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3700kg विस्फोटक में धमाके के साथ मलबे में बदल गया ट्विन टावर्स, देखें ध्वस्त होने से पहले की खास तस्वीरें
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सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर्स की ऊंचाई दिल्ली के कुतुब मीनार से भी अधिक थी। यह भारत की सबसे ऊंची इमारत थी, जिसे गिराया गया। इससे पहले भारत में कभी इतनी ऊंची इमारत को नहीं गिराया गया था।
बिल्डिंग गिरने के वक्त उठने वाले कंपन को कम करने के लिए इम्पैक्ट कुशन डिजाइन किए गए थे। मलबा और धूल फैलने से रोकने के लिए कंटेनर लगाए गए थे। भवनों को जाल और कपड़े से ढंका गया था।
ट्विन टावर्स गिराने से 35 हजार घन मीटर मलबा पैदा हुआ है। ट्रकों के माध्यम से इसे हटाने में करीब तीन महीने लगेंगे। इसके चलते वायू प्रदूषण होगा।
ट्विन टावर्स को एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी परिसर में मानदंडों का उल्लंघन कर बनाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इसे गिराने का आदेश दिया था। नोएडा प्राधिकरण के मार्गदर्शन में भवनों को गिराया गया। इसपर होने वाला खर्च सुपरटेक कंपनी देगी।
'सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट' हाउसिंग सोसाइटी को मूल रूप से नौ मंजिलें बनाने की मंजूरी दी गई थी। बाद में योजना को संशोधित किया गया और बिल्डर को प्रत्येक टावर में 40 मंजिल बनाने की अनुमति दी गई। जिस क्षेत्र में टावरों का निर्माण किया गया था वहां मूल योजना के अनुसार एक गार्डन बनाया जाना था।
ट्विन टावर्स गिराए जाने से पहले आसपास के लोगों को अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा। लोगों को रविवार सुबह 7 बजे तक जगह खाली करने के लिए कहा गया था।
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ट्विन टावर्स के आसपास रहने वाले स्ट्रीट डॉग्स को भी पकड़कर सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया। इसके लिए एक एनजीओ के सदस्यों ने कुत्तों को पकड़ा और उन्हें पिंजड़े में कैद कर ले गए।
ट्विन टावर्स की अंतिम झलक पाने के लिए शनिवार रात से लेकर रविवार सुबह तक लोग जुटे। लोगों ने टावर्स के सामने खड़े होकर सेल्फी ली।
ट्विन टावर्स के आसपास से लोगों को हटा दिया गया था। मौके पर 560 पुलिसकर्मी, रिजर्व फोर्स के 100 लोग, 4 क्विक रिस्पांस टीम और एनडीआरएफ टीम को तैनात किया गया था।
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