MalayalamNewsableKannadaKannadaPrabhaTeluguTamilBanglaHindiMarathiMyNation
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • ताज़ा खबर
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • सरकारी योजनाएं
  • खेल
  • धर्म
  • ज्योतिष
  • फोटो
  • Home
  • National News
  • Kargil Vijay Diwas: कौन हैं कैप्टन विक्रम बत्रा जिन्होंने पाकिस्तान को चटाई धूल, जानें कैसे बने करगिल के हीरो

Kargil Vijay Diwas: कौन हैं कैप्टन विक्रम बत्रा जिन्होंने पाकिस्तान को चटाई धूल, जानें कैसे बने करगिल के हीरो

Kargil Vijay Diwas: करगिल युद्ध को हुए 23 साल हो गए हैं। भारत-पाकिस्तान के बीच हुई इस जंग में हमारे कई सैनिकों ने अपना बलिदान दिया। इन्हीं में से एक नाम है कैप्टन विक्रम बत्रा का। करगिल वॉर (Kargil War)  के हीरो रहे कैप्टन विक्रम बत्रा (Vikram Batra) ने 5 सबसे महत्वूपर्ण प्वाइंट जीतने में अहम भूमिका निभाई थी। यहां तक कि एक जख्मी अफसर को बचाते-बचाते वो देश पर बलिदान हो गए।  

4 Min read
Asianet News Hindi
Published : Jul 25 2022, 06:27 PM IST| Updated : Jul 26 2022, 10:24 AM IST
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • GNFollow Us
110

कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर, 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में हुआ था।  पिता से देश प्रेम की कहानियां सुनकर विक्रम बत्रा में स्कूल के समय से ही देश भक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। विक्रम बत्रा स्कूली पढ़ाई खत्म करने के बाद चंडीगढ़ चले गए और डीएवी कॉलेज, चंडीगढ़ से साइंस में ग्रैजुएशन पूरा किया। इस दौरान वो NCC के सर्वश्रेष्ठ कैडेट भी चुने गए। इसके बाद उन्होंने आर्मी ज्वाइन करने का मन बना लिया था। 

210

साइंस ग्रैजुएट होने की वजह से विक्रम बत्रा का सिलेक्शन सीडीएस के जरिए आर्मी में हो गया। जुलाई, 1996 में उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में एडमिशन लिया। इसके बाद, दिसंबर 1997 में ट्रेनिंग खत्म होने पर उन्हें जम्मू के सोपोर में सेना की 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स में लेफ्टिनेंट के पद पर ज्वाइनिंग मिल गई।

310

विक्रम बत्रा को जून, 1999 में कारगिल युद्ध में भेजा गया। हम्प और रॉकी नाब को जीतने के बाद विक्रम बत्रा को लेफ्टिनेंट से कैप्टन बना दिया गया। इसके बाद कश्मीर की 5140 नंबर की चोटी को पाकिस्तानी सेना के कब्जे से छुड़ाने की जिम्मेदारी कैप्टन बत्रा को सौंपी गई। 

410

कैप्टन विक्रम बत्रा ने 19 जून, 1999 को रात में इस चोटी को जीतने का प्लान बनाया। इसके लिए भारतीय तोपों की फायरिंग के बीच आधी रात में ही चढ़ाई शुरू कर दी गई। चोटी के करीब पहुंच कर तोपों से फायरिंग बंद कर दी गई। ये देख बंकरों में छुपे पाकिस्तानी सैनिक बाहर आए। इस पर भारतीय जवानों ने मशीनगनों से फायरिंग शुरु कर दी। 

510

इसके बाद बत्रा ने आर्टिलरी से कॉन्टैक्ट किया और दुश्मनों पर तोप से गोले दागते रहने को कहा। लेफ्टिनेंट विक्रम बत्रा ने अकेले ही नजदीकी लड़ाई में तीन पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया। 20 जून 1999 को सुबह साढ़े 3 बजे कैप्टन विक्रम बत्रा ने पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटाते हुए 5140 चोटी पर तिरंगा फहरा दिया।

610

प्वांइट 5140 को जीतने के बाद विकम बत्रा ने प्वाइंट 4700, जंक्शन पीक और थ्री पिंपल कॉम्प्लेक्स को भी जीत लिया। इस ऑपरेशन में किसी भारतीय सैनिक की जान नहीं गई। इसके बाद लेफ्टिनेंट विक्रम बत्रा को प्रमोट कर कैप्टन बना दिया गया।

710

चार चोटियों को जीतने के बाद कैप्टन विक्रम बत्रा को अगले प्वांइट 4875 को जीतने की जिम्मेदारी सौंपी गई। यह समुद्र सतह से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर थी। 4 जुलाई 1999 की शाम 6 बजे उन्होंने अपनी टुकड़ी के साथ प्वाइंट 4875 पर मौजूद दुश्मन पर हमला शुरू किया। रात भर बिना रुके गोलीबारी चलती रही, लेकिन यह चोटी अब तक फतेह नहीं हो पाई। 

810

कैप्टन बत्रा और उनकी टीम प्वाइंट 4875 पर मौजूद दुश्मन के बंकरों पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर रही थी। इसी बीच बत्रा की टीम के दो सैनिक घायल हो गए। इस पर बत्रा उन्हें उठाकर नीचे ले जा रहे थे। इसी बीच पाकिस्तानी सैनिकों ने बत्रा को गोली मार दी, जिसके बाद कैप्टन अपने देश पर बलिदान हो गए। 

910

इस सैनिक को बचाते हुए कैप्टन ने कहा था-आप हट जाइए, आपके बीवी-बच्चे हैं। दरअसल, युद्ध के दौरान कैप्टन विक्रम बत्रा के एक साथी के पैरों के पास अचानक एक बम फटा। इस पर विक्रम बत्रा ने उन्हे वहां से हटाया। लेकिन कुछ देर बाद एक और ऑफिसर को बचाने में वो देश पर बलिदान हो गए। प्वाइंट 4875 पर कब्जा करने के सम्मान में इस चोटी का नाम बत्रा टॉप रखा गया। 

1010

बता दें कि कारगिल युद्ध में विक्रम बत्रा का कोड नेम 'शेरशाह' था। पिता जीएल बत्रा के मुताबिक, उनके बेटे के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल वाईके जोशी ने विक्रम को 'शेरशाह' नाम दिया था। कैप्टन बत्रा कहा करते थे कि या तो बर्फीली चोटी पर तिरंगा लहराकर आऊंगा, नहीं तो उसी तिरंगे में लिपटकर आऊंगा। पर आऊंगा जरुर। बत्रा को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। 

ये भी देखें : 

करगिल का वो हीरो जिसने काट दिया था पाकिस्तानी मेजर का सिर, दुश्मन के 48 सैनिकों को मार फहराया था तिरंगा

..तो करगिल की जंग में ही मारे जाते परवेज मुशर्रफ, इस एक वजह से किस्मत ने बचा लिया था
 

About the Author

AN
Asianet News Hindi
एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है।

Latest Videos
Recommended Stories
Related Stories
Asianet
Follow us on
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • Download on Android
  • Download on IOS
  • About Website
  • Terms of Use
  • Privacy Policy
  • CSAM Policy
  • Complaint Redressal - Website
  • Compliance Report Digital
  • Investors
© Copyright 2025 Asianxt Digital Technologies Private Limited (Formerly known as Asianet News Media & Entertainment Private Limited) | All Rights Reserved