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मौत से डरे दरिंदे,पवन ने दाखिल की याचिका, मुकेश पहुंचा मानवाधिकार आयोग तो अक्षय की पत्नी ने मांगा तलाक
नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड के दोषियों को 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे फांसी दी जानी है। लेकिन दोषी फांसी से बचने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं। इसी क्रम में दोषीअक्षय ने मंगलवार शाम दूसरी बार दया याचिका दाखिल की है। अक्षय ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को संबोधित करते हुए जेल प्रशासन को अपनी दया याचिका सौंपी है। इस दया याचिका को दिल्ली सरकार के जरिये केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा।
| Published : Mar 18 2020, 08:52 AM IST
मौत से डरे दरिंदे,पवन ने दाखिल की याचिका, मुकेश पहुंचा मानवाधिकार आयोग तो अक्षय की पत्नी ने मांगा तलाक
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पवन ने दाखिल की क्यूरेटिव पिटीशनः निर्भया के दोषी फांसी की तारीख तय होने के बाद से लगातार फांसी टालने के लिए कानूनी पैंतरों अजमा रहे हैं। फांसी की तारीख तय होने के बाद मिलने वाले सभी कानूनी विकल्प आजमा लेने के बावजूद दोषी नए-नए दांव खेल रहे हैं। दोषी पवन ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है और क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की है। इसमें यह दावा किया गया कि अपराध करने के समय वह नाबालिग था और इसलिए उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलना चाहिए।
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अक्षय की पत्नी ने मांगा तलाकः दोषियों के फांसी से ऐन पहले नए-नए मोड़ आ रहे हैं। अब दोषी अक्षय की पत्नी ने बिहार के औरंगाबाद परिवार न्यायालय में तलाक की अर्जी दाखिल की है। अक्षय की पत्नी ने अपनी अर्जी में कहा है कि उनके पति को रेप के मामले में दोषी ठहराया गया है और उन्हें फांसी दिया जाना है। उसकी पत्नी ने कहा है कि हालांकि, वह निर्दोष हैं ऐसे में वह उनकी विधवा बन कर नहीं रहना चाहती। इसलिए उन्हें पति से तलाक चाहिए। जानकारी के मुताबिक, इस मामले में 19 मार्च को सुनवाई की होगी।
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पुनिता के वकील ने कहा- अधिकार हैः इस मामले में पुनिता के वकील मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि पीड़ित महिला को कानूनी अधिकार है कि वह हिंदू विवाह अधिनियम 13(2)(II) के तहत कुछ खास मामलों में तलाक का अधिकार पा सकती है। इसमें रेप का मामला भी शामिल है। अगर रेप के मामले में किसी महिला के पति को दोषी ठहरा दिया जाता है, तो वह तलाक के लिए अर्जी दाखिल कर सकती है।
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मुकेश पहुंचा मानवाधिकार आयोगः दोषी मुकेश ने फांसी से बचने के लिए मानव अधिकार आयोग का रूख किया है। मानवाधिकार आयोग में याचिका दाखिल कर उसने फांसी की सजा को टालने की मांग की है। मुकेश ने मानवाधिकार आयोग को दिए याचिका में कहा है कि जेल में राम सिंह की मौत का गवाह है और उसकी हत्या की गई थी। मुकेश ने दावा किया है कि इस मामले की जांच सही तरीके से नहीं हुई है, इसलिए पहले इसकी जांच तो, उसके बाद उसे सजा दी जाए।
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मुकेश की याचिका हुई खारिजः दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को दोषी मुकेश की याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने मौत की सजा को रद्द करने की मांग करते हुए दावा किया था कि वह घटना के समय दिल्ली में नहीं था। मुकेश की याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि न्यायिक संस्था के लिए समय बहुत कीमती है। इसलिए हमें समय के महत्व को समझना चाहए और सही जगह पर इसका इस्तेमाल करना चाहिए।
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मुकेश ने याचिका में दावा किया था कि उसे 17 दिसंबर 2012 को राजस्थान से गिरफ्तार किया गया था। ऐसे में वह घटनास्थल यानी दिल्ली के वसंत विहार में मौजूद नहीं था। इसी के साथ मुकेश ने तिहाड़ जेल में प्रताड़ित करने का भी आरोप लगाया है। (फाइल फोटोः दोषी रामसिंह, जिसने जेल में फांसी लगा कर आत्महकत्या कर ली थी।)
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20 मार्च को दी जानी है फांसीः निर्भया के चारों दोषियों क्रमशः पवन, मुकेश, विनय और अक्षय को फांसी पर लटकाने के लिए 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे की तारीख तय की गई है। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने चौथी बार डेथ वारंट जारी करते हुए मौत की यह तारीख तय की है। इससे पहले दोषी तीन बार फांसी से बच चुके हैं।
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तीन बार टल चुकी है फांसीः निर्भया की मां आशा देवी ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में दोषियों का डेथ वारंट जारी करने की याचिका दाखिल की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए 7 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने 22 जनवरी को फांसी पर लटकाने का आदेश दिया। लेकिन दोषियों के कानूनी पैंतरेबाजी के कारण मौत की तारीख टल गई। जिसके बाद कोर्ट ने 1 फरवरी को फांसी पर लटकाने का आदेश दिया, लेकिन यह तारीख भी टल गई। कोर्ट ने तीसरी बार डेथ वारंट जारी करते हुए 3 मार्च को मौत देने का आदेश दिया, लेकिन यह तारीख भी टल गई। जिसके बाद कोर्ट ने चौथी बार वारंट जारी करते हुए 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे फांसी पर लटकाने का आदेश दिया है।
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नहीं बचा है कोई कानूनी विकल्पः निर्भया के दोषियों के फांसी से बचने के लिए सारे कानून विकल्प खत्म हो गए है। हालांकि दोषी बचने के लिए कोई न कोई तरकीब खोज ही ले रहे हैं। लेकिन चारों दोषियों को मिलने वाले कानूनी विकल्प (क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका) खत्म हो गए हैं। अभी तक दोषी इन्हीं विकल्पों के कारण बचते आए है। बावजूद इसके चारों दोषी लगातार कोई न कोई याचिका दाखिल कर फांसी से बचने की कोशिश कर रहे हैं।
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क्या है निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड?दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई। (फोटोः निर्भया के चारों दोषियों की प्रोफाइल, जिन्हें 20 मार्च को फांसी दी जानी है।)