- Home
- National News
- मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिरने की ज्यादा संभावना, 5 में से 4 समीकरण में भाजपा की सरकार
मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिरने की ज्यादा संभावना, 5 में से 4 समीकरण में भाजपा की सरकार
नई दिल्ली. मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरेगी या बचेगी? पिछले 3 दिनों से सबके जहन में बस यही एक सवाल है। जवाब इतना आसान नहीं है। इसके पीछे वजह है कि जहां एक तरफ कांग्रेस का कहना है कि उनके पास बहुमत साबित करने के लिए विधायकों की संख्या है, तो वहीं दूसरी ओर ज्योतिरादित्य सिंधिया का भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा के पास विधायकों की संख्या बढ़ती दिख रही है। फैसला होना अभी बाकी है कि मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होगा या नहीं। मध्य प्रदेश में सरकार के बचे रहने या गिरने के 5 समीकरण बनते हैं।
| Published : Mar 12 2020, 03:40 PM IST / Updated: Mar 12 2020, 04:09 PM IST
मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिरने की ज्यादा संभावना, 5 में से 4 समीकरण में भाजपा की सरकार
Share this Photo Gallery
- FB
- TW
- Linkdin
17
18 साल तक कांग्रेस में रहने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 10 मार्च को पार्टी छोड़ दी। 11 मार्च को भाजपा में शामिल हो गए।
27
मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीट है। दो विधायकों को निधन के बाद यह संख्या 228 हो गई है। इसमें से 22 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। अभी तक विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों के इस्तीफे मंजूर नहीं किए हैं। अभी विधानसभा में कांग्रेस के 114, भाजपा के 107, निर्दलीय 4, बसपा 2 और सपा के 1 विधायक हैं। अभी तक निर्दलीय और बसपा-सपा के विधायकों का समर्थन कांग्रेस को है।
37
अगर विधानसभा अध्यक्ष ने 22 विधायकों के इस्तीफे को मंजूर कर लिया, तब विधानसभा में विधायकों की संख्या 206 हो जाएगी। ऐसे में बहुमत साबित करने के लिए 104 विधायकों की जरूरत होगी। 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के पास (121-22) 99 विधायक बचेंगे। भाजपा के पास 107 विधायक हैं। ऐसे में भाजपा सरकार बना सकती है।
47
सरकार न बनती देख कांग्रेस के सभी विधायकों ने इस्तीफा दे दिया, इस स्थिति में राज्यपाल तय करेंगे कि मध्यावधि चुनाव कराने हैं या उपचुनाव। उपचुनाव की स्थिति में भाजपा को फायदा होगा। राज्यपाल भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दे सकते हैं।
57
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 114, भाजपा के 107, निर्दलीय 4, बसपा 2 और सपा के 1 विधायक चुनाव जीते थे। अगर निर्दलीय विधायकों ने भाजपा का समर्थन किया। उस स्थिति में भाजपा ही मजबूत होगी और कांग्रेस को नुकसान होगा। अगर 4 निर्दलीय विधायकों ने भाजपा का समर्थन किया, उस स्थिति में कांग्रेस के पास (114+2+1) 117 विधायक होंगे। इसमें से 22 विधायकों का इस्तीफा मंजूर होने पर विधायकों की संख्या 95 हो जाएगी। ऐसी स्थिति में भी कांग्रेस सरकार नहीं बना पाएगी। भाजपा के पास 107 विधायक पहले से हैं। उन्हें 4 विधायकों का समर्थन मिलने के बाद उनकी संख्या 111 हो जाएगी। सरकार बनाने के लिए 104 विधायकों की जरूरत होगी। भाजपा सरकार बना लेगी।
67
अगर निर्दलीय विधायकों के साथ सपा और बसपा के विधायक भी भाजपा के साथ आ जाते हैं। इस स्थिति में भाजपा के पास (107+7) 114 विधायक हो जाएगी। कांग्रेस के पास विधायकों की संख्या घटकर 114 हो जाएगी। 22 विधायकों के इस्तीफे मंजूर होने के बाद कांग्रेस विधायकों की संख्या 92 हो जाएगी। ऐसी हालत में भाजपा सरकार बना लेगी।
77
इस समीकरण में भाजपा को मुश्लिल हो सकती है। कयास लग रहे हैं कि जिन 22 विधायकों ने इस्तीफा दिया है उनके में करीब 18 बेंगलुरु में हैं। कांग्रेस का आरोप है कि उन्हें किडनैप करके रखा गया है। वहीं खबर यह भी आई कि सिंधिया के समर्थन में आए विधायकों में फूट भी पड़ चुकी है। ऐसे में अगर कांग्रेस सिंधिया के समर्थन में बेंगलुरु गए विधायकों को मना लेती है, तो फिर कुछ हद तक कमलनाथ अपनी सरकार बचाने में सफल हो पाएंगे। उनके पास यही एक रास्ता बचा है।