- Home
- National News
- भारतीय जवानों ने 3 बार किया था चीन का सामना, उखाड़ फेंके थे कैंप...ऐसे सिखाया दुश्मनों को सबक
भारतीय जवानों ने 3 बार किया था चीन का सामना, उखाड़ फेंके थे कैंप...ऐसे सिखाया दुश्मनों को सबक
लद्दाख. पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में 15 जून को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प को लेकर कई तरह के खुलासे हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि दोनों सेनाओं के बीच 15 जून को 1 बार नहीं बल्कि तीन बार झड़प हुई थी। इसके अलावा भारतीय सैनिकों ने अपने इलाके में बनी चीनी पोस्टों को भी उखाड़ फेंका था। इतना ही नहीं झड़प के बाद भारत ने चीनी सैनिकों के शव भी उन्हें सौंपे थे।
- FB
- TW
- Linkdin
इंडिया टुडे ने गलवान घाटी में तैनात अफसरों से इस घटना को लेकर बात की है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, 10 दिन पहले यानी 6 जून को दोनों देशों के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बात हुई थी। इसके बाद दोनों सेनाएं पीछे हटने को तैयार हुई थीं। दोनों देशों की आर्मी एलएसी के काफी करीब आ गई थीं।
गलवान नदी के किनारे चीन का एक पोस्ट भारतीय सीमा में था। बातचीत के दौरान चीन की सेना इसे हटाने को लेकर तैयार भी हो गई थी। बातचीत के बाद चीनी सेना ने इस पोस्ट को हटा भी लिया था। लेकिन बाद में इस पोस्ट को दोबारा बना लिया गया।
15 जून की शाम को बिहार बटालियन के कमांडिंग अफसर कर्नल बी संतोष बाबू ने फैसला किया था कि वे इस पोस्ट के पास जाकर जानकारी लेंगे कि यह यहां कैसे बन गई।
वहीं, बटालियन के अन्य जवान इसे उखाड़ फेंकना चाहते थे। लेकिन कर्नल बाबू अपने स्वभाव के अनुरूप बातचीत से मामला सुलझाने के पक्ष में थे।
15 जून की शाम को कर्नल बाबू 35 जवानों के साथ उस पोस्ट पर गए थे। यहां जब ये लोग पोस्ट पर पहुंचे तो, चीनी सैनिक बदले हुए नजर आ रहे थे। यहां वे सैनिक नहीं थे जो सामान्य तौर पर ड्यूटी पर होते हैं। भारतीय सेना को पता चला है कि यहां मई में ही दूसरे सैनिकों को भेजा गया है।
कर्नल बाबू जब पोस्ट पर बातचीत करने पहुंचे और इस पोस्ट के बार में पूछा तो एक जवान ने उन्हें धक्का दे दिया। इसके अलावा चीनी भाषा में अभद्र टिप्पणी भी की। इसके बाद भारतीय जवानों ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी। भारतीय जवान चीनियों पर टूट पड़े। 30 मिनट तक चली झड़प में दोनों ओर के लोग चोटिल हुए। लेकिन भारतीय जवानों ने पोस्ट को तोड़ दिया।
इस झड़प के बाद कर्नल बाबू ने सूझबूझ का परिचय देते हुए घायल सैनिकों को पोस्ट पर भेजा और पोस्ट से ज्यादा जवान भेजे जाएं। लेकिन कर्नल बाबू ने भारतीय जवानों को शांत रखा।
उन्होंने हाथापई करने वाले जिन चीनी जवानों को पकड़ा था, उन्हें लेकर चीनी सीमा की ओर बढ़े ताकि सीनियर अफसरों से उनकी शिकायत की जा सके। इसके अलावा वे चीनी सैनिकों की स्थिति भी जानना चाहते थे।
वहीं, चीन के सैनिक पहले से इंतजार कर रहे थे। जैसे ही भारतीय सैनिक वहां पहुंचे, उनपर चीनी सैनिक पत्थर बरसाने लगे। एक पत्थर कर्नल बाबू के सिर पर लगा। वे गलवान नदी में गिर गए।
इस दौरान यह टकराव करीब 45 मिनट तक चला। इस दौरान कई जवान शहीद हो गए। इस झड़प में करीब 300 सैनिक एक दूसरे से लड़ रहे थे। जब तक यह लड़ाई रुकी तब तक दोनों देशों के कई सैनिक नदी में गिर चुके थे। इस दौरान चीनी सैनिकों ने लाठी, कीले लगे रॉड का भी इस्तेमाल किया। यह लड़ाई 11 बजे तक चली। इसके बाद दोनों सेनाएं अपने अपने जवानों को खोजने लगीं।
वहीं, कैंप में भारतीय जवान कर्नल बाबू समेत अपने साथियों का बदला लेने के लिए गुस्से में थे। वहीं, कुछ जवान अपने घायल साथियों को नदी से निकालने की कोशिश में जुटे थे। उसी वक्त एक ड्रोन की आवाज सुनाई दी। यह नए खतरे का संकेत था। चीनी सैनिक फिर से हमला करने के फिराक में थे।
वहीं, इस दौरान बड़ी संख्या में भारतीय सेना के जवान वहां पहुंच गए। इनमें बिहार रेजिमेंट और पंजाब रेजिमेंट के जवान शामिल थे। इन सैनिकों के साथ भारतीय जवान चीन की सीमा में घुस गए। भारत के सैनिक ये चाहते थे कि और चीनी सैनिक एलएसी पर ना पहुंचें।
इसी दौरान चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच तीसरा टकराव शुरू हुआ। ये झड़प चीनी सीमा के अंदर हुई। भारतीय जवान चीनी सेना पर टूट पड़े। लेकिन घाटी सकरी थी इस वजह से कुछ जवान नदी में गिर गए। इसके थोड़ी देर बाद झड़प खत्म हुई। इसके बाद भारतीय स्वास्थ्य कर्मी घायल सैनिकों को ले जाने के लिए पहुंच गए थे।
इस दौरान दोनों सेनाओं ने एक दूसरे के मृत सैनिक भी एक दूसरे को दिए। हालांकि, इस दौरान चीनी सेना ने भारत के 10 जवानों को पकड़ लिया। भारत की ओर से 5 जवानों समेत 16 सैनिकों के शव चीन को सौंपे गए हैं।