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सत्ता का क्रेज: किसी ने छोड़ी करोड़ों की नौकरी तो कोई छुट्टी पर, ऐसे थे चुनाव के ये अनोखे उम्मीदवार
| Published : Oct 24 2019, 08:56 AM IST
सत्ता का क्रेज: किसी ने छोड़ी करोड़ों की नौकरी तो कोई छुट्टी पर, ऐसे थे चुनाव के ये अनोखे उम्मीदवार
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हरियाणा में पुन्हाना से चुनाव लड़ी नौक्षम चौधरी काफी चर्चा में रहीं। नौक्षम लंदन में पब्लिक रिलेशन की 1 करोड़ रुपए की नौकरी छोड़कर हरियाणा के सबसे पिछड़े जिलों में से एक मेवात के पुन्हाना विधानसभा में चुनाव लड़ा था। नौक्षम भाजपा की सीट पर चुनावी मैदान में थीं। पिता रिटायर्ड जज और मां बड़ी अधिकारी हैं। मिरांडा हाउस कॉलेज में छात्र संघ नेता रही नौक्षम ने अगस्त में ही भाजपा की सदस्यता ली थी। वह गांव का विकास करने विदेश से आई हैं। नौक्षम खूबसूरती के कराण भी सोशल मीडिया पर चर्चा में रही है।
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अरुण बीसला पेटीएम से इंजीनियर की लाखों के पैकेज की नौकरी छोड़ नेतागिरी में आए हैं। उन्होंने बल्लभगढ़ विधानसभा से बहुजन समाज पार्टी की सीट पर चुनाव लड़ा। आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग से इंजीनियरिंग ग्रेजुएट अरुण की अच्छी खासी तनख्वाह थी। उनके दादा चौधरी सुमेर सिंह आजादी से पहले और आजादी के बाद विधायक रहे इसलिए वह इस विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
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कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में बतौर लेक्चरर कार्यरत डॉ. संतोष दहिया चुनाव लड़ा था। इसके लिए उन्होंने बकायदा छुट्टी ली थी। वह जजपा पार्टी से लाडवा सीट पर चुनावी मैदान में थीं। संतोष दहिया 2014 में बेरी विधानसभा से इनेलो की सीट पर भी चुनाव लड़ चुकी हैं।
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हरियाणा की रेसलर बबीता फौगाट ने चुनाव के लिए अपनी इंस्पेक्टर की नौकरी छोड़ दी थी। बबीता यूं भी पहलवानी को लेकर काफी फेमस हैं। उन्होंने भाजपा की सीट पर चरखी दादरी से चुनाव लड़ा था।
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डॉ. राकेश कुमार डिप्टी सिविल सर्जन से राजनीति में आए हैं। उन्होंने झज्जर में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था। हालांकि डॉ. राकेश ने पिछली बार भी चुनाव लड़ने का प्रयास किया था लेकिन उन्हें वीआरएस नहीं मिल पाया था।
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इसी तरह पहलवान योगेश्वर दत्त डीएसपी की नौकरी छोड़कर भाजपा के टिकट पर बरोदा विधानसभा से चुनाव लड़ा था।