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लॉकडाउन हटाने से पहले भारत को तोड़ने होंगे ये 6 द्वार, नहीं तो कोरोना मचा सकता है तबाही

नई दिल्ली. भारत में कोरोना संक्रमण के मामले 28 हजार के पास पहुंच चुके हैं। वहीं, अब तक 884 लोगों की मौत हो चुकी है। लॉकडाउन के चलते दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत पर भी गहरी चोट पड़ी है। ऐसे में लॉकडाउन 3 मई को खत्म हो रहा है। कोरोना से जंग में भारत के लिए समय पर लगे लॉकडाउन ने अहम रोल निभाया है। लेकिन कोरोना का संकट भले ही टल गया हो, लेकिन खत्म नहीं हुआ। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि लॉकडाउन को हटाने का वक्त ही कोरोना से लड़ाई की दिशा तय करेगा। अगर लॉकडाउन जल्दबाजी में हटा दिया गया तो हजारों लोगों की मौत हो सकती है। वहीं, दूसरी ओर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कुछ गतिविधियां शुरू करनी जरूरी हैं। ऐसे में लॉकडाउन हटाने से पहले हमें 6 चुनौतियों को पूरा करना होगा...

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Asianet News Hindi
Published : Apr 27 2020, 04:46 PM IST| Updated : Apr 28 2020, 11:51 AM IST
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ज्यादा टेस्ट करने होंगे: कोरोना से जंग में टेस्टिंग को अहम हथियार माना जा रहा है। लेकिन इस मामले में हम अभी तक काफी पीछे हैं। प्रति 10 लाख टेस्टिंग के मामले में भारत पाकिस्तान और श्रीलंका से भी पीछे हैं। यहां तक की संक्रमित वाले 213 देशों में सिर्फ हमसे 33 देश पीछे हैं। वहीं, 38 का आंकड़ा नहीं मिला है। अमेरिका ने लक्ष्य रखा है कि हर रोज 2.2 करोड़ टेस्ट किए जाएं, जिससे 2 हफ्तों में पूरे देश की जनसंख्या के टेस्ट हो सकें। वहीं, भारत में अभी भी सिर्फ 50 हजार से भी कम टेस्ट हो रहे हैं। टेस्टिंग ना होने के चलते वायरस तेजी से फैलता है।   

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संक्रमित व्यक्ति के कॉन्ट्रेक्ट को ट्रेस करना : भारत में बहुत बड़ी आबादी है। ऐसे में कोरोना संक्रमित व्यक्ति को तलाशने के अलावा उसके संपर्क में आए लोगों की जांच भी जरूरी है। वुहान में 5-5 लोगों की 1800 टीमें बनाई गई थीं। वहीं, साउथ कोरिया में 2.90 लाख लोगों के संपर्क में आए लोगों की तलाश सीसीटीवी, सर्वेलांस और मोबाइल नेटवर्क, एटीएम ट्रांजेक्शन के जरिए किया गया। वहीं, भारत ने इस दिशा में कदम बढ़ाने के लिए आरोग्य सेतु ऐप बनाई है। लेकिन भारत में इसके इतने यूजर नहीं हैं कि आसानी से सभी संपर्कों की तलाश हो सके। 

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सेकंड वेव से बचना होगा: कोरोना वायरस इतनी जल्दी खत्म नहीं होने वाला। हाल ही में WHO ने भी यह साफ कर दिया है कि यह सालों तक हमारे साथ ही रहने वाला है। ऐसे में कोरोना वायरस अन्य महामारियों की तरह एक बार फिर लौट कर आएगा। 1918 इन्‍फ्लुएंजा महामारी के वक्त भी लाखों लोगों की मौत सेकंड वेव में हई थी। हाल ही में चीन से भी ऐसी खबरें आ रहीं हैं कि वहां कोरोना की दूसरी वेव पहुंचने लगी। ऐसे में भारत को सजक रहने की जरूरत है। 

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बदलाव स्वभाव में डालना होगा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने कहा,  कोरोना का असर आने वाले महीनों में भी दिखेगा। इसलिए मास्क और फेस कवर को जीवन का हिस्सा बनाना पड़ेगा। इसके अलावा जब तक कोरोना की कोई वैक्सीन नहीं बन जाती, बाजारों, बसों और ट्रेनों में भीड़ पर कंट्रोल करना पड़ेगा। इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, सैनिटाइज को अपने स्वभाव में डालना होगा। 

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हेल्थ सिस्टम रहे मजबूत: कोरोना वायरस से जंग लड़ रहे कोरोना वॉरियर्स यानी हमारे डॉक्टर अहम भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में हमें डॉक्टर्स और हेल्थ वर्कर्स को सेफ रखना जरूरी है। साथ ही हमें समय रहते हेल्थ केयर सिस्टम भी काफी मजबूत करना है। हालांकि, भारत ने इस दिशा में काफी तेजी से कदम बढ़ाए हैं। पिछले 1 महीने में 70 से 900 अस्पतालों में अब कोरोना का इलाज होने लगा है। वहीं, वेंटिलेटर, पीपीई किट और टेस्टिंग की संख्या भी बढ़ रही है। हमें यह कदम जारी रखने होंगे। 

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लोगों में भरोसा पैदा करना होगा: भारत एक लोकतांत्रिक देश है। ऐसे में कोरोना से निपटने के लिए चीन से कड़े कदम नहीं उठाए जा सकते। भारत में नागरिकों के मूल अधिकारों का भी ध्यान रखना होगा। सरकार को समय समय पर जनता को सही और सटीक जानकारी देनी होगी। इससे लोगों में सरकार के प्रति भरोसा बढ़ेगा और सरकार के नियमों का पालन आसानी से लोग करेंगे।  

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