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इस गांव के लोगों ने इंतजार में बिताई कई रातें, निर्भया के दोषियों को फांसी मिलते ही होगा 'जश्न'

नई दिल्ली. देश में हुए वीभत्स निर्भया गैंगरेप केस में बड़ी खबर सामने आ रही है कि 1 फरवरी को फांसी पर रोक लगा दी गई है। अनिश्चितकाल के लिए अभी चारों दोषियों की फांसी पर रोक लग गई है।  साल 2020 में 1 फरवरी को निर्भया के चारों दरिंदों को फांसी होनी थी। निर्भया के साथ हुई दरिंदगी से पूरा देश सिहर उठा था। हर किसी की जबान पर देश की इस बेटी के लिए दर्द और न्याय की पुकार थी। वहीं निर्भया के गांव ने भी पिछले सात साल से बेटी के न्याय का इंतजार किया है। दोषियों की फांसी के बाद निर्भया के गांव में दिवाली जैसा जश्न मनाया जाएगा। 

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Asianet News Hindi
Published : Jan 31 2020, 04:36 PM IST| Updated : Jan 31 2020, 06:24 PM IST
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यहां के लोग गांव की बेटी के लिए न्याय को तरस रहे हैं। फांसी के दिन इस दिन गांव में जमकर जश्न मनाया जाएगा। इसके लिए पूरे गांव में तैयारियां चल रही हैं। हर किसी की की जुबान पर निर्भया के न्याय की बात है। दरिंदों को फांसी पर लटकते देख उन लोगों को अच्छा लगेगा जो निर्भया को करीब से जानते थे। जिन्होंने उसे अस्पताल में दर्द से छटपटाते देखा था।
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यूपी के बलिया जिले के मेदौरा कलां गांव की रहने वाली निर्भया को लेकर देश भर में आंदोलन हुआ और कई कानून भी बनाये गये। यहां के लोग दिन गिन-गिन इस मामले पर फैसला आने का इंतजार करते रहे हैं।
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निर्भया के चारों दोषियों को मौत की सजा के लिए डेथ वॉरंट जारी करने की खबर मिलते ही उत्‍तर प्रदेश के बलिया स्थित उसके गांव में खुशी की लहर दौड़ गई थी। पिछले सात साल से दरिंदों के मौत की सजा की मन्नत मांग रहे निर्भया के गांव के साथ जिले के लोगों में देर से ही सही न्याय मिलने को लेकर संतोष नजर आ रहा है।
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निर्भया के माता-पिता और भाई अब दिल्ली में रहते हैं, जबकि दादा और बाकी रिश्तेदार पैतृक गांव में ही रहते हैं। डेथ वारंट के बाद निर्भया के दादा लाल जी सिंह ने कहा था, ' दोषियों की फांसी के फैसले के इंतजार में आंखे पथरा गई थीं।
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अपराधियों को इतना समय नहीं मिलना चाहिए था, जितना इन दरिंदों ने जान बचाने के लिए मामले को लटकाकर लिया। जिस दिन फांसी हो जाएगी, उसी दिन हम समझेंगे की फांसी हो गई। ऐसे मामले में एक दो तीन महीने के भीतर सजा मिल जाएं तो घटनाएं निश्चित ही कम हो जाएंगी।'
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दोषियों की फांसी पर निर्भया की चचेरी बहन जूही सिंह भी बहुत खुश हैं। दोषियों की फांसी के बाद पूरे गांव के लोग त्योहार के रूप में मनाएंगे। जूही का कहना है कि ऐसे दोषियों को फांसी देने में देरी नहीं करनी चाहिए, हमारी बहन तो चली गई और इस दरिंदगी से भारत ही नहीं पूरी दुनिया कांप गई थी।
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दरिंदों की फांसी के फंदे का भी निर्भया के गांव से भी गहरा संबंध है। फांसी का फंदा उसके गांव के पास ही बना है। उसके गांव से बक्सर सेंट्रल जेल की दूरी 13 किलोमीटर है। बक्सर सेंट्रल जेल में बने मनीला फंदे से ही पूरे देश में फांसी दी जाती है।
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निर्भया के साथ दिल्ली में चलती बस में गैंगरेप किया गया था। उसके गांव में दरिंदों को लेकर जमकर गुस्सा था यहां के लोगों ने नाबालिग दोषी को छोड़े जाने पर जमकर विरोध किया था।
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निर्भया का ये गांव यूं तो काफी पिछड़ा है। सरकारों के वादों के बाद भी गांव के हालात ज्यादा बेहतर नहीं हो पाए हैं। गांव के विकास को लेकर तत्कालीन यूपी सरकार की तरफ से कई लंबे चौड़े वायदे किये गये, मगर सालों बीत जाने के बाद यह गांव आज भी विकास की दौर में काफी पीछे है।

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