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मई 2023 तक लड़ाई के लिए तैयार होगा INS Vikrant, चीन की चुनौती का करेगा मुकाबला, जानें क्यों है खास
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आईएनएस विक्रांत पर कामोव के साथ ही अमेरिका से खरीदे गए नए MH60 रोमियो हेलिकॉप्टर को भी तैनात किया जाएगा। यह हेलिकॉप्टर सबमरीन के खिलाफ लड़ाई में काम आता है। आईएनएस विक्रांत का फ्लाइंग डेक 262 मीटर लंबा और 62.4 मीटर चौड़ा है। इतनी बड़ी जगह में फुटबॉल के दो मैदान समा सकते हैं।
पोत को लड़ाई के लिए तैयार करने में 5-6 महीने लगेंगे। इसके बाद यहां से लड़ाकू विमान टेकऑफ और लैंडिंग कर पाएंगे। हवाई हमले से बचाव के लिए इस युद्धपोत को सतह से हवा में मार करने वाले बराक मिसाइलों से लैस किया जाएगा। फ्लाइंग ट्रायल नवंबर में शुरू हो सकता है और यह मई 2023 में खत्म हो सकता है।
आईएनएस विक्रांत के शामिल होने से भारतीय नौसेना की क्षमता में बहुत अधिक इजाफा होगा। नौसेना एक साथ दो एयरक्राफ्ट कैरियर ऑपरेट करेगी। वर्तमान में नौसेना के पास एकमात्र विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य है। जब यह मेंटेनेंस के लिए जाता है तब नेवी के पास कोई दूसरा ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं होता।
भारत दुनिया के उन सात चुनिंदा देशों में शामिल है, जिसके पास एयरक्राफ्ट कैरियर है। भारत के अलावा अमेरिका, यूके, फ्रांस, रूस, इटली और चीन की नौसेना एयरक्राफ्ट कैरियर ऑपरेट करती है। विक्रांत अब तक का भारत का सबसे बड़ा युद्धपोत है। इसका वजन 43 हजार टन है।
मेडिकल इमरजेंसी से निपटने की व्यवस्था पोत पर की गई है। यहां 16 बेड का एक मिनी हॉस्पिटल है। इसमें दो ऑपरेशन रूम और एक सीटी स्कैन मशीन है। इसके साथ ही विभिन्न तरह के जांच और एक्स-रे करने की भी सुविधा है। पोत पर दांत के दर्द का भी इलाज हो सकता है।
पोत पर एक बार में 1700 नौसैनिकों को तैनात किया जा सकता है। इतने लोगों को खाना खिलाने के लिए यहां खास व्यवस्था की गई है। पोत पर एक साथ 100 टन राशन लोड किया जाता है। खाना बनाने की जिम्मेदारी 50 कुक निभाएंगे। पोत पर खाना बनाने के लिए तीन गैलरी हैं। यहां रोज 10 हजार रोटियां बनाई जा सकती हैं।
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पोत पर एक बार में 30 लड़ाकू विमानों और हेलिकॉप्टरों को तैनात किया जा सकता है। अभी इसपर मिग 29के विमान तैनात किया गया है। नौसेना आईएनएस विक्रांत के लिए नए लड़ाकू विमान खरीदने वाली है। इसके लिए अमेरिका के F/A 18 और फ्रांस के राफेल एम के बीच मुकाबला है।
आईएनएस विक्रांत को बनाने में करीब 20 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। पोत पर तैनात होने वाली महिला नौसैनिकों के लिए विशेष केबिन बनाए गए हैं। पोत में 2300 से अधिक पुर्जे लगे हैं। विक्रांत की अधिकतम रफ्तार 51 किलोमीटर प्रतिघंटा है। इसकी क्रूजिंग स्पीड 33 किलोमीटर प्रतिघंटा है। यह एक बार में 13890 किलोमीटर की यात्रा कर सकता है।
विक्रांत की लंबाई 262 मीटर है। यह 62 मीटर चौड़ा और 59 मीटर ऊंचा है। इसका निर्माण 2009 में शुरू हुआ था। पोत में चार गैस टर्बाइन इंजन लगे हैं। इनसे कुल मिलाकर 88 MW बिजली पैदा होती है। पोत के निर्माण के लिए 2007 में रक्षा मंत्रालय और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के बीच समझौता हुआ था।
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