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1938 में 'जीरो' से शुरुआत करके दुनिया की दिग्गज कंपनी बनी 'सैमसंग' के 'पतन' की कहानी
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पहले जानते हैं कि योंग की कहानी...
योंग के पिता ली कुन-ही को मई, 2014 में दिल का दौरा पड़ा था। अंतिम समय तक यानी 2020 तक वे बिस्तर पर रहे। ऐसे में योंग उनके उत्तराधिकारी बने। वे 2014 से कंपनी के वाइस चेयरमैन हैं। रिश्वत के मामले में सियोल हाईकोर्ट ने जैसे ही फैसला सुनाया, पुलिस ने कोर्ट के बाहर ही उन्हें अरेस्ट कर लिया। 52 वर्षीय ली पर फरवरी 2017 में आरोप दायर किए गए थे। उन्हें 2017 में ही 5 साल की सजा सुनाई गई थी। हालांकि ऊपरी अदालत में अपील के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था। रिश्वत मामले में नाम आने पर पार्क ग्वेन-हे पर महाभियोग चलाकर राष्ट्रपति के पद से हटा दिया गया था।
सैमसंग का दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान है। योंग के पिता ने एक छोटी सी ट्रेडिंग कंपनी को दुनिया को प्रमुख टेक कंपनियों में शामिल किया था।
योंग के पिता ली ने अपने पिता ली ब्युंग-चुल के निधन के बाद 1987 में सैसमंग की कमान संभाली थी। तब उनकी उम्र 45 वर्ष थी। इसके बाद 1993 में ली ने ट्रेडमार्क फिलॉसफी-न्यू मैनेजमेंट इनिशिएटिव की घोषणा की थी। सैमसंग कंपनी अपने कस्टमर्स के बीच बेहतर रिश्ते के कारण लगातार तरक्की करती गई।
सैमसंग सिर्फ मोबाइल या इलेक्ट्रोनिक आइटम्स नहीं बनाती, यह सैमसंग लाइफ इंश्योरेंस, जहाज निर्माण, होटल और मनोरंजन पार्क जैसे क्षेत्रों में भी सक्रिय है। सैमसंग को दुनिया की सबसे बड़ी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी माना जाता है।
सैमसंग का हेड आफिस सियोल में है। कोरियन भाषा में सैमसंग का मतलब होता है थ्री स्टार। इसकी स्थापना 1938 में योंग के दादा ली ब्युंग-चुल ने की थी।
1970 में सैमसंग जहाज बनाने और कंस्ट्रक्शन में उतरी। इससे पहले 1969 में सैमसंग इलेक्ट्रोनिक की शुरुआत हुई थी।