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आखिर क्यों राज्य सरकारों के लिए मजबूरी है 'शराब', 2019-20 में 26 हजार करोड़ रु. कमा चुकी है यूपी सरकार
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राज्यों के लिए कमाई का दूसरा नाम है 'शराब'।
शराब की बिक्री क्यों चाहती हैं राज्य सरकारें: इस सवाल का जवाब शराब की बिक्री से होने वाली राज्यो की कमाई है। हालांकि, राज्यों को कितनी कमाई होती है, जो कोरोना के खतरे को दरकिनार रखकर शराब की दुकानों को खोलने पर आमादा है।
शराब की दुकानें खोलने की अनुमति क्यों मिली:
केंद्र सरकार ने पहले और दूसरे लॉकडाउन में शराब की दुकानों को बंद रखने का ऐलान किया था। इसके बाद से कई राज्य लगातार शराब की बिक्री की अनुमति देने की मांग कर रहे थे। कुछ राज्य तो इसकी होम डिलीवरी भी कराने के पक्ष में थे। ऐसे में केंद्र ने तीसरे लॉकडाउन में राज्यों की सिफारिश पर दुकानों को खोलने का फैसला किया।
आखिर राज्यों की शराब से कितनी होती है कमाई?
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो लॉकडाउन में शराब की बिक्री रुकने से हर रोज करीब 700 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। दरअसल, राज्य सरकारों को स्टेट जीएसटी, भू राजस्व, पेट्रोल डीजल पर लगने वाले वैट, शराब पर लगने वाले एक्साइज और अन्य टैक्सों से कमाई होती है। अकेले शराब से राज्यों को 15-30% आय होती है। जो कुल राजस्व का बड़ा हिस्सा होता है। 2019 के इन दिनों के आंकड़े को देखें तो लॉकडाउन के 40 दिनों में राज्यों को 27 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
किस राज्य को शराब की बिक्री में कितनी आय होती है?
राज्यों को 15-30% आय शराब से होती है। हाल ही में राजस्थान में शराब पर एक्साइज टैक्स 10 फीसदी बढ़ा दिया गया। यहां अंग्रेजी शराब पर पर टैक्स 35 से 45 फीसदी तक हो गया। यानी 100 रुपए की शराब खरीदने पर ग्राहक 35-45 रुपए सरकार को देते हैं। अगर पिछले साल शराब बिक्री की बात करें तो सबसे ज्यादा कमाई यूपी को हुई।
शराब की बिक्री से वित्त वर्ष 2019-20 में महाराष्ट्र को 24,000 करोड़ रु, उत्तर प्रदेश को 26,000 करोड़, तेलंगाना को 21,500 करोड़, प बंगाल को 11,874 करोड़, राजस्थान को 7,800 करोड़, पंजाब को 5,600 करोड़, दिल्ली को 5,500 करोड़ रुपए की कमाई हुई है।
इन राज्यों में शराबबंदी लागू
ऐसा नहीं है कि पूरे भारत में शराब की बिक्री होती हो। भारत के चार राज्यों गुजरात, बिहार, मिजोरम और नागालैंड में काफी पहले से शराबबंदी लागू है।
इन राज्यों में शराब बंदी हुई फेल:
1996 में हरियाणा में शराबबंदी लागू की गई थी। लेकिन इसे 1998 में हटा लिया गया था। सरकार का अनुमान था कि शराबबंदी से उस दौरान हरियाणा को राजस्व में 1200 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।
इसी तरह से आंध्र प्रदेश में एनटी रामा राव ने जीत के बाद 1994 में राज्य में शराब की बंदी की थी। लेकिन 1995 में जब सत्ता उनके हाथ से चंद्रबाबू नायडू के हाथों में पहुंची तो उन्होंने 1997 में शराब पर लागू प्रतिबंध हटा दिए। राज्य में 16 महीने शराबबंदी लागू रही। इस दौरान राज्य को करीब 1200 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।