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अब फांसी से नहीं बच सकेंगे निर्भया के दोषी; चौथी बार जारी हो सकता है मौत का पैगाम, तय होगी नई तारीख
| Published : Mar 05 2020, 08:59 AM IST
अब फांसी से नहीं बच सकेंगे निर्भया के दोषी; चौथी बार जारी हो सकता है मौत का पैगाम, तय होगी नई तारीख
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'उम्मीद करते हैं नया डेथ वारंट आखिरी होगा': अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए पिछले 7 साल 3 महीने से कोर्ट के चक्कर काट रही निर्भया की मां आशा देवी ने पवन की दया याचिका खारिज किए जाने पर कहा, मैं राष्ट्रपति जी का धन्यवाद करना चाहती हूं। मुझे तसल्ली मिली कि दोषियों की आखिरी दया याचिका खारिज हुई। उन्होंने कहा कि नए डेथ वारंट के लिए आवेदन किया है उम्मीद करते हैं कि ये डेथ वारंट आखिरी होगा।
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'दोषियों के पास अभी 14 दिन का वक्त': राष्ट्रपति ने निर्भया के दोषी पवन की दया याचिका को 4 मार्च को खारिज कर दी है। जिसके बाद से निर्भया के दरिंदों की मौत का रास्ता साफ हो गया है। लेकिन नियम के मुताबिक, पवन को दया याचिका खारिज होने से लेकर 14 दिन का वक्त दिया जाएगा। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट 14 दिन बाद फांसी की तारीख तय कर सकती है।
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3 बार टल चुकी है फांसी: निर्भया के दोषियों को मौत देने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा 3 बार डेथ वारंट जारी किया जा चुका है। लेकिन हर बार दोषी फांसी से बचने में सफल हुए। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने तीसरी बार डेथ वॉरंट जारी कर 3 मार्च की सुबह 6 बजे फांसी की तारीख तय की थी।
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दोषी पवन ने 2 मार्च को दया याचिका लगा दी। इस वजह से कोर्ट ने डेथ वॉरंट को रद्द कर दिया। इससे पहले 7 जनवरी को पहला डेथ वॉरंट जारी किया गया था, जिसमें दोषियों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी दिया जाना था। लेकिन दोषियों के कानूनी दांव पेंच के चलते यह फांसी टल गई।
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पटियाला हाउस कोर्ट ने दूसरा डेथ वारंट जारी करते हुए 17 जनवरी को आदेश दिया कि चारों दोषियों को 1 फरवरी की सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाया जाए। लेकिन दोषियों ने फिर पैंतरेबाजी की और 31 जनवरी को कोर्ट ने अनिश्चितकाल के लिए फांसी टाली दी।
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नहीं बचा है अब कोई विकल्पः निर्भया के चारों दोषी अब तक कानूनी विकल्पों के सहारे फांसी से बचते आ रहे हैं। पवन की दया याचिका खारिज होने के बाद चारों दोषियों के पास मौत से बचने के लिए अब कोई विकल्प नहीं नहीं, चारों दोषियों के क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका के विकल्प खत्म हो चुके हैं। हालांकि कहा जा रहा कि तीनों दोषियों की तरह पवन भी दया याचिका खारिज होने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रूख कर सकता है।
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16 दिसंबर 2012 की वह दर्दनाक रात? दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया।
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13 दिन बाद हार गई जिंदगी की जंगः निर्भया और उसके दोस्त को दरिंदों ने महिपालपुर में सड़क के किनारे फेंक दिया था। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा ने दम तोड़ दिया।