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ये चारों तो फांसी पर लटक चुके होंगे, उसके बाद सबके सामने आएगा सच... दोषियों के वकील का निकला गुस्सा

नई दिल्ली. निर्भया के चारों दोषियों को 20 मार्च यानी शुक्रवार सुबह 5.30 बजे फांसी होनी है। इससे पहले दोषियों ने इस फांसी को रुकवाने के लिए तमाम कानूनी दांव पेंच चले। लेकिन सब फेल होते नजर आ रहे हैं। दोषी गुरुवार को निचली अदालत, सुप्रीम कोर्ट से लेकर राष्ट्रपति तक पहुंचे। लेकिन उनकी कोई चाल कामयाब नहीं हुई। अब फांसी का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है। 7 साल से निर्भया की मां न्याय के लिए इंतजार कर रहीं हैं। इस केस में दोषियों की जिंदगी और मौत के बीच वकील एपी सिंह दीवार बनकर खड़े रहे। उनका कहना है कि आतंकवादियों को जेल में बिरयानी खिलाई जाती है तो फिर इन्हें मौत देने की इतनी जल्दी क्यों है? उन्होंने सवाल उठाया, क्या एक मां के दर्द का उपचार पांच मां को घाव देकर करना सही है क्या?  

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Asianet News Hindi
Published : Mar 19 2020, 07:07 PM IST| Updated : Mar 19 2020, 11:44 PM IST
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Asianet News से बातचीत में एपी सिंह ने बताया था कि सात साल पहले दोषियों का परिवार उनके घर तक कैसे पहुंचा था। एपी सिंह ने कहा कि दोषियों का परिवार बर्बाद हो चुका है। उन्हें क्या मिला। निर्भया का भाई तो पायलट बन गया। परिवार सेटल हो गया।
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निर्भया के दोषियों का 5 मार्च को चौथा वारंट जारी हुआ। इसके मुताबिक, 20 मार्च को सुबह 5.30 बजे फांसी दी जानी है। इससे पहले तीन वारंट जारी हो चुके हैं। सभी पर एक के बाद एक कर कानूनी दांव पेंच के चलते रोक लग गई थी।
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जब एपी सिंह से सवाल किया गया कि आपने निर्भया की मां को कभी चुनौती दी, कि दोषियों को कभी भी फांसी नहीं होने देंगे?
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जब सवाल किया गया कि कोर्ट के बाहर आपकी कभी निर्भया की मां से मुलाकात हुई है?
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"भले ही दोषियों को फांसी हो जाए, लेकिन एक दिन सब लोग इस केस की सच्चाई के बारे में बात करेंगे।"
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"मेरे पास वकीलों की टीम रहती है। अब तक मैंने सवा दो सौ वकील तैयार किए हैं। इंटर्न से लेकर वकील तक सबको तैयार किया। उनमें से 15-16 जज बन गए हैं।"
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"मैं इतिहास में अपना नाम रखना चाहता हूं कि लोग पढ़े। जीवन में दो काम करना चाहिए। या तो ऐसा काम कर जाओ कि आप के बारे में लोग लिखते रहे, या तो ऐसा कुछ लिख जाओ कि लोग आपको पढ़ते रहे।"
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उन्होंने कहा था, " छुपे रूप में अब भी बोल रहे हैं। जैसे-जैसे सब रिटायर होते चले जाएंगे। इस केस की सच्चाई सबके सामने आती चली जाएगी। लेकिन ये लटक चुके होंगे। लोग अपना सिर पटक रहे होंगे।"
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"राष्ट्रपति से लेकर इस केस की सुनवाई के लिए आवाज लगाने वाला चपरासी तक। यह सब बाद में बोलेंगे। इस केस की सच्चाई के बारे में बोलेंगे।"
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"एक अपने क्लाइंट को बचाने के के लिए भारतीय संविधान, जेल मैन्यूअल, जजमेंट पूरी दुनिया के सामने जग जाहिर कर देते हैं। जो गलतियां हो रही हैं सरकारों से। जो गलतियां हो रही हैं देश के महामहिम राष्ट्रपति से। ये सब इतिहास में याद रखा जाएगा।"
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एपी सिंह ने एक के बाद एक कर तमाम याचिकाएं लगाईं। वे सात साल से निर्भया के दोषियों का केस लड़ रहे हैं। उन्होंने कभी निचली, कभी हाईकोर्ट तो कभी सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर तीन बार डेथ वारंट रद्द करवाया।
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"फीस लेने की बात बताने वाली नहीं होती है। मेरे पास निर्भया फंड तो नहीं आ रहा है।"
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"यह मेरा दावा है। क्या हैदराबाद की घटना सही थी? क्या हैदराबाद की घटना के बाद कोई घटना नहीं होगी? अगर हां तो बंद कर दीजिए संविधान को, कचहरी को।"
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"अब हो गई। साढ़े सात साल से जेल में हैं। अगर मान लो फांसी लग भी गई। अगर मीडिया की जीत हो भी गई।"
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एपी सिंह ने बताया, उनका (निर्भया की मां) बेटा तो पायलट बन गया। सेटल हो गए हैं। हां मैं मानता हूं कि घाव होता है। दर्द होता है। मौत, मौत है। मौत किसी व्यक्ति को तो क्या, हमलोग किसी कीड़े मकौड़े को भी नहीं मरने देते हैं।
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"मैंने अपने बच्चों को जॉनी-जॉनी यस पापा, ट्विकल ट्विकल लिटिल स्टार नहीं पढ़ाया है। हमने सीता, सावित्रि, गार्गी, अनुसूईया और रजिया सुल्ताना का कहानियां सुनाकर बड़ा किया है।"
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"लोग कहते हैं कि बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। इस केस में तो अब एकेडमिक रिसर्च हो गई। रिसर्च हो गई कि कैसे-कैसे क्या-क्या दवाब बनते हैं। दबाव को कैसे झेला जाता है। कैसे सहा जाता है। कैसे पिक एंड चूज फॉर्मूला अपनाया जाता है। कैसे स्क्रीन शॉट के सिग्नेचर मर्सी पिटीशन में लगा दिए जाते हैं।"
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"मैं 23 साल से सुप्रीम कोर्ट का मेंबर हूं। जेल में नाम किसका चलता है? जेल में कैदी नाम लेते हैं किसी का? तो इसका मतलब है कि कैदी भी आधे से ज्यादा वकील हो चुके होते हैं। उन्हें पता होता है कि कौन केस लड़ सकता है।"
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एपी सिंह ने कहा, इस देश में आतंकवादियों को बिरयानी दे रहे हैं और हमें फांसी दे रहे हैं। पिक एंड चूज का फॉर्मूला राष्ट्रपति जी अपना रहे हैं। मां मेरी देखती हैं अभी।
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एपी सिंह ने बताया, पवन के पिता ने नाबालिग होने के कागज लाकर दिए। कोर्ट में दिखाया कि देखो मेरा बेटा नाबालिग है, लेकिन कोर्ट मानने के लिए तैयार ही नहीं हुआ। स्कूल सर्टिफिकेट हैं। स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट है।

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