कार्तिकई दीपम पर जलाए गए दीप, रोशनी से नहा उठा ईशा योग केंद्र
Karthikai Maha Deepam: कार्तिकई दीप उत्सव पर मंदिरों को दीयों से रोशन किया गया। जैसे जैसे सूर्य अस्त हुआ वैसे-वैसे कार्तिकई दीपम पर दीपों से हर ओर जगमगा उठा। मंदिरों में दीप जलाकर उत्सव मनाया गया। कार्तिकई महा दीपक तिरुवन्नामलाई अरुणसालेश्वर मंदिर में जलाया जाता है। ईशा योग केंद्र में भव्य तरीके से कार्तिकई दीप उत्सव मनाया गया। यहां हजारों मिट्टी के दीयों से पूरा केंद्र भव्यता के साथ जगमग रहा।
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ईशा फाउंडेशन ने विभिन्न पूजास्थलों को भी किया रोशन
ईशा फाउंडेशन द्वारा विभिन्न जगहों को भी दीयों से रोशन किया गया। आदियोगी, ध्यानलिंग, सूर्यकुंड मंडपम व लिंग भैरवी के अतिरिक्त अन्य प्रतिष्ठानों को भी मिट्टी के दीयों से रोशन किया गया। दीप उत्सव पर स्थानीय ग्रामीणों और आदिवासियों ने आदियोगी को प्रसाद के रूप में मिट्टी के दीये चढ़ाए। हजारों दीयों का प्रकाश, हर ओर उजाला किए रहा।
कार्तिकई दीपा उत्सव का मुख्य आयोजन कार्तिकाई महा दीपम, तिरुवन्नामलाई अरुणसालेश्वर मंदिर में किया जाता है। कार्तिक दीपत्री महोत्सव की शुरुआत 27 नवम्बर की सुबह तिरुवन्नामलाई अन्नामलाईयार मंदिर में ध्वजारोहण के साथ हुआ था।
इसे पंच भूत स्थानों में अग्नि का स्थान माना जाता है। इसका महात्म्य यह है कि यदि आप इसके बारे में सोचें तो मोक्ष मिलता है। कोविड की वजह से दो साल बाद नित्य रथ यात्रा व स्वामी वेठीउला का आयोजन किया गया।
27 नवम्बर से शुरू हुए उत्सव में अन्नामलाई के लिए अरोकारा जप करने वाले भक्तों के साथ हर दिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे। कार्तिक दीपा उत्सव के 10वें दिन मंगलवार सुबह 03.45 बजे अन्नामलाईयार तीर्थस्थल पर पांच लपेटों में घी डालकर और मंदिर के गर्भगृह से लाए गए दीपा से वैदिक मंत्रोच्चारण करते हुए परणी दीपम जलाया गया।
परणी दीपक जलाने के बाद कार्तिकई दीप महोत्सव का मुख्य कार्यक्रम महादीपम के लिए शाम छह बजे का समय निर्धारित किया गया। महादीपम को 2,668 फीट की ऊंचाई पर पहाड़ी की चोटी पर स्थापित किया गया था।
शाम छह बजे महादीपम जलाया गया। वहां मौजूद श्रद्धालुओं ने अरोगरा का नारा लगाया। यह महादीपम अब लगातार 11 दिनों तक प्रज्जवलित किया जाएगा।