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Happy Republic Day: ये हैं भारत के 10 वीर जांबाज, जिनके बलिदान को हमेशा याद रखेगा देश
| Published : Jan 25 2020, 02:08 PM IST / Updated: Jan 25 2020, 02:13 PM IST
Happy Republic Day: ये हैं भारत के 10 वीर जांबाज, जिनके बलिदान को हमेशा याद रखेगा देश
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1. हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में 9 सितंबर 1974 को जन्मे विक्रम बत्रा करगिल युद्ध के जांबाज सिपाही थे। कैप्पटन विक्रम बत्रा को ये देश कैसे भुला सकता है। जिनके आगे दुश्मन थर थर कांपते थे। श्रीनगर-लेह मार्ग के ठीक ऊपर सबसे महत्त्वपूर्ण 5140 चोटी को पाक सेना से मुक्त करवाने की जिम्मेदारी कैप्टन बत्रा की टुकड़ी को मिली। जिसे मुक्त करवाने के बाद इस चोटी से रेडियो के जरिए विक्रम बत्रा ने कहा ये दिल मागे मोर जिसके बाद पूरा देश उन्हें जानने लगा। अपनी जान की परवाह ना करते हुए इस युद्ध में उन्होंने कई पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटाई। सरहद पर लड़ते लड़ते विक्रम वीरगति के प्राप्त हो गए लेकिन उनकी बहादुरी के किस्से आज भी सुने जाते हैं। उनके मुंह से निकले अंतिम शब्द थे भारत माता की जय। उनकी बहादुरी और जांबाजी के लिए मरणोपरांत उन्हें परमवीरचक्र से नवाजा गया।
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2. यूपी के गाजीपुर जिले में एक मामूली परिवार में 1 जुलाई 1933 को जन्मे वीर हमीद के वीरता की गाथा को महज इन शब्दों में तो नहीं पिरो सकते। क्योंकि 1965 के युद्ध के दौरान वीर हमीद ने न सिर्फ पाकिस्तानी दुश्मनों के दांत खट्टे किए बल्कि दुश्मन देश के 7 पैटर्न टैंकों के परखच्चे उड़ा दिए। इसी दौरान वह दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो गए। परिवार वाले बताते है कि पाकिस्तान से युद्ध के दौरान घर से निकलते ही अब्दुल हमीद के साथ अपशगुन हुआ था। पिता ने रोका, लेकिन वह नहीं रुके। उन्होंने उस दौरान अपनी पत्नी से सिर्फ यही कहा था, ''तुम बच्चों का ख्याल रखना, अल्लाह ने चाहा तो जल्द मुलाकात होगी।'' (फाइल फोटो- परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल हमीद)
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3 1971 पाकिस्तान युद्द को आज लगभग 48 साल हो गए। ऐसे कुछ लोग ही होंगे जो परमवीर चक्र विजेता निर्मलजीत सिंह सेखों के बारे में जानते होंगे। निर्मलजीत का जन्म 1943 में पंजाब के लुधियाना में हुआ था। वे 1967 में वायुसेना में पायलट ऑफिसर के तौर पर शामिल हुए। 14 दिसंबर 1971 को निर्मलजीत स्टैंडबाय- 2 ड्यूटी पर थे। तड़के सुबह पाकिस्तानी वायुसेना ने 4 एफ-16 सेबर जेट लड़ाकू विमानों से श्रीनगर एयरबेस पर बम बरसाना शुरू कर दिए। पाक की इस टीम को विंग कमांडर चंगेजी लीड कर रहे थे। सर्दियों में कोहरे का फायदा उठाकर ये विमान भारतीय सीमा में घुस आए थे। पाकिस्तान के 4 विमानों का सामना कर रहे सेखों ने एक-एक कर तीन सेबर जेट विमानों को निस्तनाबूत कर दिया। इसी दौरान उन्होंने अपने सहयोगी को एक संदेश भेजा। इसमें उन्होंने कहा कि शायद उनके विमान में भी निशाना लग गया है। सेखों ने खुद को इजेक्ट करने की कोशिश की। लेकिन इजेक्ट सिस्टम भी फेल हो गया था। सेखों वीरगति को प्राप्त हो गए। लेकिन उन्होंने जो 28 साल की उम्र में किया, उसे देश कभी नहीं भूल सकता।
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4 14 अक्टूबर को जन्म लेने वाले सेकेण्ड लेफ्टिनेन्ट अरुण खेत्ररपाल वो वीर जवान थे जिन्होंने पाकिस्तान से साल 1971 में हुए युद्ध में देश के लिए योगदान दिया था। अरुण ने लड़ाई में पंजाब-जम्मू सेक्टर के शकरगढ़ में शत्रु सेना के 10 टैंक नष्ट किए थे। और महज 21 वर्ष की आयु में वे वीरगति को प्राप्त हो गए थे। दुश्मन के सामने बहादुरी के लिए भारत का सर्वोच्च सैन्य अलंकरण परमवीर चक्र मरणोपरान्त प्रदान किया गया था। आकाशवाणी ने 16 दिसंबर, 1971 को जंग में भारत की विजय की जानकारी देश को दी। बाकी देश की तरह खेत्रपाल परिवार भी खुश था। लेकिन तभी परिवार को पता चला कि अरुण अब कभी घर नहीं आएंगे। वह पाक सेना से लोहा लेते हुए 16 दिसंबर, 1971 को वीरगति को प्राप्त हुए थे।
