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PHOTOS: जब अचानक सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट साइट पर पहुंच गए PM मोदी; twitter पर पता है लोगों ने क्या पूछा?
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सेंट्रल विस्टा की साइज पर मोदी को इस तरह इंजीनियर की तरह बारीकी से कंस्ट्रक्शन का निरीक्षण करते देखकर twitter पर कई प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।
एक ने लिखा-लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती; कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। कोशिश करते रहें, सफलता मिलती है; उसका उदाहरण प्रस्तुत है।
किसी अन्य ने लिखा-चरैवेति चरैवेति चरैवेति के सिद्धांत को अगर किसी ने सही मायने में सिद्ध किया है, तो वो प्रधानमंत्री narendramodi जी ने।
एक यूजर ने लिखा-जिनके शब्दकोश में थकना शब्द ही नहीं है।
एक यूजर लिखता है-सिर झुका कर आपको सलाम है साहब।
किसी ने पूछा-इतनी ऊर्जा कहां से मिलती है आपको?
कोई बोला-यही तो है नया बदलता हुआ भारत। एक ने लिखा-मेहनत, हिम्मत और लगन से कल्पना साकार होती है।
बता दें कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट 22 लाख वर्गफीट पर बन रहा है। इसकी लागत करीब 13000-15000 करोड़ रुपए बताई गई है।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के अंतर्गत देश के नए संसद भवन और नए आवासीय परिसर का निर्माण होना है। इसमें प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति के आवास सहित कई नए कार्यालय भवन और मंत्रालय के कार्यालयों के लिए केंद्रीय सचिवालय बनेंगे। इस प्रोजेक्ट की घोषणा सितंबर 2019 में की गई थी। 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पिछले दिनों बताया था कि 51 मंत्रालयों के लिए ऑफिस, मेट्रो के साथ जोड़ना, नया संसद भवन, 9 ऑफिस के भवन, न्यू इंदिरा गांधी सेंटर फॉर परफार्मिंग आर्ट्स सब मिलाकर सेंट्रल विस्टा के निर्माण पर खर्चा करीब 13,000-15,000 करोड़ आएगा।
करीब 100 साल बाद देश को नया संसद भवन मिलेगा। अहमदाबाद के आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने नए संसद भवन की डिजाइन तैयार की है। 1911 में ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस के डिजाइन पर दिल्ली वजूद में आई थी। इसके बाद 1921-27 के बीच संसद भवन बना। उस वक्त नए कंस्ट्रक्शन के लिए इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक के तीन किलोमीटर लंबे राजपथ के आसपास के इलाके की पहचान हुई थी। इसे सेंट्रल विस्टा नाम से जाना जाता है। अब जो रिनोवेशन और नया कंस्ट्रक्शन होने जा रहा है, उसे भी केंद्र सरकार ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट ही नाम दिया है।
संसद भवन अब पुराना हो चुका है। ऐसे में कई जगह रिपेयरिंग की जरूरत है। एयर कंडीशनर, ऑडिओ-विजुअल सिस्टम, वेंटिलेशन और इलेक्ट्रिसिटी जैसी तमाम चीजों में बदलाव की जरूरत है। वहीं, राज्यसभा और लोकसभा में सिटिंग कैपेसिटी मैक्जिमम लेवल पर पहुंच चुकी है। इस वजह से नई बिल्डिंग जरूरी है। इसके अलावा मंत्रालयों के दफ्तर भी दिल्ली में अलग-अलग जगहों पर हैं। नए कंस्ट्रक्शन में इसे भी तरजीह दी जा रही है कि सभी मंत्रालय एक ही जगह हों।
संसद की नई इमारत बनाने का कॉन्ट्रैक्ट टाटा को मिला है। नई संसद पार्लियामेंट हाउस स्टेट के प्लॉट नंबर 118 पर बनाई जाएगी। इस प्रोजेक्ट के तहत इंडिया गेट के आसपास 10 इमारतें और बनेंगी। इसमें 51 मंत्रालयों के दफ्तर होंगे।
संसद की नई इमारत के 2022 तक बनने की उम्मीद है। इसके तहत पुरानी बिल्डिंग के दोनों ओर तिकोने आकार में दो बिल्डिंग बनेंगी। पुराने संसद भवन का आकार गोल है। नई इमारत पुरानी बिल्डिंग के पास होगी। दोनों में एक साथ काम होगा।
अभी लोकसभा में 590 लोग बैठ सकते हैं, नई लोकसभा में 888 सीटें होंगी। इसके अलावा विजिटर्स गैलरी में 336 लोगों के बैठने का इंतजाम होगा। राज्यसभा में सिटिंग कैपेसिटी 280 से बढ़कर 384 होगी। विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोग बैठ सकेंगे। संयुक्त सेशन के वक्त सिर्फ नई लोकसभा में ही 1272 से ज्यादा सांसद बैठ सकेंगे।
संसद के हर विभाग के लिए अलग अलग ऑफिस होंगे। ऑफिसर्स और कर्मचारियों के लिए हाईटेक सुविधाएं होंगी। कैफे और डाइनिंग एरिया भी हाईटेक बनाया जाएगा। कॉमन रूम्स, महिलाओं के लिए लाउंज और वीआईपी लाउंज की भी व्यवस्था होगी।