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नक्सलियों से छूटकर घर पहुंचा CRPF का जवान, परिजनों ने कहा-सरकार पर थोड़ा भरोसा था, लेकिन घबराहट भी हो रही थी
रायपुर. छत्तीसगढ़ के बीजापुर-सुकमा जिला बॉर्डर पर 3 अप्रैल(शनिवार) को नक्सलियों के साथ हुई पैरामिलिट्री की मुठभेड़ के बाद नक्सलियों के कब्जे में रहे CRPF जवान राकेश्वर सिंह को आखिरकार रिहा कर दिया गया। यह खबर जैसे ही उनके परिजनों को मिली, मानों घर में किसी त्यौहार जैसा माहौल बन गया। मोहल्ले में मिठाइयां बांटी गईं। राकेश्वर सिंह का परिवार जम्मू के नेत्रकोटि गांव में रहता है। खबर सुनकर राकेश्वर की पत्नी मीनू रो पड़ीं और फिर मुस्करा दीं। मां को विश्वास था कि उनका बेटा घर लौटेगा। बता दें कि इस मुठभेड़ में 24 जवानों के शहीद होने की आशंका है।
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CRPF जवान राकेश्वर की रिहाई से पहले तक परिजनों में सरकार को लेकर बेहद गुस्सा था। जवान की पत्नी मीनू ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से कहा था कि उनके पति को किसी भी कीमत पर छुड़वाया जाए। जम्मू में प्रदर्शन तक हुए थे। लेकिन अब मीनू सरकार और नक्सलियों दोनों को धन्यवाद दे रही हैं।
राकेश्वर की मां कुंती देवी कहती हैं कि वे अपनी खुशी बयां नहीं कर सकतीं। उन्हें सरकार पर थोड़ा भरोसा था, लेकिन मन बहुत घबरा रहा था। बता दें कि राकेश्वर सिंह कोबरा फोर्स में कमांडर हैं। उन्होंने 2011 में CRPF ज्वॉइन की थी। 3 महीने पहले ही वे छत्तीसगढ़ में तैनात हुए थे। 35 साल के राकेश्वर कई बड़े ऑपरेशन में शामिल रहे हैं।
नक्सलियों ने राकेश्वर सिंह की एक फोटो भेजकर बताया था कि वे उनके कैंप में हैं और ठीक हैं। इसके बाद सरकार ने कुछ स्थानीय पत्रकारों और समाजसेवियों की मध्यस्थता से उन्हें छुड़वाने की कोशिश शुरू की।
(छोड़े जाने से पहले नक्सली कैंप में राकेश्वर सिंह)
छत्तीसगढ़ के एक पत्रकार गणेश मिश्रा ने कहा था कि नक्सलियों ने उन्हें कॉल किया था। इसमें कहा गया था कि वे 2 दिन बाद उसे छोड़ देंगे।
(राकेश्वर सिंह को नक्सली कैंप से लेकर आते पत्रकार)
नक्सली कैम्प में राकेश्वर सिंह को छुड़ाने के लिए सरकार ने कुछ पत्रकार और समाजसेवी भेजे थे। नक्सलियों ने इनके जरिये ही मध्यस्थता की थी।
नक्सली कैंप से लौटने के बाद हॉस्पिटल में चेकअप कराते राकेश्वर सिंह। नक्सलियों ने एक पर्चा जारी करके सरकार से बातचीत की पेशकश भी की है।