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फिजियोथेरेपिस्ट बनकर लोगों का दुख दूर करना चाहती थी, पर आज अपना ही...निर्भया ने मां को ऐसे बताया था दर्द

नई दिल्ली. निर्भया के साथ दरिंदगी करने वाले 6 दोषियों में से बचे 4 दोषियों को 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी दी जानी है। जिसको लेकर तिहाड़ जेल में तैयारियां तेज कर दी गई है। इन सब के बीच केंद्र सरकार ने दोषियों को जल्द फांसी देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है। वहीं, तिहाड़ जेल ने चारों दोषियों से उनकी अंतिम इच्छा की पूर्ती के लिए नोटिस जारी किया है। लेकिन जब भी निर्भया का जिक्र होता है तो सात साल पहले 16 दिसंबर की रात हुए इस दर्दनाक हादसे से हर कोई सिहर जाता है। ऐसे में हम बता रहे हैं आपको निर्भया के दर्द को जिस उसने अपनी मां से साझा किया था। जब निर्भया जिंदगी से हार गई तो उसने अपने आखिरी पलों में मां से जो बातें की वो आपको भी अंदर तक हिला देंगी।

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Asianet News Hindi
Published : Jan 23 2020, 04:55 PM IST
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निर्भया देहरादून के इंस्टीट्यूट से पढ़ाई कर रही थी। उसकी सहेलियां आज भी उसे याद कर रोती हैं। निर्भया की कहानी हर इंसान को अंदर तक झकझोरने वाली है। यहां तक कि उसका इलाज करने वाले डॉक्टर भी अंदर तक हिल गए थे। उस हादसे के बाद दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में निर्भया जिंदगी की जंग लड़ रही थी। वह इस हालत में नहीं थी कि किसी से कुछ भी कह सके। ऐसे में वह अपनी बात अपनी मां से कागज पर लिखकर बताती थी। (निर्भया के दोषियों की फाइल तस्वीर)
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वह कहती थी कि मां मुझे बहुत दर्द हो रहा है। मैने आपसे और पापा से फिजियोथेरेपिस्ट बनकर लोगों के दुख को दूर करने का वादा किया था। लेकिन आज मुझसे अपना ही दुख बर्दाश्त नहीं हो रहा है। कहा कि मां मैं सांस भी नहीं ले पा रही हूं। जब भी मैं आंखें बंद करती हूं तो लगता है कि मैं बहुत सारे दरिंदों के बीच फंसी हूं। वो दरिंदे मेरे शरीर को नोच रहे हैं। (निर्भया की मौत के बाद एंबूलेंस से लाया गया उसका पार्थिव शरीर, फाइल फोटो)
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ये मुझे बुरी तरह से रौंद डालना चाहते हैं। मैं अब अपनी आंखें बंद नहीं करना चाहती हूं। मेरे शरीर में इतनी शक्ति नहीं है की मैं सिर उठाकर बाहर खड़े अपनों को देख सकूं। मां आप मुझे छोड़कर मत जाना। अकेले में मुझे बहुत डर लगता है। मैं आपको तलाशने लगती हूं। (निर्भया के मात-पिता की फाइल तस्वीर)
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जिंदगी और मौत से दो दो हाथ कर रही निर्भया ने अपनी मां से कहा था कि मां आईसीयू की सारी मशीनों से भी मुझे डर लगता है। मुझे उस ट्रैफिक सिग्नल की याद आती है जहां ये सब हुआ। अपनी मां से अपने दर्द और पीड़ा को बयां करती निर्भया बस एक ही गुहार लगाती थी कि उन्हें सजा दिला दो। (निर्भया के मुख्य दोषी राम सिंह की फाइल तस्वीर, जिसने जेल में आत्महत्या कर ली)
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वह जीना चाहती थी। लेकिन डर उसके अंदर इस कदर घर कर गया था कि वह जीने से भी डरने लगी, और अंत में जब वह नहीं लड़ सकी तो एक ही बात कही और हमेशा के लिए सो गई। 'मां मुझे माफ कर देना। अब मैं जिंदगी से और लड़ाई नहीं लड़ सकती।' (इसी बस में निर्भया से दरिंदगी की गई थी, फाइल तस्वीर)
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छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई। (निर्भया के दोस्त की फाइल तस्वीर)

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