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5 25 अगस्त 1975 में दिल्ली में जन्मे अनुज नय्यर ने 1999 के कारगिल युद्ध में अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए आगे बढ़ थे तभी पाकिस्तानी रॉकेट लांचर उनके शरीर को भेद गया, फिर भी कैप्टन ने अंतिम सांसों तक अपना टार्गेट पूरा कर लिया। शहीद कैप्टन अनुज नय्यर को महावीर चक्र से नवाजा गया। 1999 में वे सिर्फ 24 साल के थे। इतनी कम उम्र में देश के लिए लड़ते लड़ते इस वीर जाबांज ने अपने प्राणों को हंसते हंसते लुटा दिया था।
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6 करगिल युद्ध में सबसे बड़ी चुनौती थी तोलोलिंग पर कब्जा जमाएं बैठे पाकिस्तानी सेना। पाकिस्तानी सेना लागातार बम गिरा रही थी गोलियां चली रही थी। सबसे मुश्किल हालात और दुर्गम चुनौती को पार करना भारतीय सेना का पहला लक्ष्य था। लक्ष्य था तोलोलिंग पर चढ़कर दुश्मन के ठिकानों को बर्बाद करना। और इसकी जिम्मेदारी थी मेजर राजेश सिंह अधिकारी की। अपनी यूनिट के साथ चढ़ते हुए राजेश अधिकारी ने पाकिस्तानी घुसपैठियों के बंकर को रॉकेट लॉन्चर से उलझाए रखा और मौका मिलते ही पाकिस्तानी बंकर को निशाना बनाकर तबाह कर दिया। इस लड़ाई में पूरी तरह छलनी होने के बाद भी राजेश लड़ते रहे। दुश्मन के ठिकानों पर कब्जा कर मेजर राजेश सिंह हमेशा के लिए अलविदा कह गए।
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7 17 अक्टूबर 1973 में जन्में बलवान सिंह ने दुश्मने के छक्के छुड़ाते हुए 17 हजार फीट ऊंची टाइगर हिल पर तिरंगा लहरारया था। यही वो पल था जब पाकिस्तान का हर इरादा नेस्तानाबूत हो गया। दुश्मन इसी चोटी पर बैठकर श्रीनगर, द्रास, कारगिल और लेह मार्ग पर गोलाबारी कर बाधा पहुंचा रहा था। 18 ग्रेनेडियर की कमांडो टीम का नेतृत्व करने वाले कैप्टन बलवान सिंह ने दुश्मन को धूल चटाई। अपनी आखिरी सांस तक बलवान सिंह लड़ते रहे। ये वो पल था जब टाइगर हिल पर झंड़ लहराते ही 44 जवान शहीद हो गए थे। बलवान सिंह को उनके शौर्य और पराक्रम के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
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8. 1962 में हुए इंडो चायना वार में जब जीन ने इस प्रदेश पर कब्जा करने के मकसद से धावा बोला था तब इसकी रक्षा के लिए दीवार बनकर खड़े हो गए थे जसवंत सिंह। अरुणाचल प्रदेश के नूरानांग इलाके में जहां वो शहीद हुए थे, उनके नाम पर जसवंत सिंह गढ़ नाम का एक वार मेमोरियल बनाया गया है। ये इस युद्ध के ऐसे वीर जांबाज हैं जिन्होंने 72 घंटे में अकेले दुश्मन सेना के 300 सैनिकों को ढेर कर दिया था।
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9. 2008 के मुंबई अटैक में अपने प्राणों की आहूती देने वाले मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने आंतकवादियों से लोहा लेते हुए अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी थी। आतंकवादियों को धूल चटाते हुए उन्होंने अपने साथियों से कहा कि ऊपर मत आना मैं सब संभाल लूंगा। उनकी बहादुरी के लिए उन्हें 26 जनवरी 2009 को भारत के सर्वोच्च शांति समय बहादुरी पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया
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10 भारतीय वायुसेना विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तानी सेना ने 2019 में हिरासत में ले लिया था। इंडियन एयरफोर्स ने 26 फरवरी को तड़के पाक अधिकृत कश्मीर में जाकर जैश के ट्रेंनिंग कैंप को तबाह कर दिया। भारतीय वायुसेना की इस एयरस्ट्राइक में पाकिस्तान के बालाकोट स्थित जैश को ट्रेनिंग कैंप को भी तबाह किया गया। इससे खफा पाकिस्तान ने 27 फरवरी को अपनी वायुसेना को सबसे घातक लड़ाकू विमान एफ-16 के साथ भारत भेजा। विंग कमांडर अभिनंदन मिग 21 लेकर उड़े थे। और पाकिस्तान के एफ-16 लड़ाकू विमान को मार गिराया था। लेकिन पाकिस्तानी सेना ने उन्हें अपने कब्जे में ले लिया था। अभिननंद सुरक्षित दुश्मन के कब्जे से भारत पुहंचे थे।