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चीन से विवाद के बीच भारत रूस से मांगेगा ब्रह्मास्त्र 'S-400' जानिए क्या है इसकी खासियत?
नई दिल्ली. भारत चीन के विवाद के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस दौरे पर हैं। वे यहां रूस की 75वीं विक्ट्री परेड में हिस्सा लेंगे। माना जा रहा है कि राजनाथ सिंह अपने इस दौर पर रूस से एंटी मिसाइल सिस्टम S-400 की जल्द आपूर्ति की बात रखेंगे। बताया जा रहा है कि भारत S-400 की जल्द से जल्द डिलिवरी चाहता है। भारत ने 2018 में रूस से एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम S-400 की डील की थी। हालांकि, यह सिस्टम चीन के पास पहले से है। एस 400 दुनिया के सबसे एडवांस डिफेंस सिस्टम के तौर पर माना जाता है। भारत ने रूस के साथ इसके लिए 5 अरब डॉलर यानी 40,000 करोड़ रुपए का सौदा किया है। जानिए इस सिस्टम क्या है खास...
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भारत से डील के बाद रूस में S-400 डिफेंस सिस्टम का निर्माण शुरू कर दिया है। डील के तहत, यह सिस्टम 2025 तक भारत को सौंप दिया जाएगा। डील के तहत अगले साल तक भारत को पहला सिस्टम भी मिल जाएगा। लेकिन भारत चीन और पाकिस्तान से चल रहे विवाद को देखते हुए इसे जल्द चाहता है।
इससे पहले एस 400 डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल सिर्फ रूस और चीन कर रहा है। रूस इस सिस्टम का इस्तेमाल 2007 से कर रहा है। वहीं, चीन ने इसे 2014 में गवर्मेंट टू गवर्मेंट डील के तहत खरीदा था।
एस-400 मिसाइल सिस्टम, एस-300 का अपडेटेड वर्जन है। भारत ने रूस से 5.43 अरब डॉलर (करीब 39 हजार करोड़ रुपए) में इसके लिए डील की है।
एस-400 मिसाइल सिस्टम भारतीय बेड़े में शामिल हो जाएगा। इससे भारतीय सेना की ताकत में काफी इजाफा होगा। एस 400 मिसाइल सिस्टम पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को भी खत्म करने की क्षमता रखता है।
यह डिफेंस सिस्टम 400 किमी दायरे तक सक्रिय रहता है। इस दायरे में आने वाले किसी भी खतरे को तुरंत खत्म कर सकता है। इससे दुश्मन के लड़ाकू विमान हों या ड्रोन, या फिर मिसाइल यह सिस्टम देखते ही देखते उसे ढेर कर देगा।
एस 400 सिस्टम अत्याधुनिक रडारों से लैस होता है। यह सैटेलाइट से कनैक्ट रहता है और उन्हें ट्रेस कर सकता है। इस सिस्टम की खासियत है कि यह दुश्मन विमानों और मिसाइलों को हवा में खत्म कर सकता है।
एस-400 के रडार 100 से 300 टारगेट ट्रैक कर सकते हैं। इसमें लगी मिसाइलें 30 किमी ऊंचाई और 400 किमी की दूरी में लक्ष्य को भेद सकती हैं। यह एक साथ 36 टारगेट को मार सकती है। इसमें 12 लॉन्चर होते हैं।