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दिल्ली में किसानों के बवाल के बाद की 10 वीभत्स तस्वीरें, कैसे लाल किले में तोड़फोड़ कर उखाड़ डाले CCTV तक
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26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर रैली में शामिल उपद्रवियों ने तय रूट को छोड़ दूसरों रास्तों से राजधानी में घुसपैठ की। फिर सबसे पहले लाल किले के एंट्री गेट पर खड़ी CISF की गाड़ी को निशाना बनाया। गाड़ी को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया गया।
लाल किले के टिकट काउंटर पर तोड़फोड़ की गई. अंदर लगे ग्लास कवर को भी उपद्रवियों ने तोड़ दिया। छत पर लगे पंखे तक खींचकर तोड़ डाले और फर्नीचर को भी नुकसान पहुंचाया।
केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रह्लाद पटेल ने लाल किला पहुंचे अफसरों से हालात का जायजा लिया। जांच के आदेश के साथ इस तोड़फोड़ से हुए नुकसान की रिपोर्ट तैयार करने का भी आदेश दिया है।
किसान प्रोटेस्ट में गैलरी में लगी जाली को भी नुकसान पहुंचाया गया। दिल्ली पुलिस ने उपद्रवियों के खिलाफ डकैती समेत 10 से ज्यादा आपराधिक धाराओं में केस दर्ज किया है।
लाल किले के ऑफिस में रखी फाइलें भी बाहर फेंक दी गई हैं। अब पर्यटन विभाग और लाल किले के प्रशासनिक अफसर फाइलों को रिकवर करने की कोशिश में जुट गए हैं।
लाल किले की खिड़कियों के ग्लास को भी उपद्रवियों ने तोड़ दिया। वहां रखे दस्तावेज तितर-बितर कर दिए गए।
लाल किले के एंट्री गेट पर तोड़फोड़ करके वहां लगे स्कैनर को भी तोड़ फेंक दिया गया।
लाल किले के अंदर लगे कई CCTV कैमरों को उपद्रवियों ने तोड़ दिया। बताया जाता है कि उपद्रवी पूरी तैयारी के साथ आए थे। पुलिस अब बचे हुए CCTV कैमरों के फुटेज खंगाल रही है।
किले के कमरों में जगह-जगह सामान बिखरा पड़ा है। पर्यटन विभाग की तरफ से अब साफ-सफाई का काम शुरू कर दिया गया है।
बुधवार को मौके पर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। पुलिस के साथ अब रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों ने भी मोर्चा संभाल लिया है।
ट्रैक्टर मार्च में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड्स को तोड़ दिया और राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में घुस गए थे। कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं और कई लोग घायल हुए। तैनात पुलिस दल ने आंसूगैस के गोले दागे और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया।
पुलिस की कार्रवाई के बावजूद, प्रदर्शनकारियों के एक दल ने लाल किले पर सिख धर्म का प्रतीक ध्वज 'निशान साहिब' फहरा दिया।
भारत के गणतंत्र दिवस पर ऐतिहासिक लाल किले पर धावा बोलने वाले हजारों किसानों बुधवार को वापस कैंप लौट गए। ये सभी दो महीने के राजधानी के बाहर डेरा डाले हुए हैं। नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग करने वाले विरोध प्रदर्शन एक विद्रोह में बदल गया।