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हाड़ मांस गला देने वाली ठंड थी, उसी बीच 1000 चीनी सैनिकों ने धोखे से किया हमला...उस रात की पूरी कहानी

नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख में चीन ने कैसे धोखा देकर भारतीय सैनिकों पर हमला किया और किन परिस्थितियों में भारतीय सैनिकों ने चीन को धूल चटा दी, इसकी पूरी कहानी हिंसक झड़प में घायल सुरेंद्र सिंह ने बताई। सुरेंद्र का इलाज लद्दाख के सैनिक हॉस्पिटल में चल रहा है। 12 घंटे बाद जब उन्हें होश आया तो घरवालों को फोन कर पूरी बात बताई। 15 जून की रात को दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प में दोनों ओर नुकसान पहुंचा गया है। बताया जा रहा है कि इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए, जबकि चीन के 40 सैनिकों को नुकसान पहुंचा है। इनमें से कुछ मारे गए हैं, कुछ गंभीर रूप से घायल हुए हैं। भारतीय अफसरों ने अमेरिकी इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के हवाले से यह जानकारी दी।

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Asianet News Hindi
Published : Jun 18 2020, 07:06 PM IST| Updated : Feb 05 2022, 03:21 PM IST
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पहले बता देते हैं कि चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारत का क्या रुख है। भारतीय विदेश मंत्रालय चीन को लेकर अपने रुख पर कायम है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा, गलवान घाटी में चीन की ओर से सुनियोजित तरीके से यह हरकत की गई। इसी वजह से यह हिंसा हुई। इस हिंसा में दोनों तरफ के लोग हताहत हुए हैं। भारत ने अपनी सभी गतिविधियां अपनी सीमा के अंदर की हैं। हमें चीन से ऐसी उम्मीद नहीं थी।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ईस्टर्न लद्दाख में राजनयिक और सैन्य स्तर पर तनाव कम करने के लिए बातचीत चल रही थी। 6 जून को भी बैठक हुई थी। 15 जून की रात को चीन ने गलवान वैली में यथास्थिति बदलने की कोशिश की। इसके बाद यह झड़प हुई। हालांकि, विदेश मंत्रालय ने यह भी साफ कर दिया है कि भारत का कोई भी जवान लापता नहीं है।

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सुरेंद्र सिंह ने बताया, चीनी सैनिकों ने धोखे से गलवान घाटी से निकलने वाली नदी पर अचानक हमला कर दिया। 4 से 5 घंटे तक दोनों देशों के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष चलता रहा। 

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सुरेंद्र ने बताया कि हिंसक झड़प के वक्त भारत की तरफ से करीब 2 से ढाई सौ जवान थे, लेकिन चीन पूरी तैयारी में था। उसकी तरफ 1000 जवान थे। पूरे के पूरे जवान भारतीय सैनिकों पर टूट पड़े। लेकिन हमने भी मुंहतोड़ जवाब दिया। 
 

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सुरेंद्र ने बताया, गलवान घाटी की नदी में हाड़- मांस गला देने वाली ठंडे पानी में यह संघर्ष चलता रहा। 

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उन्होंने बताया, नदी के किनारे मात्र एक आदमी के लिए निकलने की जगह थी। इसलिए भारतीय सैनिकों को संभलने में परेशानी हुई। लेकिन भारतीय सैनिकों ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया। 

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सुरेंद्र ने फोन पर बताया कि हिंसक झड़प में उनका एक हाथ फैक्चर हो गया। सिर में एक दर्जन से अधिक टांके लगे हैं। सिर में चोट लगने के बाद वह वहीं पर बेहोश हो गए। 

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सुरेंद्र ने बताया कि सिर में चोट लगने की वजह से वह वहीं पर गिर गए। फिर उनके साथियों ने उन्हें वहां से निकाला। फिर हॉस्पिटल में भर्ती कराया। 
 

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सुरेंद्र ने बताया कि उनका मोबाइल और कागजात नदी के पानी में ही बह गया। उन्होंने कहा कि हम कम थे, फिर भी चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया।  
 

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सुरेंद्र सिंह राजस्थान के अलवर जिले के नौगांवा के रहने वाले हैं। लद्दाख के अस्पताल में भर्ती सुरेंद्र सिंह से फोन पर परिजनों की बात होने के बाद उन्हें ढांढस बंधा है। सुरेंद्र सिंह की पत्नी, बच्चों के साथ अलवर के सूर्य नगर नई बस्ती में रहती हैं। 

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सुरेंद्र सिंह के पिता बलवंत सिंह ने बताया, बुधवार को दोपहर फोन आया तो उन्हें बस इतना ही बताया गया कि झगड़े में उनके बेटे के सिर में चोट लगी है और अब वह पूरी तरह से ठीक है। 

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पूर्वी लद्दाख में 15 जून को भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों के पास वापस जाने के लिए कहने आए थे। लेकिन चीनी सैनिक पहले से ही पत्थल इकट्ठा हुए तैयार थे। उन्होंने भारतीय सैनिकों पर ऊंचाई से पत्थर बरसाए। फिर कील लगे डंडे और लोहे की रॉड से हमला किया। बता दें कि सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए। हालांकि भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को मारते-मारते दम तोड़ा। यही वजह है कि चीन के 40 जवान की मौत हुई।
 

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पूर्वी लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच झपड़ में भारत के कर्नल रैंक के अधिकारी सहित 20 जवान शहीद हो गए। इस घटना पर विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि चीन ने ऐसा क्यों किया? विदेश मंत्रालय ने बताया कि जहां एक तरफ बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने की कोशिश हो रही है, वहां चीन ने ऐसी धोखेबाजी क्यों की? मंत्रालय ने साफ-साफ शब्दों में कह दिया कि 15 जून को देर शाम और रात को चीन की सेना ने वहां यथास्थिति बदलने की कोशिश की। यथास्थिति से मतलब है कि चीन ने एलएसी बदलने की कोशिश की। भारतीय सैनिकों ने रोका और इसी बीच झड़प हुई।

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