मंकीपॉक्स से जुड़े वो 8 सवाल, जिनका जवाब जानना आपके लिए बेहद जरूरी
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सवाल नंबर 1- क्या है मंकीपॉक्स?
जवाब : मंकीपॉक्स (Monkeypox) भी स्मॉल पॉक्स यानी चेचक के वायरस का ही एक रूप है। मंकीपॉक्स वायरल 52 साल पहले 1970 में पहली बार एक बंदर में मिला था। तब कॉन्गो के रहने वाले एक 9 साल के बच्चे में ये संक्रमण मिला था। इसके बाद यह वायरस वहां से 10 अफ्रीकी देशों में फैल गया। दुनिया में इस वायरस का सबसे ज्यादा संक्रमण अफ्रीका में ही फैला है। मंकीपॉक्स एक जूनोसिस (zoonosis) है। यानी एक ऐसी बीमारी जो संक्रमित जानवरों से मनुष्यों में फैलती है।
सवाल नंबर 2- भारत में किन-किन लोगों में मिला ये वायरस?
जवाब - भारत में अब तक 4 मरीजों में ये वायरस मिल चुका है। इनमें पहला मरीज केरल के कोल्लम का रहने वाला एक 35 साल का युवक है, जो 12 जुलाई को UAE से लौटा था। दूसरा मरीज भी केरल के कन्नूर का रहने वाला 31 साल का युवक है। वह 13 जुलाई को दुबई से लौटा था। तीसरा मरीज केरल के मल्लपुरम का रहने वाला 35 साल का शख्स UAE से 6 जुलाई को लौटा था। चौथा मरीज दिल्ली का 34 साल का एक शख्स है, जिसकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है।
सवाल नंबर 3 - मंकीपॉक्स कैसे फैलता है?
एक्सपर्ट्स की मानें तो मंकीपॉक्स (Monkeypox) इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति के करीब जाने से फैलता है। मंकीपॉक्स वायरस मरीज के घाव से निकलकर आंख, नाक और मुंह के रास्ते किसी भी शख्स के शरीर में जाकर उसे भी संक्रमित कर सकता है। यह वायरस संक्रमित बंदर और कुत्ते या फिर इस बीमारी से संक्रमित जानवरों से भी फैल सकता है। इसके अलावा यह वायरस संक्रमित शख्स के साथ यौन संबंध बनाने से भी फैल सकता है। समलैंगिक और बायसेक्शुअल लोगों को इससे संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है।
सवाल नंबर 4 - मंकीपॉक्स के लक्षण क्या हैं?
मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति में लक्षण सामने आने में समय लगता है। इसका इन्क्यूबेशन पीरियड 6 से 21 दिन तक हो सकता है। इन्क्यूबेशन पीरियड वह समय है, जो संक्रमित होने के बाद लक्षण आने में लगता है। मंकीपॉक्स (Monkeypox) के लक्षण चेचक की तरह ही हैं। इसमें पूरे शरीर में दाने निकल आते हैं। धीरे-धीरे ये दाने घाव जैसे हो जाते हैं। इसकी वजह से बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में ऐंठन, पीठ दर्द, और थकावट महसूस होती है।
सवाल नंबर 5- क्या मंकीपॉक्स भी कोरोना की तरह फैलेगा?
जवाब - कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि मंकीपॉक्स कोरोना से ज्यादा संक्रामक है। यह स्किन टू स्किन के अलावा बॉडी फ्लूइड से भी फैल सकता है। अगर स्वस्थ व्यक्ति किसी संक्रमित के पास खड़ा है तो उसके छींकने-खांसने से भी संक्रमण फैल सकता है।
सवाल नंबर 6 - क्या कोरोना से ज्यादा खतरनाक है मंकीपॉक्स?
जवाब - एक्सपर्ट मानते हैं कि मंकीपॉक्स कोरोना की तुलना में कम खतरनाक है। कोरोना राइबोन्यूक्लिक एसिड यानी RNA वायरस है। यह बहुत जल्दी म्यूटेट होकर अपना आकार बदल लेता है, जिसकी वजह से यह ज्यादा घातक है। वहीं मंकीपॉक्स में डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड यानी DNA वायरस है, जो अपना आकार नहीं बदलता है। इसलिए ये कम खतरनाक है।
सवाल नंबर 7- किसे है मंकीपॉक्स का टेस्ट कराने की जरूरत?
जवाब - अगर कोई शख्स पिछले 21 दिन में किसी ऐसे देश की यात्रा से लौटा है, जहां मंकीपॉक्स है, तो उसे अपना टेस्ट करवा लेना चाहिए। इसके अलावा अगर किसी के भीतर इसके लक्षण दिख रहे हैं तो उसे भी टेस्ट करवा लेना चाहिए। टेस्ट के लिए संदिग्ध मरीज के सैंपल जांच के लिए पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजे जाते हैं। वहां से रिपोर्ट आने के बाद ही इसका पता चलता है।
सवाल नंबर 8- मंकीपॉक्स का इलाज क्या है?
WHO के मुताबिक, मंकीपॉक्स (Monkeypox) भी स्मालपॉक्स वायरस के परिवार का सदस्य है, इसलिए इस पर चेचक की वैक्सीन असरदार साबित होती है। चेचक की वैक्सीन 85% इस वायरस को रोकने में कारगर है। वैसे, इस बीमारी को रोकने का सबसे सही तरीका यही है कि संक्रमित व्यक्ति और जानवरों से दूरी बनाकर रखें।
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