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रहम की भीख मांग रहे निर्भया के दोषी; कोर्ट से कहा मुझे फांसी नहीं दे सकते क्योंकि अभी मेरे...
नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप और हत्या के मामले में मौत की सजा का सामना कर रहे दोषियों के वकील एपी सिंह ने एक फरवरी को तय उनकी फांसी पर रोक की मांग को लेकर एक फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वकील का कहना है कि कुछ दोषियों ने अभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल नहीं किया है। गौरतलब है कि चारों दोषियों को 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाया जाना है।
| Published : Jan 30 2020, 01:35 PM IST
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दोषियों के वकील एपी सिंह ने पटियाला हाउस कोर्ट में 1 फरवरी के डेथ वॉरंट पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका विशेष न्यायाधीश ए के जैन के सामने आई जिन्होंने कहा कि जिस पर दोपहर बाद सुनवाई होगी। वकील ने अर्जी में दिल्ली प्रिजन मैनुअल का हवाला दिया है। अभी दो दोषियों के पास दो-दो विकल्प हैं। ऐसे में 1 फरवरी को फांसी फिर टलने की आशंका है। तिहाड़ जेल प्रशासन आज नए डेथ वॉरंट के लिए ट्रायल कोर्ट में अर्जी दे सकता है। (फाइल फोटो- दोषियों के वकील एपी सिंह)
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दोषी मुकेश सिंह के बाद अब एक और दोषी विनय शर्मा ने भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दया याचिका भेजी है। विनय की क्यूरेटिव पिटीशन पहले ही खारिज हो चुकी है। इससे पहले मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को खारिज कर दी थी। इस फैसले की न्यायिक समीक्षा को लेकर लगाई याचिका सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दी। अब केवल अक्षय सिंह और पवन गुप्ता के पास क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका का विकल्प है। डेथ वारंट में दोषियों की फांसी का वक्त 1 फरवरी को सुबह 6 बजे तय किया गया है। (फाइल फोटो-निर्भया के चारों दोषी)
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22 जनवरी को दी जानी थी फांसीः इससे पहले निर्भया के दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दी जानी थी जो टल गई थी। दिल्ली जेल नियमों के अनुसार एक ही अपराध के चारों दोषियों में से किसी को भी तब तक फांसी पर नहीं लटकाया जा सकता जब तक कि अंतिम दोषी दया याचिका सहित सभी कानूनी विकल्प का प्रयोग नहीं कर लेता। (फाइल फोटो- निर्भया के दोषी)
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दोषियों के पास विकल्पः मुकेश सिंह के सभी विकल्प (क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका) खत्म हो चुके हैं। जबकि दोषी पवन गुप्ता के पास अभी दोनों विकल्प क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका बचे हैं। वहीं, दोषी अक्षय ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की है। दया याचिका का भी विकल्प बचा। इसके साथ ही दोषी विनय शर्मा की क्यूरेटिव पिटीशन पहले ही खारिज हो चुकी है। उसने राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी। (निर्भया के दोषियों की प्रोफाइल)
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किसी एक की याचिका लंबित रहने तक फांसी पर कानूनन रोकः जिन दोषियों के पास कानूनी विकल्प हैं, वे तिहाड़ जेल द्वारा दिए गए नोटिस पीरियड के दौरान इनका इस्तेमाल कर सकते हैं। दिल्ली प्रिजन मैनुअल के मुताबिक, अगर किसी मामले में एक से ज्यादा दोषियों को फांसी दी जानी है, तो किसी एक की याचिका लंबित रहने तक सभी की फांसी पर कानूनन रोक लगी रहेगी। निर्भया केस भी ऐसा ही है, चार दोषियों को फांसी दी जानी है। अभी कानूनी विकल्प भी बाकी हैं और एक केस में याचिका भी लंबित है। ऐसे में 1 फरवरी को फांसी फिर टल सकती है। (तिहाड़ जेल के भीतर की फाइल फोटो)
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दोषियों के खिलाफ लूट-अपहरण का भी केसः फांसी में एक और केस अड़चन डाल रहा है। वह है सभी दोषियों के खिलाफ लूट और अपहरण का मामला। दोषियों के वकील एपी सिंह का कहना है कि पवन, मुकेश, अक्षय और विनय को लूट के एक मामले में निचली अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ अपील हाईकोर्ट में लंबित है। जब तक इस पर फैसला नहीं होता जाता, दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकती। (निर्भया के दोषी)
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क्या है पूरा मामला ? दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। (फाइल फोटो-निर्भया के माता-पिता)
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जिसके बाद लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया।बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई। (फाइल फोटो- निर्भया से इसी बस में की गई थी दरिंदगी)