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8 किस्से: जब मोदी को फोन करके रो पड़े थे गुलाम नबी आजाद, बच्चों को होने लगी थी पॉलिटिक्स से नफरत

15 फरवरी को गुलाम नबी आजाद का राज्यसभा से कार्यकाल पूरा हो रहा है। आजाद कांग्रेस के ऐसे दिग्गज नेताओं में शुमार रहे हैं, जो 5 बार राज्यसभा और 2 बार लोकसभा के सदस्य चुने गए। राज्यसभा में जब उन्हें विदाई दी जा रही थी, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भावुक हो उठे। उन्होंने आजाद से अपनी दोस्ती के जिक्र किया। मोदी ने गुलाम नबी के कश्मीर स्थित घर में बने बगीचे की खूब तारीफ की। कहा कि उनका बगीचा कश्मीर घाटी की खूबसूरती की याद दिलाता है। बता दें कि गुलाम नबी को घर सजाने का बड़ा शौक है। वे नई-नई चीजें लाकर घर में रखते हैं। घर को बेहद खूबसूरत रखते हैं। आइए जानते हैं आजाद कहानी...

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Asianet News Hindi
Published : Feb 09 2021, 12:13 PM IST| Updated : Feb 09 2021, 12:21 PM IST
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राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने गुलाम नबी से जुड़ा एक किस्सा और सुनाया। यह किस्सा तब का है, जब गुलाम नबी जम्मू-कश्मीर, जबकि मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। एक घटना में गुजरात के यात्रियों पर आतंकियों ने हमला कर दिया था। इसमें 8 लोग मारे गए थे। तब गुलाम नबी ने मोदी को फोन किया और घटना के बारे में बताते हुए रो पड़े थे।
(तस्वीरें नई हैं)
 

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2006 में बीसीसी ने गुलाम नबी आजाद का इंटरव्यू लिया था, तब वे जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे। इसमें उन्होंने जिक्र किया था कि उनके दोनों बच्चे(लड़की-लड़का) राजनीति में आने के खिलाफ हैं। गुलाम नबी शादी से पहले ही सांसद बन गए थे, ऐसे में उन्हें परिवार के बीच समय गुजारने का वक्त कम मिला। जब उनके दोनों बच्चे पैदा हुए, तब वे केंद्र में मंत्री थे। गुलाम नबी ने तब कहा था कि बच्चों को समय नहीं दे पाने से बच्चे राजनीति से नफरत करने लगे थे।
(गुलाम नबी आजाद का बेटा सद्दाम नबी)

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गुलाम नबी के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है, जब जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा में कोई प्रतिनिधित्व नहीं बचेगा। यानी गुलाम नबी के साथ ही यहां से 4 राज्यसभा सदस्य हैं। ये हैं पीडीपी के दो सांसद नजीर अहमद लावे का 10 फरवरी, मीर मोहम्मद फैयाज का15 फरवरी और भाजपा के शमशेर सिंह मन्हास का 10 फरवरी का कार्यकाल पूरा हो रहा है। चूंकि जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यहां अभी तक विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं। ऐसे में राज्यसभा की खाली सीटों पर चुनाव संभव नहीं है।
(इंदिरा गांधी के साथ गुलाम नबी आजाद)

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गुलाम नबी आजाद अपनी बोलने की शैली के कारण काफी लोकप्रिय हैं। 3 फरवरी को जब किसानों के मुद्दे पर गुलाब नबी को बोलने के लिए बुलाया गया, तो उन्होंने 114 साल पुराना किस्सा सुनाया था। आजाद ने कहा कि 1906 में अंग्रेजी हुकूमत ने किसानों के खिलाफ तीन कानून बनाए थे। इसके विरोध में 1907 में सरदार भगत सिंह के भाई अजीत सिंह के नेतृत्व में पंजाब आंदोलन हुआ। उस समय एक अखबार के संपादक बांके दयाल ने पगड़ी संभाल जट्टा, पगड़ी संभाल वे कविता लिखी थी। जो बाद में क्रांतिकारी गीत बन गया। उनका इशारा मोदी की तरफ था।

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गुलाम नबी आजाद ने बिहार चुनाव के बाद कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर कहा था कि कांग्रेस जमीन से संपर्क खो चुकी है। यहां जब कोई पदाधिकारी बन जाता है, तो लेटरहेड और विजिटिंग कार्ड छपवाकर संतुष्ट हो जाता है। फाइव स्टार होटलों में बैठकर नहीं जीते जाते चुनाव।
(कपिल सिब्बल के साथ गुलाम नबी आजाद)

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गुलाम नबी आजाद का जन्म 7 मार्च, 1949 को जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के सोती गांव में हुआ था। इनकी एक बेटी और बेटा है। पत्नी का नाम शमीमा देव आजाद है। शमीमा देवी प्रसिद्ध गायिका रही हैं। गुलाम नबी अकसर पत्नी के लिए एक गाना गुनगुनाते हैं-‘हम पर तुम्हारी चाह का इल्ज़ाम ही तो है, लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है।’

बता दें कि गुलाम नबी को बागवानी का भी शौक है। लॉकडाउन के समय उन्होंने बागवानी में खूब समय गुजारा। उनके बगीचे में किस्म-किस्म के फल-फूल देखे जा सकते हैं।
 

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गुलाम नबी आजाद ने 1973 में भलस्वा में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के सचिव के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। हालांकि बाद में उन्होंने यह पद छोड़ दिया और युवक कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए। 1980 में आजाद ने महाराष्ट्र के वाशिम से लोकसभा का चुनाव जीता था। इन्हें पहली बार 1982 में कानून, न्याय और कंपनी मामलों का मंत्री बनाया गया था।
(संसद के बाहर गुलाम नबी आजाद)

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गुलाम नबी को 2005 में इन्हें जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन 2008 में हिंदू-मुस्लिम विवाद के बीच एक हिंदू तीर्थस्थल के निर्माण के लिए आवंटित भूमि का हस्तांतरण रद्द करने के बाद 7 लोगों की मौत के चलते इन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।


(यह तस्वीर 20 दिसंबर 2007 की है। मोदी और आजाद आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर दिल्ली में हुई कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए थे। उस दौरान मोदी गुजरात के और आजाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे।)

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