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इस पाकिस्तानी आतंकवादी को 5 साल पहले मानवीयता में छोड़ा गया था, बचकर कैसे निकलना है, लश्कर सिखाता है ट्रिक
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जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पकड़े गए इस घुसपैठिए आतंकवादी को लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) द्वारा फिदायीन (आत्मघाती हमलावर) के रूप में भेजा गया था। नौशेरा सेक्टर के सेहर मकरी इलाके में रविवार शाम(21 अगस्त) सेना के जवानों ने संदिग्ध हरकत देखी। चुनौती देने के बाद आतंकवादी एलओसी के पाकिस्तानी बॉर्डर की ओर वापस भागने लगा। सैनिकों ने उस पर गोलियां चलाईं और उसे घायल हालत में पकड़ लिया गया। उसे प्राथमिक उपचार दिया गया और फिर राजौरी में सेना के अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। बाद में इसकी पहचान तबारक हुसैन के रूप में हुई है।
पूछताछ में इस आतंकवादी ने खुलासा किया कि उसे एलओसी पर सेना के कैम्पों पर हमला करने लश्कर के आत्मघाती दस्ते के हिस्से के रूप में भेजा गया था। यानी यह दूसरी बार है एलओसी पार करके आया है।
तबारक ने बताया कि उसे ट्रेनिंग दी गई थी कि पकड़े जाने पर उसे कैसे कवर स्टोरी बनानी है। इसने पाकिस्तानी इलाके में LOC पर भीमबेर( LoC at Bhimber) में लश्कर के कैम्प एक गाइड के रूप में 6 हफ्ते की ट्रेनिंग ली थी।
तबारक ने खुलासा किया कि इससे पहले 25 अप्रैल, 2016 को उसे अपने साथी हारून अली और तीन अन्य आतंकवादियों के एक ग्रुप के साथ लॉन्च किया गया था। यानी हमले के लिए भेजा गया था। हालांकि तब वो और सहयोगी हारून अली दोनों को भारतीय सैनिकों ने पकड़ लिया था। तब इसे 26 महीने तक जेल में रहना पड़ा था। इसके बाद दोनों को अटारी-वाघा सीमा अमृतसर से पाकिस्तान वापस भेज दिया गया था। इस बार भी ये अपने साथियों के साथ आया था। हालांकि भारतीय सेना की गोलीबारी के चलते इसके बाकी साथी घने जंगलों का फायदा उठाकर भाग गए।
यह मामला 22-23 अगस्त का है, जब एक ऑपरेशन में नौशेरा के लैम सेक्टर में 3 आतंकवादियों ने घुसपैठ की कोशिश की थी। लेकिन जैसे ही ये LoC क्रॉस कर माइन फील्ड्स के पास पहुंचे, माइन्स एक्टिवेट हो गईं। ब्लास्ट में 2 आतंकवादियों की मौके पर मौत हो गर्ई। एक आतंकवादी घायल तो हुआ, लेकिन खराब मौसम का फायदा उठाकर भाग गया था।