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मैं दिहाड़ी मजदूर हूं, मुझे क्यों पीट रहे...खून से सना शख्स पूछता रहा सवाल, लेकिन दंगाइयों ने एक ना सुनी
नई दिल्ली. संशोधित नागरिकता कानून को लेकर दिल्ली में भड़की हिंसा के बीच फंसा मोहम्मद लईक भीड़ के हाथों पिटने के बाद अधमरा हो गया। पुलिसकर्मी उसे उठाकर लाए। खून से लथपथ लईक पुलिसवालों के सामने गिड़गिड़ा रहा था कि मुझे अपने लोगों के बीच ले जाकर छोड़ दो। पुलिसवालों ने उसे सड़क के किनारे फुटपाथ पर बिठा दिया। इस दौरान लईक ने कहा, ‘मैं दिहाड़ी मजदूर हूं। मुझे पता नहीं कि भीड़ ने मुझे क्यों पीटा।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घायल मोहम्मद लईक (32) परिवार के साथ घोंडा इलाके में रहता है। उसने बताया कि वह कढ़ाई का काम करता है। सोमवार शाम 4 बजे वह घर जा रहा था। उपद्रव कर रहे लोगों ने उसे रोका और लाठी-डंडों से हमला कर दिया। पिटाई से उसका सिर फट गया। इस दौरान एक हाथ टूट गया। लईक ने बताया कि पुलिस ने उसे किसी तरह बाहर निकाला। पुलिस के घेरे के बीच वह काफी देर बैठा रहा।
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घरों में घुसकर पुलिस के सामने ही बरसाते रहे पत्थरः जाफराबाद में रविवार सुबह 9 बजे के बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले चलाने शुरू कर दिए। जवाब में उपद्रवियों ने घरों में तोड़फोड़ शुरू कर दी। उपद्रवियों की बेखौफ भीड़ एक पक्ष के घरों में घुस गई और लोगों को पीटना शुरू कर दिया। करीब 6 घंटे तक घरों पर पत्थर बरसते रहे और पुलिस कुछ नहीं कर पाई। यह देखकर जान बचाने के लिए लोग अपने घरों में दुबकने को मजबूर हो गए।
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पत्थर बरसा रहे लोगों को पुलिस एक तरफ से खदेड़ती तो उनके साथी दूसरी तरफ से पथराव शुरू कर देते। इसके बाद पुलिस की मौजूदगी में ही उन्होंने कई दुकानों में आग लगाई और सैकड़ों घरों के शीशे तोड़ दिए। पुलिसकर्मी रह-रह कर डंडे पटकर उग्र भीड़ को काबू में करने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन उपद्रवी घरों पर पथराव करते रहे। इसी दौरान उपद्रवियों ने 30 से अधिक लोगों को पीट-पीट कर लहूलुहान कर दिया। हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने दुकानों के ताले तोड़कर लूटपाट की भी कोशिश की। उपद्रव करीब 6 घंटे चला।
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मौजपुर में सोमवार को उग्र भीड़ अचानक इलाके के कुछ घरों में घुस गई और तोड़फोड़ शुरू कर दी। उस वक्त घरों में मौजूद लोगों ने उनके कई बार हाथ-पैर जोड़े, पर उन्होंने किसी पर रहम नहीं किया। (फोटो-हिंसा के दौरान दंगा कर रहे लोगों ने पेट्रोल पंप को आग के हवाले कर दिया)
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मौजपुर में उपद्रवियों ने अपने इलाके में दूसरे गुट से संबंधित लोगों के घरों में घुसकर तोड़फोड़ की। आलम यह था कि घरों में घुस रहे उपद्रवियों को रोकने के लिए घरवाले छतों से हाथ जोड़ रहे थे, लेकिन उपद्रवी नहीं माने। बवाल के दौरान घरवालों ने चीख-चीखकर पुलिस से मदद मांगी, लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी। काफी देर तक चले इस बवाल के बाद पुलिस ने लाठी फटकारकर भीड़ को खदेड़ दिया। (फोटो- हिंसा में घायलों को ले जाती पुलिस)
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आईडी कार्ड जांच कर की जा रही थी पिटाईः मौजपुर मेट्रो स्टेशन के पास जारी उपद्रव के दौरान रास्ते से गुजरने वाले राहगीरों को आई कार्ड देखने के बाद आगे जाने दिया जा रहा था। सीएए समर्थकों को जैसे ही अहसास होता कि सामने वाला सीएए विरोधी है तो उसकी जमकर धुनाई की जा रही थी। उनकी पिटाई के बाद सभी घायलों को पुलिस को सौंप दिया जाता था। ( फोटो- हिंसा के दौरान वाहनों को आग के हवाले कर दिया)
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पुलिस उन्हें अस्पताल भेजने के बजाय एक किनारे बिठा रही थी। वहीं, एक दफा भीड़ ने एक सीएए समर्थक को ही दौड़ा लिया। यह देखने के बाद लाउडस्पीकर से उसके सीएए समर्थक होने की सूचना प्रसारित की गई। तब कही जाकर भीड़ ने उसे जाने दिया।
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