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किसी ने IAS की पढ़ाई छोड़ केस लड़ा तो कोई देता रहा विवादित बयान...ऐसे हैं निर्भया केस के 9 किरदार
नई दिल्ली. निर्भया के दोषियों को 2651 दिन बाद मौत की सजा मिली। उन्हें 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे तिहाड़ जेल में फांसी के फंदे पर टांग दिया गया। दोषियों की मौत की खबर जैसे ही बाहर आई, निर्भया की मां सहित तमाम लोगों ने न्यायपालिका का शुक्रिया किया। लेकिन निर्भया की मां ने खुशी जताने के लिए सवाल भी खड़े किए कि क्या 7 साल का वक्त बहुत लंबा नहीं है? ऐसे में हम बताते हैं कि निर्भया की मां सहित वो 9 किरदार कौन से हैं, जिनके नाम गैंगरेप के बाद से 87 महीने तक हर दिन सुनाई दिए।
| Published : Mar 20 2020, 08:53 AM IST / Updated: Mar 20 2020, 08:54 AM IST
किसी ने IAS की पढ़ाई छोड़ केस लड़ा तो कोई देता रहा विवादित बयान...ऐसे हैं निर्भया केस के 9 किरदार
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दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने चौथी बार डेथ वॉरंट जारी कर 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे फांसी की तारीख तय की थी।
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निर्भया की मां आशा देवी पांडे। 7 साल 4 महीने तक बेटी को न्याय दिलाने के लिए केस लड़ती रहीं। दोषियों को जिस दिन फांसी होनी थी, उसके दो घंटे पहले तक सुप्रीम कोर्ट में थीं। पूरा देश उनके साहस को सलाम करता है।
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एपी सिंह दोषियों के वकील हैं। उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई की है। वह डॉक्टरेट भी हैं। 1997 में बतौर वकील उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की। साल 2012 में सबसे पहले साकेत कोर्ट में दोषियों की तरफ से पेश हुए। एपी सिंह ने साल 2013 में एक विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा था कि अगर मेरी बेटी शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाती तो उसे जिंदा जला देता।
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निर्भया के मां-पिता की वकील सीमा कुशवाहा सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं। वह निर्भया ज्योति ट्रस्ट में कानूनी सलाहकार भी हैं। सीमा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। उन्होंने शुरू में IAS का एग्जाम भी दिया, लेकिन वकालत के दौरान पढ़ाई नहीं कर पाने की वजह से धीरे-धीरे छोड़ दिया। सीमा के मुताबिक, निर्भया का केस लड़ना उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी। निर्भया के परिवार के साथ उनका एक भावनात्मक संबंध है।
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निर्भया का मुख्य दोषी राम सिंह था। मार्च 2013 में तिहाड़ जेल में राम सिंह की लाश मिली थी। पुलिस के मुताबिक राम सिंह ने खुद को फांसी लगाई थी, लेकिन बचाव पक्ष के वकीलों और राम सिंह के परिवार का आरोप था कि राम सिंह की हत्या की गई थी। राम सिंह बस ड्राइवर था। दक्षिण दिल्ली के रविदास झुग्गी में रहने वाला राम सिंह वारदात से 20 साल पहले राजस्थान से दिल्ली आया था। निर्भया केस में सबसे पहले राम सिंह को ही गिरफ्तार किया गया था।
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पवन दिल्ली में फल बेंचने का काम करता था। वारदात वाली रात वह बस में मौजूद था। पवन जेल में रहकर ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा था।
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निर्भया से गैंगरेप का दोषी मुकेश बस क्लीनर का काम करता था। जिस रात गैंगरेप की यह घटना हुई थी उस वक्त मुकेश सिंह बस में ही सवार था। गैंगरेप के बाद मुकेश ने निर्भया और उसके दोस्त को बुरी तरह पीटा था।
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निर्भया का दोषी विनय जिम ट्रेनर का काम करता था। वारदात वाली रात विनय बस चला रहा था। इसने पिछले साल जेल के अंदर आत्महत्या की कोशिश की थी लेकिन बच गया।
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यह बिहार का रहने वाला था। इसने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और दिल्ली चला आया। शादी के बाद ही 2011 में दिल्ली आया था। यहां वह राम सिंह से मिला। घर पर इस पत्नी और एक बच्चा है।
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निर्भया को 6वां दोषी नाबालिग था। वारदात के वक्त वह 17 साल का था। नाबालिग दोषी उत्तर प्रदेश के एक गांव का रहना वाला है। वह 11 साल की उम्र में दिल्ली आया था। इस केस में इसपर बतौर नाबालिग मुकदमा चलाया गया। 31 अगस्त 2013 को नाबलिग को बलात्कार और हत्या का दोषी पाया गया और उसे सुधार गृह में तीन साल के लिए भेज दिया गया। इसके बाद उसे फ्री कर दिया गया।