PM MODI ने चाणक्य और रवीद्रनाथ टैगार का किया जिक्र, जानें UN को दिए कौन से सुझाव
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चाणक्य की कौन सी लाइन का जिक्र
पीएम मोदी ने कह- भारत के महान कूटनीतिज्ञ, आचार्य चाणक्य ने सदियों पहले कहा था-कालाति क्रमात काल एव फलम् पिबति। जब सही समय पर सही कार्य नहीं किया जाता, तो समय ही उस कार्य की सफलता को समाप्त कर देता है।
UN को क्या मैसेज दिया
चाणक्य की इन लाइनों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा- संयुक्त राष्ट्र को खुद को प्रासंगिक बनाए रखना है तो उसे अपनी प्रभावशीलता (Effectiveness) को सुधारना होगा और विश्वसनीयता (Reliability) को बढ़ाना होगा।
UN पर आज कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। इन सवाल को हमने क्लाइमेट क्राइसेस में देखा है, कोविड के दौरान देखा है। दुनिया के कई हिस्सों में चल रही प्रॉक्सी वॉर- आतंकवाद और अभी अफ़ग़ानिस्तान के संकट ने इन सवालों को और गहरा कर दिया है।
कोविड के मूल (Origin) के संदर्भ में और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग (Ease of Doing Business Rankings) को लेकर, वैश्विक गवर्नेंस से जुड़ी संस्थाओं ने, दशकों के परिश्रम से बनी अपनी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाया है।
टैगोर का भी किया जिक्र
पीएम ने कहा- ये आवश्यक है कि हम UN को ग्लोबल ऑर्डर, ग्लोबल लॉ और ग्लोबल वैल्यू के संरक्षण के लिए निरंतर सुदृढ़ करें। मैं, नोबल पुरस्कार विजेता, गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर का जिक्र करते हुए कहा- शुभो कोर्मो-पोथे / धोरो निर्भोयो गान, शोब दुर्बोल सोन्शोय /होक ओबोसान। अर्थात अपने शुभ कर्म-पथ पर निर्भीक होकर आगे बढ़ो। सभी दुर्बलताएं और शंकाएं समाप्त हों।
ये संदेश आज के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र के लिए जितना प्रासंगिक है उतना ही हर जिम्मेदार देश के लिए भी प्रासंगिक है। मुझे विश्वास है, हम सबका प्रयास, विश्व में शांति और सौहार्द बढ़ाएगा, विश्व को स्वस्थ, सुरक्षित और समृद्ध बनाएगा।