावो ने लोकसभा में इसे लेकर आगाह किया था कि चीन की घुसपैठ बढ़ रही है। जहां चीन ने गांव बसाया है, इस जगह का उन्होंने उल्लेख किया था। गावो ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि चीन सुबनसिरी जिले में सीमा में 60 से 70 किमी अंदर घुस आया है।
1962 के युद्ध में चीनी सेना ने अरुणाचल प्रदेश के आधे से ज्यादा हिस्से पर कब्जा कर लिया था। अचानक चीन ने एकतरफा युद्ध विराम की घोषणा की और सेना को मैकमोहन रेखा के पीछे हटा लिया।
(भारतीय सेना के बीच नेहरूजी)
मौजूदा तस्वीर ने फिर एक सवाल खड़ा किया है कि अगर चीन को 1962 की लड़ाई में अरुणाचल प्रदेश से पीछे हटना था, तो अब गांव क्यों बसा रहा?
(अरुणाचल प्रदेश की तस्वीर)
चीन अरुणा प्रदेश को मान्यता नहीं देता। वो मानता है कि यह दक्षिणी तिब्बत का इलाका है। चीन ने 1906-07 में धोखे से तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। वो तिब्बत के धर्म गुरु दलाई लामा को मान्यता नहीं देता।
(तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा की एक तस्वीर)
जब 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया, तो चीन ने आपत्ति ली थी। 2014 में जब मोदी अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर गए, तब भी चीन ने नाराजगी दिखाई थी। बता दें कि 1986 में भी तवांग के सुम्दोरोंग चू के पास चीनी सेना ने स्थायी इमारतें बनाई थीं।
(अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर मोदी)