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10 की मौत.. तब्लीगी मरकज ने कहा, हमारी गलती नहीं, बताई लॉकडाउन के पहले और बाद की पूरी कहानी
नई दिल्ली. निजामुद्दीन में तब्लीगी मरकज से 1034 लोगों को निकाला गया, जिसमें 24 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। मरकज से बसों के जरिए 34 चक्कर लगाए गए। इनमें से 334 को हॉस्पिटल में और 700 को क्वारंटीन सेंटर में शिफ्ट किया गया है। बता दें कि 1 से 15 मार्च तक निजामुद्दीन में मरकज तब्लीगी जमात का जलसा था, जिसमें भारत सहित 15 देशों से करीब 5 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए। हैरानी की बात तो यह है कि 22 मार्च को लॉकडाउन के ऐलान के बाद भी यहां करीब 2 हजार लोग ठहरे हुए थे।
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2 हजार लोगों में से 200 लोग कोरोना पॉजिटिव हैं। वहीं जो लोग यहां से लौटकर अपने घर गए थे, उनमें 10 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें तेलंगाना में 6, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर में एक-एक व्यक्ति की मौत कोरोना संक्रमण से मौत हुई है। ऐसे में आरोप लग रहे हैं मौलवी की लापरवाही की वजह से करीब 5 हजार से ज्यादा लोगों की जान खतरे में है। ऐसे में जानने की कोशिश करते हैं तब्लीगी ने इस मामले में क्या सफाई दी है?
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जनता कर्फ्यू के ऐलान का पालन किया। उसी दिन मरकज को बंद कर दिया। किसी को बाहर से नहीं आने दिया। जो लोग पहले से मरकज में थे, उन्हें घर भेजने का इंतजाम किया जाने लगा।
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जनता कर्फ्यू से एक दिन पहले से ही कई जगहों पर रेल सेवाएं बंद होने लगी थी। इसलिए जो लोग बाहर से आए थे, उन्हें बाहर भेजना मुश्किल था। फिर भी दिल्ली और आसपास के करीब 1500 लोगों को घर भेजा गया। करीब 1000 लोग मरकज में बचे रह गए।
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जनता कर्फ्यू के बाद 31 मार्च तक लॉकडाउन का ऐलान हो गया। बस और दूसरी गाड़ियां मिलनी बंद हो गईं। ऐसे में जो लोग दूसरे प्रदेशों से आए थे, उन्हें घर भेजना मुश्किल था।
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प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की बात मानी। उन्होंने कहा था कि जो लोग जहां हैं वहीं रहें। बाहर न निकलें। हमने उन्हीं के आदेश का पालन किया।
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24 मार्च को निजामुद्दीन एसएचओ ने हमें नोटिस भेजकर धारा 144 के उल्लंघन का आरोप लगाया। हमने जवाब में एक पत्र लिखा। हमने कहा, मरकज को बंद कर दिया गया है। 1500 लोगों को उनके घर भेज दिया गया है। लेकिन अभी भी 1000 लोग यहीं पर हैं, जिनको भेजना मुश्किल हैं। हमने यह भी बताया था कि हमारे यहां पर कुछ विदेश नागरिक भी फंसे हुए हैं।
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हमने एसडीएम को अर्जी देकर 17 गाड़ियों के लिए कर्फ्यू पास मांगा, जिससे हम यहां पर फंसे लोगों को घर भेज सकें। लेकिन अभी तक किसी को पास नहीं मिले।
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25 मार्च को तहसीलदार और एक मेडिकल की टीम आई थी, उसने लोगों की जांच की थी।
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26 मार्च को हमें एसडीएम ऑफिस बुलाया गया। डीएम से भी मुलाकात हुई। तब भी हमने फंसे हुए लोगों की जानकारी दी। कर्फ्यू पास भी मांगा था। 27 मार्च को 6 लोगों की तबीयत खराब हुई तो मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया।
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28 मार्च को एसडीएम और डब्ल्यूएचओ की टीम 33 लोगों को जांच के लिए ले गई, उन्हें राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में रखा गया है।
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28 मार्च को एसीपी लाजपत नगर ने नोटिस भेजा। कहा कि हम गाइडलाइंस और कानून का उल्लंघन कर रहे हैं। हमने फिर से उन्हें जवाब भेजा।
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30 मार्च को अचानक ये खबर फैल गई कि मरकज में कोरोना के मरीजों को रखा गया है। वहा टीम ने रेड मारी है। जबकि ऐसा नहीं था।
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अरविंद केजरीवाल हमपर एफआईआर दर्ज करने की बात कह रहे हैं। लेकिन उन्हें हकीकत मालूम होती तो वह ऐसा नहीं करते।
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हमने लगातार पुलिस और प्रशासन को जानकारी दी कि हमारे यहां कई लोग रुके हुए हैं। उन्हें अचानक इस बीमारी की जानकारी मिली।
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