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द्रोपदी मुर्मू से लेकर PM मोदी तक के प्रोग्राम्स करने वालीं एंकर उमा अय्यर का दर्द-काले रंग ने मेरा काम छीना
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देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति बनीं द्रोपदी मुर्मू को अपने Facebook पेज पर बधाई संदेश देते हुए उमा अय्यर रावला ने लिखा-ट्राइबल है क्या? उस वक़्त मुझे अजीब लगा, लेकिन आज लग रहा है कि काश मुझे हां कहने का अवसर मिलता। जीवन में कम से कम 250 कार्यक्रमों का संचालन किया। इस बात की खुशी है,लेकिन त्वचा के रंग की वजह से लगभग 50 कार्यक्रमों को खोने का दुःख भी है। प्रधानमंत्री जी की जय हो! आपके इस सुझाव और निर्णय की वजह से एक संथाली और श्याम वर्ण महिला का फोटो हर सरकारी कार्यालय में लगेगा। भारत वासियों को अपनी सोच में परिवर्तन लाना होगा! भारत बदल चुका है। उच्च पदों पर और महिलाएं पहुंच जाएं, तो जेंडर और वर्ण कोई मायना नहीं रहता। महामहिम राष्ट्रपति महोदया, आपको मेरी शुभकामनाए।
उमा ने आदिवासी महिला का जिक्र पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर के उन पर उठाए गए सवाल पर किया है। उमा ने बताया कि जब मणिशंकर अय्यर मिनिस्टर थे, तब देहरादून में एक प्रोग्राम हुआ था विरासत नाम से। उन्होंने मुझसे कहा था कि क्या तुम छत्तीसगढ़ की ट्राइबल हो? पहले लोग समझते थे कि मणिशंकर अय्यर की रिलेटिव हूं, लेकिन उनसे मेरी दूर-दूर तक कोई रिश्तेदारी नहीं है।
उमा अय्यर फिलहाल, पब्लिक लाइफ में आ गई हैं। यानी वे उमंग कृति फाउंडेशन, सेव लाइफ इनिशियेटिव और टीवी प्रजेंटर के तौर पर काम कर रही हैं। उमा कहती हैं कि अब वे रील्स के नाम जो अश्लीलता फैलाई जा रही है, उसके खिलाफ मुहिम छेड़ेंगी।
मूलत: भोपाल की रहने वालीं उमा अय्यर 1992-93 में अपनी एंकरिंग के चलते चर्चाओं में आना शुरू हुई थीं। एकदम साधारण शक्ल-सूरत वाली उमा अय्यर ने स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस के कई कार्यक्रमों में एनाउंसिंग की और लोकप्रिय होती गईं। उसी दौर में सेटेलाइट चैनल का आगमन हुआ, तो उमा वहां भी अपनी आवाज के बूते गांव शहर पहचानी जाने लगी। आज उमा एंकरिंग और अनाउंसिंग की दुनिया में सेलेब्रिटी हैं।
उमा ने एक इंटरव्यू में कहा था-'मैं कभी किसी प्रोग्राम को छोटे या बड़े के बेस पर आकलन नहीं करती। मैं हर बार, हर जगह आवाज के नए तौर-तरीके से खेलती हूं।'
उमा अय्यर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ राष्ट्रपति भवन में बतौर वायस आर्टिस्ट रह चुकी हैं। दरअसल, तब पूर्व राष्ट्रपति सेटेलाइट के माध्यम से दुनियाभर के स्टूडेंट्स को लेक्चर देते थे। ठीक उसी वक्त उनके अंग्रेजी लेक्चर का उमा हिंदी में अनुवाद करती जाती थीं।
उमा अय्यर कहती है कि उनकी बायोग्राफी में वो सब बातें लिखी जा रही हैं, जो उनकी जिंदगी में उतार-चढ़ाव लाईं।
उमा अय्यर ने कहा-मीडिया की वजह से लाइमलाइट में आ सकी। हालांकि मैं कहूंगी की ब्यूरोक्रेट्स ने कभी मेरे रंग को नहीं देखा।