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प्राइवेट पार्ट पर रॉड के जख्म, गहरी कटी थी आंत...कुछ ऐसी थी निर्भया की हालत, खुद डॉक्टर ने बताया
नई दिल्ली. निर्भया केस के दोषियों का डेथ वारंट जारी कर दिया गया है। 22 जनवरी की सुबह 7 बजे चारों दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा। ऐसे में बताते हैं कि आखिर कितने विभत्स तरीके से निर्भया से दरिंदगी की गई। निर्भया की स्थिति खुद सबसे पहले सफदरजंग अस्पताल में निर्भया का इलाज करने वाले डॉक्टर विपुल कंडवाल ने बताया। उन्होंने एक इंटरव्यू में उस रात की पूरी कहानी और निर्भया की हालत के बारे में बताया था।
| Published : Jan 08 2020, 01:09 PM IST / Updated: Jan 15 2020, 04:00 PM IST
प्राइवेट पार्ट पर रॉड के जख्म, गहरी कटी थी आंत...कुछ ऐसी थी निर्भया की हालत, खुद डॉक्टर ने बताया
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डॉक्टर ने बताया था कि 16 दिसंबर 2012 की रात करीब डेढ़ बजे जब निर्भया को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में लाया गया तो सबसे पहले मैंने (डॉक्टर विपुल कंडवाल) इलाज किया।
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डॉक्टर विपुल अभी दून अस्पताल में हैं। उन्होंने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में बताया था, जिंदगी में पहले कभी ऐसा केस नहीं देखा था।
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उन्होंने बताया था, मैं नाइट ड्यूटी पर था। तभी सायरन बजाती तेज रफ्तार एंबुलेंस अस्पताल की इमरजेंसी के बाहर आकर रुकी। मेरे सामने 21 साल की एक लड़की थी। उसके शरीर के कपड़े फटे हुए थे। कपड़े हटाकर जांच की तो दिल मानों थम सा गया। मन में बार बार यही सवाल उठ रहा था कि कोई इतना क्रूर कैसे हो सकता है।
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बाद में दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदंरजग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।
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हालत बिगड़ने पर उसे हायर सेंटर रेफर किया गया, जहां से एयर एम्बुलेंस के जरिए सिंगापुर भी भेजा गया। लेकिन तमाम कोशिश के बावजूद निर्भया को बचाया नहीं जा सका।
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16 दिसंबर 2012 की रात क्या हुआ था : 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया गैंगरेप पर पूरे देश ने गुस्सा जाहिर किया।
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दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी।
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उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं।
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मैंने खून रोकने की कोशिश की। रॉड के जख्म इतने गहरे थे कि बड़ी सर्जरी की जरूरत थी। आंत भी गहरी कटी हुई थी। उन्होंने कहा कि हम निर्भया की जान बचा पाते तो उसके साथ फोटो जरूर खिंचाता।
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छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया।