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कोरोना को हराने में कारगर साबित हो रहीं ये 5 दवाइयां, दुनिया भर में अब तक ठीक हुए 19.19 लाख लोग

नई दिल्ली. दुनिया भर में कोरोना वायरस का प्रकोप तेज होता जा रहा है। उतनी तेजी के साथ ही वैक्सीन खोजने का काम चल रहा है। दुनिया भर के कई देश वैक्सीन की तलाश में दिन रात जुटे हुए हैं। आए दिन किसी न किसी दवा का क्लिनिकल टेस्टिंग की जा रही है। जबकि कई देशों वैक्सीन को लेकर इंसानी ट्रायल भी की जा रही है। वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल ने लोगों की उम्मीदें और बढ़ा दी हैं। अभी दुनिया में वैक्सीन को लेकर कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। लेकिन 49 लाख 10 हजार 671 संक्रमित में से अब तक 19 लाख 19 हजार 150 मरीज ठीक हो चुके हैं। आइए जानते हैं कि कौन-कौन सी दवाएं अब तक  COVID-19 के इलाज में कारगर दिखी हैं। 

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Asianet News Hindi
Published : May 19 2020, 04:35 PM IST| Updated : May 19 2020, 04:49 PM IST
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अमेरिका ने रेमडेसिवीर दवा को बनाया हथियार 
लंबे ट्रायल के बाद, दवा बनाने वाली कंपनी गिलिएड साइंसेज ने रेमडेसिवीर दवा को COVID-19 के मरीजों पर इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है। भारत और पाकिस्तान की पांच दवा कंपनियों को बड़े पैमाने पर यह दवा बनाने का कॉन्ट्रैक्ट मिला है। यह एक एंटीवायरल ड्रग है। 

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रेमडेसिवीर दवा कोरोना वायरस की जेनेटिक मशीनरी, RNA की कॉपी बनाने का काम करता है और इसके प्रतिरूप को धीमा कर देता है, जिससे कोरोना के मरीज 15 दिन की बजाय चार दिन में ही ठीक होने लगते हैं। यह दवा सबसे पहले इबोला वायरस के संक्रमण के इलाज में इस्तेमाल की गई थी। जिसके बाद वैज्ञानिकों ने इसका प्रयोग कोरोना मरीजों पर किया। जिसका लाभ दिखने पर वैज्ञानिकों की टीम ने इसे भी इलाज में शामिल करने की मंजूरी दे दी। 

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प्लाज्मा थेरेपी से भी उपचार 
प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के शरीर से लिए गए प्लाज्मा को कोरोना के एक्टिव मरीजों के शरीर में डाला जाता है जिससे, उस मरीज के शरीर में कोरोना से लड़ने की एंटीबॉडी बन जाती है। दिल्ली के कई अस्पतालों में प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल जारी है।  अस्पतालों नें अपने ट्रायल में इस थेरेपी को मरीजों पर काफी असरदार बताया है। 

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सैप्सिवैक दवा का चंडीगढ़ में प्रयोग 
चंडीगढ़ स्थित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च ने एसिम्प्टोमैटिक कोरोना वायरस के मरीजों पर सेप्सिवैक दवा का  क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के निष्कर्ष के अनुसार कुष्ठरोग में इस्तेमाल होने वाली यह दवा कोरोना के मरीजों की मृत्यु दर कम करने में मदद कर सकती है। 

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PGIMER चंडीगढ़ स्टडी में  क्लीनिकल ट्रायल के कोऑर्डिनेटर डॉक्टर राम विश्वकर्मा ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि इम्यूनोमॉड्यूलेटरी सेप्सिवैक को कोरोना वायरस मरीजों को एक वैक्सीन की तरह दिया जाएगा ताकि वो SARS-CoV-2 के दोबारा संक्रमण से बच सकें। 
 

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HCQ दवा बनी मददगार 
ICMR ने 22 मार्च को COVID-19 से पीड़ित स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की सिफारिश की थी। इसके बाद इस एंटी मलेरियल ड्रग की बिक्री आसानी से शुरू हो गई थी। अमेरिका, ब्राजील और इजरायल जैसे कई देशों में इस दवा का निर्यात भी किया जाने लगा। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का उपयोग कोरोना मरीजों के इलाज में किया गया। 
 

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फेवीपिरवीर
इस दवा का सबसे पहले इस्तेमाल जानलेवा इन्फ्लुएंजा वायरस के खिलाफ किया जाता था। जापान में COVID-19 के मरीजों पर इस दवा का परीक्षण किया जा रहा है।

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