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लड़ाकू विमान MiG-29 से लेकर रोमियो हेलिकॉप्टर तक, इन हथियारों से लैस होगा एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत
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विक्रांत पर 30 विमानों को तैनात किया जा सकता है। इसका मुख्य हथियार लड़ाकू विमान है। भारतीय वायु सेना वर्तमान में रूस से खरीदे गए मिग-29के विमानों का इस्तेमाल कर रही है। आईएनएस विक्रमादित्य पर इन विमानों को तैनात किया गया है। विक्रांत के लिए नौसेना नए लड़ाकू विमान खरीदने जा रही है। इसके लिए अमेरिका के F/A-18 सुपर हॉर्नेट और फ्रांस के राफेल एम के बीच मुकाबला चल रहा है।
दोनों में से किसी एक विमान के लिए सौदा जल्द होगा। तब तक विक्रांत से MiG-29 विमानों को ऑपरेट किया जा सकता है। दो इंजन वाला यह विमान हवाई लड़ाई में दूसरे लड़ाकू विमानों पर भारी पड़ता है। इसके साथ ही यह जमीन और समुद्र में मौजूद टारगेट को भी निशाना बना सकता है।
F/A-18 सुपर हॉर्नेट अमेरिकी लड़ाकू विमान है। अमेरिकी नौसेना अपने एयरक्राफ्ट कैरियर से इसका इस्तेमाल करती है। विक्रांत के लिए F/A-18 खरीदने को लेकर बात चल रही है। अमेरिकी कंपनी बोइंग ने अपने इस विमान की क्षमता का प्रदर्शन गोवा में भारतीय नौसेना के सामने किया है। दो इंजन वाला F/A-18 सुपर हॉर्नेट मल्टीरोल फाइटर प्लेन है। हवा से हवा में लड़ाई हो या जमीन पर हमला करना, यह हर तरह के मिशन को अंजाम दे सकता है। इसके पंखों की चौड़ाई 44 फीट 8 इंच है। फोल्ड होने पर यह घटकर 30 फीट 7 इंच रह जाती है।
विक्रांत के लिए फ्रांस से राफेल एम खरीदने को लेकर भी बात हो रही है। राफेल दो इंजन वाला लड़ाकू विमान है। हवा से जमीन या समुद्र की सतह पर हमला, जासूसी या परमाणु हमला, यह कई तरह के ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है। राफेल विमान के नेवल वर्जन का इस्तेमाल फ्रांस की नौ सेना करती है। भारत ने वायु सेना के लिए फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदा है। राफेल के नेवल वर्जन में 13 हार्डप्वाइंट्स हैं। इनकी मदद से यह विमान अपने साथ 13 मिसाइल या बम लेकर उड़ सकता है। राफेल में RBE2 पैसिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड राडार लगा है। यह एक बार में आठ टारगेट को ट्रैक कर सकता है।
युद्धपोत के लिए पनडुब्बी बड़ा खतरा होती हैं। इसके चलते समय रहते दुश्मन की पनडुब्बी का पता लगाना और जरूरत पड़ने पर उसे नष्ट करना जरूरी होता है। विक्रांत को इस काम के लिए अमेरिका के एमएच-60 आर मल्टीरोल हेलिकॉप्टर से लैस किया जाएगा। इस हेलिकॉप्टर को रोमियो भी कहा जाता है। भारत ने अमेरिका से 24 एमएच-60 आर हेलिकॉप्टर खरीदने का सौदा किया है। यह हेलिकॉप्टर एंटी-सबमरीन वारफेयर (ASW), एंटी-सरफेस वारफेयर (ASuW), सर्च-एंड-रेस्क्यू (SAR), नेवल गनफायर सपोर्ट (NGFS), सर्विलांस, कम्युनिकेशन रिले, लॉजिस्टिक्स सपोर्ट सहित कई मिशनों के लिए इस्तेमाल हो सकता है।
कामोव केए-31 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग हेलिकॉप्टर है। इसका इस्तेमाल हवा में मौजूद दुश्मन के विमान, हेलिकॉप्टर, मिसाइल और ड्रोन का पता लगाने के लिए किया जाता है। भारत ने इसे रूस से खरीदा है। यह हमला करने आ रहे लड़ाकू विमान का पता 150 किलोमीटर की दूरी से लगा सकता है। समुद्री युद्धपोत को यह 100-200 किलोमीटर की दूरी से ट्रैक कर लेता है। इस हेलिकॉप्टर का रेंज 600 किलोमीटर है।