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उसूलों पर आंच आए तो टकराना जरूरी है, गर जिंदा हो तो...कुछ इस कदर बढ़ती गई सिंधिया की नाराजगी
| Published : Mar 10 2020, 09:40 AM IST
उसूलों पर आंच आए तो टकराना जरूरी है, गर जिंदा हो तो...कुछ इस कदर बढ़ती गई सिंधिया की नाराजगी
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मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में सिंधिया को प्रचार की कमान सौंपी गई। सिंधिया ने जी जान लगाकर प्रचार की जिम्मेदारी संभाली और मध्यप्रदेश में कांग्रेस का वनवास खत्म कराया। लेकिन प्रदेश के मुखिया का पद उनके हाथ से छिन गया।
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कांग्रेस पार्टी के नियमों के मुताबिक एक व्यक्ति एक पद के अनुसार सीएम कमलनाथ को पीसीसी चीफ का पद त्यागना है। ऐसे में नए पीसीसी चीफ के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम कई बार चर्चा में रहा, लेकिन अभी तक पद नहीं मिला।
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लोकसभा का चुनाव हारने के बाद सिंधिया को उम्मीद थी की पार्टी उन्हें राज्यसभा भेजगी। मध्यप्रदेश के तीन सीटों पर राज्यसभा का चुनाव होना है। राज्यसभा भेजने के लिए जब सिंधिया का नाम सामने आया तो अड़ंगा लगना शुरू हो गया। जिसके बाद से सिंधिया की नाराजगी और बढ़ गई।
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कांग्रेस से बढ़ती नाराजगी पर सिंधिया ने अपन ट्विटर प्रोफाइल से कांग्रेस हटा दिया, केवल जनसेवक व क्रिकेट प्रेमी लिखा।
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सीएम कमलनाथ से सिंधिया ने चार इमली में बी-17 बंगला मांगा, लेकिन सरकार ने यह बंगला उन्हें न आवंटित करते हुए अपने बेटे नकुलनाथ को आवंटित कर दिया गया।
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अगस्त 2019 में सिंधिया का वीडियो भी सोशल मीडिया पर आया। जिसमें सिंधिया शायरी करते हुए दिख रहे थे, ' आंधियों की जिद जहां बिजलिया गिराने की। हमारी भी जिद है, वहां आशियां बनाने की। उसूलों पर आंच आए तो टकराना जरूरी है। गर जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है।
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14 फरवरी 2020 को टीकमगढ़ में अतिथि विद्वानों के मामले पर बोलते हुए सिंधिया ने कहा, 'यदि वचनपत्र में किए गए एक-एक वादे पूरे नहीं हुए तो वो सड़कों पर उतरेंगे। जिसके जवाब में कमलनाथ ने कहा, 'जिसको उतरना है उतर जाए।'
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बीजेपी में जाएंगे सिंधिया? सिंधिया की नाराजगी और विधायकों के बेंगलुरू भेजे जाने के बाद खबर सामने आने लगी है कि सिंधिया बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। अटकलें लगाई जाने लगीं कि सिंधिया बीजेपी जॉइन कर केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल किए जा सकते हैं। उन्हें राज्यसभा भेज कर मोदी सरकार में अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।