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रुझान: भाजपा ने एक साल के भीतर 5वां राज्य गंवाया, झारखंड में इन 5 वजहों से फेल हुई मोदी शाह की रणनीति
| Published : Dec 23 2019, 01:12 PM IST / Updated: Dec 23 2019, 02:17 PM IST
रुझान: भाजपा ने एक साल के भीतर 5वां राज्य गंवाया, झारखंड में इन 5 वजहों से फेल हुई मोदी शाह की रणनीति
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1- एंटी इंक्बेंसी: मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के बाद झारखंड में भाजपा को एंटी इंक्बेंसी का सामना करना पड़ा। इसका पता इससे चलता है कि सरकारी कर्मचारियों के बैलेट मतगणना में ही भाजपा पिछड़ गई थी। वहीं, कांग्रेस, जेएमएम और आरजेडी गठबंधन को बहुमत मिलता दिखने लगा था। हालांकि, इन वोटों की संख्या काफी कम होती है। लेकिन जनता ने भी इसी ट्रेंड को जारी रखा। झारखंड में आदिवासियों का वोट प्रतिशत करीब 27 फीसदी है। आदिवासियों को भाजपा के पक्ष में वोट ना देना भी भाजपा की हार का एक कारण है। उधर, स्थानीय मुद्दे की अनदेखी भी भाजपा पर भारी पड़ी।
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2- राम मंदिर, आर्टिकल 370 बेअसर, स्थानीय मुद्दे हावी: भाजपा ने झारखंड में राष्ट्रीय मुद्दों को उठाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह अपनी सभाओं में राम मंदिर, आर्टिकल 370 और एनआरसी मुद्दों को उठाते दिखे। वहीं, विपक्ष ने स्थानीय मुद्दों पर जोर दिया। भाजपा के हारने का एक कारण यह भी रहा। इससे पहले छत्तीसगढ़ में भी स्थानीय मुद्दों के चलते भाजपा को सरकार से हाथ धोना पड़ा था।
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3- विपक्ष एकजुट : लोकसभा में हार और महाराष्ट्र विधानसभा में गठबंधन से सीख लेते हुए झारखंड में विपक्षी पार्टियां एक साथ आ गईं। यहां कांग्रेस, जेएमएम, आरजेडी, सीपीआई (एम) ने चुनाव से पहले ही गठबंधन कर लिया था। सारी पार्टियों ने एक साथ चुनाव लड़ा।
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4- एनडीए में बिखराव: लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा अपने सहयोगियों को एक साथ नहीं ला सकी। यह भी हार का एक कारण बना है। एनडीए में भाजपा की सहयोगी आजुस भी अलग चुनाव लड़ी। इसका भी भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा। उधर, बिहार की रामविलास पासवान की एलजेपी और नीतीश कुमार की पार्टी जदयू भी अलग चुनाव लड़ीं। इससे भी भाजपा का वोट बंटा।
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5- झारखंड की जनता ने इतिहास दोहराया: झारखंड में यह चौथा विधानसभा चुनाव है। यहां कभी कोई पार्टी अभी तक दोबारा सत्ता में नहीं आ पाई। जनता ने यह क्रम जारी रखा और भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया। रघुबर दास को जनता ने दोबारा मौका नहीं दिया।