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निर्भया के दरिंदों को इस साल भी फांसी नहीं, सात साल से इस तरह मिल रही सिर्फ तारीख पर तारीख
नई दिल्ली. दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 16-17 दिसंबर, 2012 की रात में 23 साल की निर्भया से 6 लोगों ने बर्बरता पूर्वक सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बुरी तरह जख्मी हालत में सड़क पर फेंक दिया था। निर्भया की 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर में माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में मौत हो गई थी। इस घटना को सात साल बीत गए। पहले माना जा रहा था कि निर्भया को इस साल न्याय मिल जाएगा। लेकिन न्याय व्यवस्था और कानून के पंचड़ों में फंसे इस केस में यह साल फिर तारीखों में ही उलझ गया।
| Published : Dec 19 2019, 01:16 PM IST / Updated: Dec 20 2019, 05:23 PM IST
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भले ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चौथे दोषी की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। लेकिन अभी भी दोषियों के पास तमाम कानूनी हक बचे हुए हैं। एक दोषी पवन ने दिल्ली हाईकोर्ट में दावा किया है कि वह घटना के वक्त नाबालिग था। उधर, इन दोषियों के पास अभी रिव्यू पिटीशन और क्यूरेटिव पिटीशन का विकल्प है।
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निर्भया का दोषी नंबर 1, मुकेश सिंह - निर्भया से गैंगरेप का दोषी मुकेश बस क्लीनर का काम करता था। जिस रात गैंगरेप की यह घटना हुई थी उस वक्त मुकेश सिंह बस में ही सवार था। गैंगरेप के बाद मुकेश ने निर्भया और उसके दोस्त को बुरी तरह पीटा था।
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निर्भया का दोषी नंबर 2, विनय शर्मा- निर्भया का दोषी विनय जिम ट्रेनर का काम करता था। वारदात वाली रात विनय बस चला रहा था। इसने पिछले साल जेल के अंदर आत्महत्या की कोशिश की थी लेकिन बच गया।
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निर्भया का दोषी नंबर 3, पवन गुप्ता- पवन दिल्ली में फल बेंचने का काम करता था। वारदात वाली रात वह बस में मौजूद था। पवन जेल में रहकर ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा है।
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निर्भया का दोषी नंबर 4, अक्षय ठाकुर- यह बिहार का रहने वाला है। इसने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और दिल्ली चला आया। शादी के बाद ही 2011 में दिल्ली आया था। यहां वह राम सिंह से मिला। घर पर इस पत्नी और एक बच्चा है।