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आई एम सॉरी...पापा को गले लगाकर बोली थी निर्भया, 13 दिन की लड़ाई के बाद मौत का हो गया था एहसास
नई दिल्ली. निर्भया केस में दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की याचिका को बुधवार को खारिज कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने सभी दोषियों को एक हफ्ते का वक्त दिया है, जिसमें वे अपने कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर सकें। इसके बाद डेथ वांरट जारी करने की कार्रवाई शुरू होगी। साथ ही कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि चारों दोषियों को एक साथ फांसी दी जाएगी। केंद्र सरकार ने पटियाला कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ याचिका लगाई थी, जिसमें फांसी पर रोक लगाई गई थी। पहले 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी होनी थी।
| Published : Feb 05 2020, 04:20 PM IST
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16 दिसंबर, 2012 की रात में 23 साल की निर्भया से दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 6 लोगों ने दरिंदगी की थी। साथ ही निर्भया के साथ बस में मौजूद दोस्त के साथ भी मारपीट की गई थी।
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दोनों को चलती बस से फेंक कर दोषी फरार हो गए थे। 29 दिसंबर को निर्भया ने सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था।
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निर्भया 16 दिसंबर से 29 दिसंबर तक अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ती रही। इस दौरान उसके माता पिता भी साथ रहे। निर्भया इस दौरान हर एक दिन को गिनती थी। पिछले दिनों एक चैनल को दिए इंटरव्यू में मां ने बताया था, निधन वाले दिन बेटी ने हम दोनों से कहा कि आप लोग जल्दी से जाकर खाना खा कर आओ।
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थोड़ी देर में किसी ने पुकारा और कहा कि आपकी बेटी बुला रही है। वहां गए तो देखा उसकी आंखों बंद हो रही थीं। वह हमें देख नहीं पाई। फिर उसने कभी आंखें नहीं खोलीं।
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उन्होंने बताया, जिस दिन निर्भया का निधन हुआ, उस दिन शायद उसे पता चल गया था। उसने अपने पापा को बुलाया और बोली, आई एम सॉरी पापा। मैंने आप दोनों को बहुत तकलीफ दी है।
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फिर मेरा हाथ पकड़ा और अपने गले लगा लिया। उस वक्त हम सिंगापुर के अस्पताल में थे।
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मां ने बताया था कि मौत से पहले निर्भया उंगलियों पर दिन गिना करती थी। वह मुझसे बोलती थी, मां आज कौन सा दिन है। बहुत दिन हो गए हैं। मुझे घर जाना है। जब नर्स कहती कि अभी तबीयत ठीक नहीं है, तब वह मायूस हो जाती थी। इस दौरान वह काफी डरी रहती थी।